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नए साल के जश्न पर धर्मगुरुओं में मतभेद, मुस्लिम समाज में अलग-अलग राय

लखनऊ - उत्तर प्रदेश में साल के आखिरी दिनों के साथ ही नववर्ष के स्वागत की हलचल तेज हो गई है। राजधानी लखनऊ से लेकर प्रमुख शहरों तक होटल, पार्क, रेस्टोरेंट और पर्यटन स्थलों पर जश्न की तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। इसी बीच नए साल के जश्न को लेकर मुस्लिम समाज में विचारों की विविधता सामने आ रही है।

कुछ धर्मगुरुओं ने नए साल के उत्सव को लेकर सख्त रुख अपनाया है, जबकि अन्य का मानना है कि इस मुद्दे पर इस्लाम में स्पष्ट मनाही नहीं है। बरेली से जुड़े एक धार्मिक विद्वान ने नए साल के जश्न को अनुचित बताते हुए मुसलमानों को इससे दूरी बनाने की सलाह दी है।

वहीं, मरकजी शिया चांद कमेटी के अध्यक्ष मौलाना सैफ अब्बास नकवी ने इस विषय पर संतुलित दृष्टिकोण रखते हुए कहा कि इस्लाम न तो नए साल के जश्न का आदेश देता है और न ही इसे पूरी तरह प्रतिबंधित करता है। उनके अनुसार, किसी सामाजिक अवसर को केवल धार्मिक आधार पर अवैध ठहराना इस्लामी शिक्षाओं के अनुरूप नहीं है।

मौलाना नकवी ने यह भी स्पष्ट किया कि इस्लाम में अश्लीलता, दिखावा और फिजूलखर्ची से परहेज करने की सीख दी गई है। ऐसे में अगर कोई नया साल मनाना चाहता है, तो उसे सादगी और सामाजिक जिम्मेदारी के साथ मनाया जाना चाहिए।

उन्होंने मुसलमानों से अपील की कि यदि वे नए साल के मौके पर खर्च करना चाहते हैं, तो जरूरतमंदों की मदद करें। गरीबों में कंबल, स्वेटर या जरूरी सामान बांटकर नए साल की शुरुआत इंसानियत और सेवा के साथ की जा सकती है।

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