50 लाख सरकारी कर्मचारियों के लिए राहत, CGHS–ECHS के नियम बदले, 15 दिसंबर से लागू होंगी नई शर्तें
करीब 50 लाख सरकारी कर्मचारियों के लिए बड़ी राहत भरी खबर सामने आई है। केंद्र सरकार ने CGHS और ECHS से जुड़े नियमों में अहम बदलाव किए हैं। 5 दिसंबर 2025 को जारी आदेश के मुताबिक पैनल में शामिल सभी निजी अस्पतालों के मौजूदा समझौते (MOA) 15 दिसंबर 2025 की आधी रात के बाद से खत्म माने जाएंगे।
यानी 15 दिसंबर 2025 से अस्पतालों को नई शर्तों पर दोबारा आवेदन करना होगा। अगर कोई अस्पताल अपना समझौता रिन्यू नहीं करवाता, तो लाभार्थियों को दी जाने वाली कुछ सुविधाएँ सूची से हट सकती हैं। सरकार ने यह कदम जवाबदेही बढ़ाने और इलाज की दरों को मौजूदा मेडिकल लागत के अनुसार अपडेट करने के लिए उठाया है।
इन बदलावों की जरूरत क्यों?
लंबे समय से अस्पताल पुराने रेट्स को लेकर असंतोष जाहिर कर रहे थे। उनका कहना था कि मेडिकल खर्च बढ़ने के बावजूद भुगतान दरें अपडेट नहीं हुई हैं, जिससे इलाज का खर्च कर्मचारियों पर बढ़ता जा रहा है। नए नियमों का उद्देश्य डिजिटल क्लेम प्रोसेस को आसान बनाना, खर्चों में पारदर्शिता लाना और अस्पतालों की जवाबदेही बढ़ाना है।
इससे पहले भी रेफरल सिस्टम को पूरी तरह डिजिटल करना, टेली-कंसल्टेशन बढ़ाना, पेंशनरों को कैशलेस इलाज, और अस्पतालों पर सख्त पेनल्टी जैसे सुधार किए जा चुके हैं। इसके अलावा रूम रेंट, सर्जरी, ICU और डायग्नॉस्टिक्स की दरों को भी अपडेट किया गया है।
सरकार के नए आदेश में क्या कहा गया है?
जारी निर्देश के अनुसार, सभी पैनलबद्ध निजी अस्पतालों के पुराने MOA 15 दिसंबर 2025 की मध्यरात्रि के बाद स्वतः समाप्त हो जाएंगे। अस्पतालों को CGHS और ECHS सेवाएँ जारी रखने के लिए ऑनलाइन हॉस्पिटल एम्पैनलमेंट मॉड्यूल के माध्यम से फिर से पंजीकरण कराना होगा। नए समझौते पर 90 दिनों के भीतर हस्ताक्षर अनिवार्य होंगे।
इसके साथ ही अस्पतालों को 15 दिसंबर 2025 से पहले एक वचन-पत्र देना होगा, जिसमें वे नई दरों और शर्तों को मानने की पुष्टि करेंगे। यदि वचन-पत्र नहीं दिया गया, तो अस्पताल अपने-आप पैनल से बाहर हो जाएगा।
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