राम मंदिर में श्रद्धा का उत्सव, स्वर्ण-रत्नजड़ित श्रीराम प्रतिमा की स्थापना
अयोध्या- रामनगरी अयोध्या में प्रभु श्रीराम के भव्य मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा की दूसरी वर्षगांठ के अवसर पर सोमवार से धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजनों की श्रृंखला शुरू हो गई है। इस मौके पर पांच दिवसीय प्रतिष्ठा द्वादशी महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें देशभर से श्रद्धालु बड़ी संख्या में अयोध्या पहुंच रहे हैं।
उत्सव के पहले दिन राम जन्मभूमि परिसर स्थित अंगद टीला पर भव्य पंडाल में श्रीरामचरित मानस के संगीतमय पाठ का शुभारंभ हुआ। श्री श्री मां आनंदमयी मानस परिवार के साधकों द्वारा बालकांड का पाठ किया जा रहा है, जो लगातार पांच दिनों तक चलेगा। श्रद्धालु भावविभोर होकर मानस पाठ का श्रवण कर रहे हैं।
दोपहर के सत्र में रामकथा की शुरुआत हुई, जिसमें जगद्गुरु स्वामी रामदिनेशाचार्य श्रद्धालुओं को श्रीराम कथा का रसास्वादन करा रहे हैं। इसके साथ ही छत्तीसगढ़ के गुरु घासीदास विश्वविद्यालय से आए कलाकारों द्वारा रामलीला का मंचन भी किया जाएगा। 31 दिसंबर से 2 जनवरी तक विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित होंगे, जिनमें प्रसिद्ध भजन और शास्त्रीय गायकों द्वारा रामभक्ति की प्रस्तुतियां दी जाएंगी।
31 दिसंबर को इस उत्सव का मुख्य आयोजन होगा, जिसमें रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के शामिल होने की संभावना है। इस अवसर पर राम मंदिर परिसर के अन्नपूर्णा मंदिर में ध्वजारोहण कार्यक्रम भी संपन्न होगा। महोत्सव को देखते हुए सुरक्षा व्यवस्था और श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए व्यापक इंतजाम किए गए हैं।
इसी बीच अयोध्या में श्रद्धालुओं के लिए एक और विशेष आकर्षण जुड़ा है। कर्नाटक से लाई गई सोने और हीरे से सजी भगवान श्रीराम की भव्य प्रतिमा को राम मंदिर परिसर में विधिवत स्थापित किया गया है। इस दिव्य प्रतिमा का अनावरण श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय द्वारा किया गया।
यह बहुमूल्य प्रतिमा तीर्थ यात्री सुविधा केंद्र में संत तुलसीदास की प्रतिमा के समीप स्थापित की गई है, जहां श्रद्धालु इसके दर्शन कर सकते हैं। करीब 30 करोड़ रुपये मूल्य की यह प्रतिमा बेंगलुरु के प्रसिद्ध कलाकार डॉ. फर्न्डवीस द्वारा तंजौर कला शैली में निर्मित की गई है। खास बात यह रही कि प्रतिमा को बेंगलुरु से डाक के माध्यम से अयोध्या भेजा गया।
डॉ. फर्न्डवीस अपनी पत्नी जयश्री और करीब 100 श्रद्धालुओं के साथ अयोध्या पहुंचे और रामलला के चरणों में इस अनुपम कृति को समर्पित किया। स्वर्ण आभा और रत्नों से सजी यह प्रतिमा श्रद्धालुओं के बीच विशेष आकर्षण का केंद्र बनी हुई है।
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