कनाडा ने किया वीजा नियमों में बड़ा बदलाव, भारत पर होगा ये असर
कनाड़ा ने अपने नए अमिग्रेशन लेवल्स प्लान की घोषना की है। इसबार यह काफी सख्त फैसला बताया जा रहा हैं। बता दें कि जहां ये फैसला एक तरफ वहां के स्थायी लोगों की संख्या को स्थिर रखने वाला है तो वही इस फैसले की वजह से दूसरी तरफ विदेशी छात्रों और अस्थायी वीजा धारकों की संख्या में बड़ी कटौती करने जा रहा है।
कनाड़ा सरकार का कहना है कि वह अगामी तीन सालों में करीब 3.80 लाख स्थायी निवासियों को ही स्वीकार करेगी, लेकिन अस्थायी निवासियों की हिस्सेदारी को घटाकर 5 प्रतिशत से भी कम करने का फैसला लिया गया है। वहीं इस फैसले का सीधा असर उन लाखों छात्रों और कामगारों पर पड़ेगा जो कनाडा में पढ़ाई या काम करने की योजना बना रहे हैं। खासतौर पर भारत से।
जानकारी के लिए बता दें कि कनाड़ा ने अंतरराष्ट्रीय छात्रों के लिए वीज़ा सीमाएं लगभग आधी कर दी हैं। साल 2026 में सिर्फ 1.55 लाख, और 2027-28 में 1.50 लाख बच्चों को ही पढ़ाई की परमिशन मिलेगी। बता दें कि पिछले साल की तुलना में ये लगभग 50 प्रतिशत कम है। बता दें कि कनाडा में 2023 के अंत तक विदेशी छात्रों की संख्या 10 लाख तक पहुंच चुकी थी। इसके बाद जनवरी 2024 में कनाडा सरकार ने स्टडी परमिट पर कैप लगा दिया था, जिसके चलते 2024 में केवल 2.6 लाख नए परमिट मिलने की उम्मीद जताई जा रही थी।
कनाडा के सरकार के इस फैसले को लेकर विशेषज्ञों का कहा कि यह कदम कनाडा के शिक्षा क्षेत्र के लिए एक झटका साबित होगा. कॉलेजों को अब कम ऑफर लेटर भेजने होंगे, जिससे अंतरराष्ट्रीय छात्रों की संख्या में भारी गिरावट आएगी और विश्वविद्यालयों की डायवर्सिटी (विविधता) पर भी असर पड़ेगा।
भारत पर सबसे ज्यादा असर
जानकारी के लिए बता दें की कनाड़ा में सबसे ज्यादा छात्र भेजने वाले देशों में भारत सबसे ऊपर है। लेकिन सरकार के इस फैसले के कारण अब भारतीय छात्रों के लिए हालात मुश्किल होने वाले हैं। क्योंकि पहले ही लगभग 50 प्रतिशत भारतीय छात्रों के वीजा आवेदन ख़ारिज हो रहे थे और अब इस फ़ैसले के कारण यह दर 80 प्रतिशत तक पहुँच सकते हैं।
एक रिपोर्ट के अनुसार अगस्त 2025 में 74 प्रतिशत भारतीय छात्रो के वीज़ा को खारिज कर दिया गया था, जो की साल 2024 से दोगुना है। वहीं इस मामले में वहां की सरकार का कहना है कि उन्हें फर्जी एडमिशन लेटर और धोखाधड़ी वाले दस्तावेजों के हजारों मामले मिले हैं, खासकर भारत और बांग्लादेश से। इसी वजह से अब वित्तीय दस्तावेज और कॉलेज सत्यापन की प्रक्रिया को और कड़ा किया गया है।

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