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मल्ला गांव में घर में घुसे भालू, CCTV में कैद हुई घटना ग्रामीणों में भय का माहौल

उत्तरकाशी: जिले में जंगली भालुओं की दहशत लगातार बढ़ती जा रही है। टकनौर क्षेत्र सहित भटवाड़ी ब्लॉक के कई गांवों में भालू अब जंगलों से निकलकर रिहायशी इलाकों में पहुंच रहे हैं। स्थिति इतनी गंभीर हो गई है कि लोग अंधेरा होने के बाद घरों से बाहर निकलने में भी डर महसूस कर रहे हैं। भालुओं की बढ़ती गतिविधियों ने ग्रामीणों की नींद उड़ा दी है और पूरे क्षेत्र में भय और असुरक्षा का माहौल बना हुआ है।

मल्ला गांव में घर के आंगन तक पहुंचे भालू

ताजा मामला भटवाड़ी ब्लॉक के मल्ला गांव का है, जहां एक भालू अपने दो बच्चों के साथ एक घर के आंगन में घूमता हुआ देखा गया। यह पूरी घटना घर में लगे सीसीटीवी कैमरे में कैद हो गई। वीडियो में साफ दिखाई दे रहा है कि भालू और उसके शावक बेखौफ होकर घर में घुसते हैं और भोजन की तलाश में इधर-उधर घूमते रहते हैं।

सीसीटीवी फुटेज में यह भी देखा गया कि भालू के दोनों बच्चे आपस में खेलते और लड़ते नजर आते हैं। कुछ देर बाद उनकी मां बीच-बचाव कर दोनों को अलग करती है। काफी समय तक भालू परिवार घर के आंगन और आसपास चहल-कदमी करता रहा, जिसके बाद वे वापस जंगल की ओर चले गए।

रात के समय घरों में कैद हो रहे ग्रामीण

ग्रामीणों का कहना है कि भालुओं की लगातार बढ़ती आवाजाही के कारण अब लोग रात के समय घरों से बाहर निकलने से बच रहे हैं। बच्चों, बुजुर्गों और महिलाओं में विशेष रूप से भय का माहौल है। खेतों, आंगन और छतों पर भालू दिखाई देने से रोजमर्रा का जीवन प्रभावित हो रहा है।

स्थानीय लोगों के अनुसार, यह कोई पहली घटना नहीं है। इससे पहले भी कई बार भालू गांवों में घुस चुके हैं, लेकिन अब उनकी संख्या और हिम्मत दोनों बढ़ती जा रही हैं।

वन विभाग पर लापरवाही के आरोप

ग्रामीणों ने वन विभाग पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि भालुओं की दहशत को रोकने के लिए वन विभाग की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे हैं। न तो गश्त बढ़ाई जा रही है और न ही भालुओं को जंगल की ओर खदेड़ने के लिए कोई प्रभावी योजना बनाई गई है।

ग्रामीणों का यह भी कहना है कि कई बार सूचना देने के बावजूद मौके पर वन विभाग की टीम देर से पहुंचती है या बिल्कुल नहीं आती। इससे लोगों में विभाग के प्रति नाराजगी बढ़ती जा रही है।

पहले भी जा चुकी हैं जानें

यह क्षेत्र पहले भी भालुओं के हमलों का गवाह रहा है। ग्रामीणों के अनुसार, पूर्व में भालू के भय से भागने के दौरान जंगल में दो महिलाओं की मौत हो चुकी है। इसके अलावा आए दिन भालू लोगों पर हमला कर रहे हैं, जिससे गंभीर चोटें और जान का खतरा बना रहता है।

इन घटनाओं के बावजूद यदि समय रहते ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो भविष्य में हालात और भी भयावह हो सकते हैं।

मानव-वन्यजीव संघर्ष बना बड़ी समस्या

विशेषज्ञों का मानना है कि जंगलों में भोजन और पानी की कमी, साथ ही मानव बस्तियों का जंगलों के करीब फैलना, मानव-वन्यजीव संघर्ष को बढ़ा रहा है। भालू भोजन की तलाश में गांवों की ओर आ रहे हैं, जिससे टकराव की घटनाएं बढ़ रही हैं।

ग्रामीणों ने मांग की है कि वन विभाग गांवों के आसपास सोलर फेंसिंग, पिंजरे, गश्ती दल और जागरूकता अभियान चलाए, ताकि लोगों की जान-माल की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।

भय के साए में जीने को मजबूर ग्रामीण

मल्ला गांव समेत आसपास के इलाकों में लोग अब हर समय सतर्क रहने को मजबूर हैं। छोटे बच्चे अकेले बाहर नहीं निकल पा रहे, वहीं महिलाएं और बुजुर्ग भी डर के माहौल में जीवन जी रहे हैं। सीसीटीवी में भालू का घर के अंदर घूमना ग्रामीणों के लिए चेतावनी बनकर सामने आया है।

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