भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ता सिस्टम, मेरठ मेडिकल कॉलेज में ₹1.40 करोड़ के टेंडर पर 15% कमीशन की मांग
केंद्र में मोदी और उत्तर प्रदेश में योगी की 'डबल इंजन' सरकार लगातार भ्रष्टाचार पर 'जीरो टॉलरेंस' की नीति का ढिंढोरा पीटती रही है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का स्पष्ट निर्देश है कि भ्रष्टाचारी या तो जेल में होंगे या प्रदेश छोड़ देंगे। लेकिन जमीनी हकीकत इन दावों से कोसों दूर नजर आती है। ताजा मामला मेरठ के LLRM मेडिकल कॉलेज से सामने आया है, जहां सरकारी सिस्टम की नाक के नीचे रिश्वतखोरी का नंगा नाच चल रहा है।
मेरठ मेडिकल कॉलेज में तैनात वरिष्ठ सहायक सुनील कुमार पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगे हैं। जानकारी के अनुसार, मेडिकल कॉलेज के ₹1 करोड़ 40 लाख के एक टेंडर के रनिंग बिल्स को पास करने के बदले में सुनील कुमार ने 15% कमीशन की मांग की है।
एक तरफ जहाँ सरकार विकास कार्यों में पारदर्शिता का दावा करती है, वहीं दूसरी तरफ एक क्लर्क स्तर का कर्मचारी करोड़ों के प्रोजेक्ट में लाखों की रिश्वत मांग कर शासन की साख पर बट्टा लगा रहा है।
यह घटना केवल एक व्यक्ति के भ्रष्टाचार का मामला नहीं है, बल्कि उस व्यवस्था की विफलता है जिसे 'भ्रष्टाचार मुक्त' बनाने का वादा किया गया था।
मेरठ का यह मामला शासन और प्रशासन के लिए एक खुली चुनौती है। यदि समय रहते ऐसे 'दीमकों' पर कठोर कार्रवाई नहीं की गई, तो जनता का सरकारी तंत्र से भरोसा उठना लाजमी है। अब देखना यह होगा कि योगी सरकार इस मामले में अपने 'बुलडोजर' न्याय या विभागीय कार्रवाई के जरिए क्या संदेश देती है।
Watch Video
Watch the full video for more details on this story.











