सरकारी स्कूल में मजदूरी करते बच्चों का वीडियो वायरल होने पर प्रधानाध्यापिका निलंबित , मीडिया को चिट्ठी लिखकर दी सफाई
डीएम सविन बंसल ने दिए जांच और कार्रवाई के आदेश, कहा— ऐसे मामलों में शून्य सहिष्णुता नीति अपनाई जाएगी
देहरादून। राजधानी देहरादून के एक राजकीय प्राथमिक विद्यालय में मासूम बच्चों से रेत-बजरी उठाने और फावड़ा चलवाने जैसा काम करवाए जाने का मामला सामने आया है। इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया, जिसके बाद शिक्षा विभाग और जिला प्रशासन हरकत में आ गया।
वायरल वीडियो में देखा जा सकता है कि कुछ छोटे-छोटे बच्चे विद्यालय परिसर में मजदूरों की तरह मिट्टी और रेत उठा रहे हैं, जबकि उस दौरान स्कूल स्टाफ कहीं नजर नहीं आ रहा। यह घटना राजकीय प्राथमिक विद्यालय बांध विस्थापित बंजारावाला की बताई जा रही है।
जिलाधिकारी ने दिए सख्त निर्देश
6 अक्टूबर 2025 को यह वीडियो जिलाधिकारी सविन बंसल के संज्ञान में आने के बाद उन्होंने तत्काल जिला शिक्षा अधिकारी (प्राथमिक) को जांच और कार्रवाई के निर्देश दिए। जांच में पुष्टि हुई कि वीडियो वास्तव में देहरादून के उक्त सरकारी विद्यालय का ही है। डीएम सविन बंसल ने कहा कि “ऐसे मामलों में शून्य सहिष्णुता नीति अपनाई जाएगी। भविष्य में किसी भी विद्यालय में इस तरह की घटना पाई गई तो संबंधित हेड टीचर और ब्लॉक अधिकारी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।”
शिक्षा विभाग ने जारी किया निर्देश
शिक्षा विभाग ने इस मामले पर तत्काल संज्ञान लेते हुए पत्र क्रमांक 12650/54 (दिनांक 6 अक्टूबर 2025) जारी किया है। इसमें स्पष्ट रूप से कहा गया है कि विद्यालय परिसर में बच्चों से किसी भी प्रकार का श्रम या सफाई कार्य करवाना न केवल अनुशासनहीनता है बल्कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम (RTE Act) का उल्लंघन भी है।
विभाग ने यह भी निर्देश दिए कि विद्यालय की सफाई, रखरखाव और मरम्मत की जिम्मेदारी विद्यार्थियों की नहीं बल्कि स्कूल प्रबंधन समिति (SMC) या सहायक स्टाफ की होती है। बच्चों से इस तरह का काम करवाना उनके शिक्षा के अधिकार का हनन करने के साथ-साथ बाल श्रम की श्रेणी में आता है।
निरीक्षण के आदेश
विभाग ने जिले के सभी ब्लॉक शिक्षा अधिकारियों (BEO) को निर्देशित किया है कि वे अपने-अपने क्षेत्र के सभी सरकारी विद्यालयों का निरीक्षण करें और यह सुनिश्चित करें कि किसी भी विद्यालय में विद्यार्थियों से गैर-शैक्षणिक कार्य न कराया जाए।
प्रधानाध्यापिका ने जारी की दर्दभरी चिट्ठी
इस मामले में निलंबित प्रधानाध्यापिका अंजू मनादुली ने मीडिया को एक चिट्ठी जारी कर अपना पक्ष रखा है। उन्होंने कहा कि छात्रों ने स्वेच्छा से भोजनावकाश के दौरान यह कार्य किया और उन्हें इसकी जानकारी नहीं थी।
उन्होंने बताया कि विद्यालय के मुख्य द्वार से कक्षा तक जाने वाले मार्ग पर बारिश के कारण कीचड़ जमा हो गया था, जिससे छात्र-शिक्षक कई बार फिसल चुके थे। छात्रों ने पहले भी मार्ग की मरम्मत की मांग की थी, लेकिन अनुमति न मिलने पर सोमवार को बच्चों ने स्वयं यह कार्य शुरू कर दिया।
पड़ोसी पर लगाए आरोप
प्रधानाध्यापिका ने आरोप लगाया कि विद्यालय के पास रहने वाले वीरेंद्र डंगवाल नामक व्यक्ति उन्हें लंबे समय से परेशान कर रहा है। वह इस बात से नाराज है कि स्कूल में गरीब परिवारों और मुस्लिम समुदाय के बच्चे पढ़ते हैं। अंजू के अनुसार, डंगवाल ने छात्रों की स्वैच्छिक गतिविधि का वीडियो बनाकर गलत मंशा से वायरल किया ताकि उनकी छवि और स्कूल की प्रतिष्ठा धूमिल की जा सके।
अंजू ने कहा कि “58 वर्ष की उम्र में मुझ पर गलत आरोप लगाना असहनीय है। मैं हमेशा बच्चों की शिक्षा और सुरक्षा को सर्वोपरि रखती हूं।”
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