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यूसीसी संशोधन विधेयक पर अड़चन: राज्यपाल ने लौटाया प्रस्ताव, अब दोबारा होगा परीक्षण

उत्तराखंड: समान नागरिक संहिता (यूसीसी) से जुड़े संशोधन विधेयक पर फिलहाल ब्रेक लग गया है। राज्यपाल ने इस संशोधन विधेयक को आपत्तियों के साथ सरकार को वापस लौटा दिया है। अब संबंधित विभाग विधेयक का दोबारा परीक्षण करेगा और आपत्तियों को दूर कर संशोधित प्रस्ताव को फिर से विधानसभा में पेश किया जाएगा।

यह संशोधन विधेयक हाल ही में गैरसैंण विधानसभा सत्र के दौरान सदन से पारित किया गया था। सदन से पारित होने के बाद सरकार ने इसे मंजूरी के लिए लोक भवन (राजभवन) भेजा था, लेकिन विधेयक में तकनीकी और कानूनी खामी पाए जाने के कारण राज्यपाल ने इसे स्वीकृति देने के बजाय वापस कर दिया।

धारा-4 बनी आपत्ति की वजह

राज्यपाल द्वारा विधेयक लौटाने की मुख्य वजह धारा-4 में पाई गई त्रुटि है। इस धारा में निर्धारित न्यूनतम आयु से कम उम्र में विवाह करने पर सजा के प्रावधान का दो बार उल्लेख किया गया था। कानून की भाषा में इस तरह की पुनरावृत्ति को गंभीर तकनीकी त्रुटि माना जाता है, क्योंकि इससे भविष्य में कानूनी व्याख्या और लागू करने में दिक्कतें आ सकती हैं।

लोक भवन ने इस बिंदु पर आपत्ति जताते हुए कहा कि विधेयक को स्पष्ट, सुसंगत और त्रुटिरहित बनाया जाना आवश्यक है। इसी कारण इसे मंजूरी देने के बजाय शासन को वापस भेज दिया गया।

अब क्या होगी आगे की प्रक्रिया

राज्यपाल द्वारा विधेयक लौटाए जाने के बाद अब गृह विभाग इस पर दोबारा मंथन करेगा। विभाग आपत्तियों का निस्तारण करते हुए संशोधित प्रावधान तैयार करेगा और इसके बाद इसे अध्यादेश या संशोधन विधेयक के रूप में फिर से विधानसभा में लाया जाएगा।

सरकारी सूत्रों के अनुसार, सरकार इस संशोधन को जल्द से जल्द दुरुस्त कर पुनः सदन में पेश करना चाहती है, ताकि यूसीसी से जुड़े कानूनी ढांचे को मजबूत किया जा सके और भविष्य में किसी प्रकार की न्यायिक अड़चन न आए।

पहले भी लौट चुके हैं अहम विधेयक

यह पहला मौका नहीं है जब राजभवन ने किसी अहम विधेयक को शासन को वापस भेजा हो। इससे पहले धर्मांतरण से संबंधित विधेयक भी लोक भवन द्वारा आपत्तियों के साथ लौटाया जा चुका है। उस समय भी विधेयक में कुछ कानूनी और तकनीकी कमियां बताई गई थीं।

धर्मांतरण विधेयक को लेकर अब धर्मस्व विभाग सभी आपत्तियों को दूर करते हुए संशोधित विधेयक लाने की तैयारी में है। इससे साफ है कि राजभवन विधायी प्रक्रिया में कानूनी स्पष्टता और संवैधानिक मजबूती को लेकर बेहद सतर्क रुख अपनाए हुए है।

यूसीसी पर सरकार की प्रतिबद्धता बरकरार

हालांकि संशोधन विधेयक लौटाए जाने से सरकार को अस्थायी झटका जरूर लगा है, लेकिन इससे यूसीसी को लागू करने की सरकार की प्रतिबद्धता पर कोई असर नहीं पड़ा है। सरकार का मानना है कि तकनीकी खामियों को दूर कर कानून को और अधिक मजबूत बनाया जाएगा।

विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह की प्रक्रिया लोकतांत्रिक व्यवस्था का अहम हिस्सा है। विधेयकों की समीक्षा और आवश्यक संशोधन से ही कानून भविष्य में विवादों से बच पाते हैं।

राजनीतिक और कानूनी महत्व

यूसीसी पहले से ही एक संवेदनशील और राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण मुद्दा है। ऐसे में इससे जुड़े किसी भी विधेयक में छोटी-सी गलती भी बड़े विवाद का कारण बन सकती है। राज्यपाल द्वारा विधेयक लौटाना इस बात का संकेत है कि सरकार को हर पहलू पर सावधानी बरतनी होगी।

अब सबकी निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि सरकार संशोधित यूसीसी विधेयक को कब दोबारा विधानसभा में लाती है और क्या इस बार उसे राजभवन की मंजूरी मिल पाती है या नहीं।

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