पाकिस्तान में संस्कृत की नई शुरुआत, यूनिवर्सिटी के पाठ्यक्रम में शामिल हुई गीता और महाभारत!
पाकिस्तान में शिक्षा और संस्कृति के क्षेत्र में एक अहम पहल देखने को मिली है। देश की प्रतिष्ठित लाहौर यूनिवर्सिटी ऑफ मैनेजमेंट साइंसेज (LUMS) ने अब अपने शैक्षणिक पाठ्यक्रम में संस्कृत भाषा को शामिल कर लिया है। क्लासिकल लैंग्वेज कोर्स के अंतर्गत संस्कृत को नियमित रूप से पढ़ाया जाएगा, जिसमें छात्रों को भगवद् गीता और महाभारत जैसे प्राचीन भारतीय ग्रंथों का अध्ययन भी कराया जाएगा।
LUMS द्वारा संस्कृत का चार-क्रेडिट कोर्स शुरू करने का फैसला तीन महीने तक चली एक वीकेंड वर्कशॉप की सफलता के बाद लिया गया। इस वर्कशॉप में छात्रों, शोधार्थियों और भाषा में रुचि रखने वाले लोगों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। सकारात्मक प्रतिक्रिया को देखते हुए विश्वविद्यालय प्रशासन ने इसे स्थायी पाठ्यक्रम का रूप देने का निर्णय किया।
कोर्स के दौरान छात्रों को भारतीय टीवी धारावाहिक महाभारत के लोकप्रिय थीम सॉन्ग “है कथा संग्राम की” का उर्दू संस्करण भी सिखाया जा रहा है, ताकि भाषा और संस्कृति से भावनात्मक जुड़ाव बढ़ाया जा सके।
LUMS के गुरमानी सेंटर के निदेशक डॉ. अली उस्मान कास्मी ने बताया कि पाकिस्तान में संस्कृत से जुड़ी एक समृद्ध विरासत मौजूद है। उन्होंने कहा कि पंजाब यूनिवर्सिटी की लाइब्रेरी में संस्कृत की कई दुर्लभ पांडुलिपियां सुरक्षित हैं, जिन पर अब तक पर्याप्त काम नहीं हुआ है और जिनका उपयोग अधिकतर विदेशी शोधकर्ताओं द्वारा किया जाता रहा है। डॉ. कास्मी ने कहा कि भविष्य में गीता और महाभारत से जुड़े कोर्स और भी विस्तारित किए जाएंगे। उनका मानना है कि अगले 10–15 वर्षों में पाकिस्तान में ही गीता और महाभारत के विशेषज्ञ विद्वान तैयार हो सकते हैं।
संस्कृत के विद्वान डॉ. रशीद ने कहा कि लोग अक्सर उनसे संस्कृत पढ़ने के निर्णय पर सवाल करते हैं। इस पर उनका स्पष्ट जवाब होता है कि यह भाषा पूरे क्षेत्र को जोड़ती है। उन्होंने बताया कि महान व्याकरणाचार्य पाणिनी का जन्म भी इसी भूभाग में हुआ था और सिंधु घाटी सभ्यता के समय यहां व्यापक लेखन कार्य हुआ करता था। उनके अनुसार संस्कृत किसी एक धर्म तक सीमित नहीं है, बल्कि यह इस क्षेत्र की साझा विरासत है।
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