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कैंची धाम रोड हादसा: दर्शन की यात्रा बनी जिंदगी का सबसे बड़ा दुख, मां-पत्नी-साली की मौत

उत्तराखंड: नैनीताल जिले में स्थित कैंची धाम जाने वाली सड़क एक बार फिर दर्दनाक हादसे की गवाह बनी। बाबा नीम करौरी महाराज के दर्शन के लिए परिवार के साथ निकले एक व्यक्ति की आस्था की यात्रा कुछ ही पलों में जीवनभर का गहरा जख्म बन गई। बृहस्पतिवार सुबह बरेली से कैंची धाम जा रही एक सेकेंड हैंड स्कॉर्पियो कार भवाली के पास हादसे का शिकार हो गई, जिसमें एक ही परिवार की तीन महिलाओं की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि कई लोग गंभीर रूप से घायल हो गए।

एक झटके में उजड़ गया परिवार

हादसे में राहुल पटेल की मां गंगा देवी, पत्नी बृजेश कुमारी (26 वर्ष) और साली नैंसी गंगवार (24 वर्ष) की मौत हो गई। राहुल ने बताया कि परिवार बाबा नीम करौरी महाराज के दर्शन की इच्छा जता रहा था। इसी आस्था के चलते सभी लोग बृहस्पतिवार तड़के बरेली से करीब 145 किलोमीटर का सफर तय कर भवाली पहुंचे थे।

भवाली पहुंचते ही कैंची धाम की ओर से आ रही एक कार को पास देने के प्रयास में राहुल की गाड़ी अनियंत्रित हो गई और सीधे नदी में जा गिरी। हादसा इतना अचानक था कि किसी को संभलने का मौका नहीं मिला।

कई लोग गंभीर रूप से घायल

इस दुर्घटना में राहुल के 7 वर्षीय बेटे ऋषि पटेल, स्वाति (20), ज्योति (25), करन (30) और अक्षय गंभीर रूप से घायल हो गए। सभी को पहले भवाली सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) ले जाया गया, जहां प्राथमिक उपचार के बाद गंभीर स्थिति को देखते हुए उन्हें हल्द्वानी और बाद में बरेली के निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया।

परिजनों के अनुसार, कुछ घायलों की हालत अब भी नाजुक बनी हुई है।

मासूम ऋषि की पुकार ने रुलाया

हादसे के बाद का सबसे भावुक दृश्य तब सामने आया जब घायल ऋषि पटेल (7) को भवाली सीएचसी लाया गया। वह बार-बार अपनी मां, दादी और मौसी को पुकारता रहा। मासूम को यह अहसास नहीं था कि जिन लोगों को वह ढूंढ रहा है, वे अब कभी लौटकर नहीं आएंगे। अस्पताल में मौजूद डॉक्टरों और कर्मचारियों ने उसे संभालने की कोशिश की, लेकिन यह दृश्य हर किसी की आंखें नम कर गया।

हाल ही में खरीदी थी पुरानी स्कॉर्पियो

राहुल पटेल ने बताया कि उन्होंने पिछले महीने ही सेकेंड हैंड स्कॉर्पियो खरीदी थी। इन दिनों बहन, बहनोई और साली घर आए हुए थे। परिवार में कैंची धाम को लेकर गहरी आस्था थी, जिसके चलते सभी ने एक साथ दर्शन के लिए जाने का फैसला किया।

पहाड़ों में लगातार बढ़ रहे हादसे

यह हादसा कोई पहला मामला नहीं है। इससे पहले भी रामगढ़, गागर, ज्योलीकोट और आमपड़ाव जैसे इलाकों में कई सड़क दुर्घटनाएं हो चुकी हैं। 10 दिसंबर को मुक्तेश्वर से गाजियाबाद लौट रही एक कार खाई में गिरने से दो सैलानियों की मौत हो गई थी। वहीं, 2 नवंबर को ज्योलीकोट के पास टेंपो ट्रैवलर के खाई में गिरने से दो लोगों की जान चली गई थी और 15 लोग घायल हुए थे।

तीखे मोड़ बन रहे जानलेवा

परिवहन विभाग के अनुसार, मैदानी इलाकों में सीधी सड़कों पर ड्राइविंग करने वाले लोग जब पहाड़ी क्षेत्रों के तीखे मोड़ों और संकरी सड़कों पर वाहन चलाते हैं, तो उन्हें कठिनाई होती है। यही वजह है कि भवाली, भीमताल, कैंची धाम और रामगढ़ जैसे इलाकों में हादसों की संख्या बढ़ रही है।

आरटीओ अरविंद कुमार पांडे ने बताया कि हादसों को रोकने के लिए शुक्रवार से रानीबाग में विभागीय टीम तैनात की जाएगी, जो निजी वाहन चालकों को पहाड़ी ड्राइविंग से जुड़ी सावधानियों के बारे में जागरूक करेगी।

फिर उठा डॉक्टरों की कमी का मुद्दा

हादसे के बाद भवाली सीएचसी में इलाज के दौरान विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी एक बार फिर सामने आई। महिला डॉक्टर न होने से घायल महिलाओं के इलाज में परेशानी हुई, जिसके चलते परिजनों ने नाराजगी जताई। प्राथमिक उपचार के बाद मरीजों को रेफर करना पड़ा, जिससे समय पर बेहतर इलाज को लेकर सवाल खड़े हो गए हैं।

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