News : उत्तराखंड के हरिद्वार में सामने आए बहुचर्चित ज़मीन घोटाले पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सख्त रुख अपनाते हुए कड़ा प्रशासनिक फैसला लिया है। सरकार ने इस मामले में तत्काल प्रभाव से हरिद्वार के जिलाधिकारी, उप जिलाधिकारी और नगर आयुक्त सहित 12 अधिकारियों को निलंबित कर दिया है।
यह कदम उस रिपोर्ट के बाद उठाया गया है, जिसमें भारी वित्तीय अनियमितताओं और प्रक्रियात्मक गड़बड़ियों की पुष्टि हुई थी।
News : क्या है ज़मीन घोटाला?
यह मामला हरिद्वार के सराय गाँव में स्थित 2.307 हेक्टेयर जमीन की खरीद से जुड़ा है। जानकारी के अनुसार, हरिद्वार नगर निगम ने इस जमीन को करीब 54 करोड़ रुपये में खरीदा, जबकि इसका वास्तविक मूल्य इससे कहीं कम, करीब 15 करोड़ रुपये आँका गया था।
आरोप है कि इस खरीद-फरोख्त में जमीन का भू-प्रयोजन (land use) बिना उचित प्रक्रिया के बदला गया और सरकारी तंत्र की मिलीभगत से कीमतों को बेहिसाब बढ़ाया गया।
News : किस पर गिरी गाज?
उत्तराखंड सरकार द्वारा जिन अधिकारियों को निलंबित किया गया है, उनमें शामिल हैं:
कर्मेन्द्र सिंह – जिलाधिकारी, हरिद्वार
अजयवीर सिंह – पूर्व उप जिलाधिकारी
वरुण चौधरी – नगर आयुक्त
निकीता बिष्ट – वित्त अधिकारी, नगर निगम
विक्की कुमार – राजस्व निरीक्षक
एडिशनल स्टाफ अधिकारी – नगर निगम कार्यालय
और अन्य विभागीय अधिकारी, जिनकी संलिप्तता जांच में सामने आई है।
निलंबन आदेश के साथ-साथ, इन सभी अधिकारियों के खिलाफ विभागीय जांच शुरू कर दी गई है।
News : मुख्यमंत्री का सख्त संदेश
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि, “सरकार में भ्रष्टाचार के लिए कोई जगह नहीं है। चाहे वह कितना भी बड़ा अधिकारी क्यों न हो, यदि उसने जनता के पैसे का दुरुपयोग किया है तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।”
मुख्यमंत्री ने इस प्रकरण को ‘जनता के विश्वास से खिलवाड़’ बताते हुए इसे ‘ध्यानपूर्वक रची गई साजिश’ करार दिया। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि इस तरह के मामलों में किसी प्रकार की ढिलाई बर्दाश्त नहीं की जाएगी और दोषियों को सजा दिलाने तक कार्रवाई जारी रहेगी।
सरकार ने इस जमीन सौदे को भी अमान्य घोषित कर दिया है और ज़मीन के मालिकों से पूरी राशि की वसूली करने का आदेश दिया है। साथ ही, सभी संपत्ति दस्तावेजों की जांच की जा रही है ताकि भविष्य में इस प्रकार की कोई गड़बड़ी न हो सके।
News : ऑडिट और सीबीआई जांच की मांग
इस घोटाले के सामने आने के बाद विपक्षी दलों ने भी सरकार पर सवाल उठाए हैं और मामले की सीबीआई जांच की मांग की है। कांग्रेस नेताओं का कहना है कि यह सिर्फ ‘एक जगह की कहानी नहीं’ बल्कि पूरे सिस्टम में फैले भ्रष्टाचार का उदाहरण है।
हरिद्वार ज़मीन घोटाले में धामी सरकार द्वारा उठाया गया यह सख्त कदम ना सिर्फ प्रशासनिक पारदर्शिता की दिशा में अहम माना जा रहा है, बल्कि यह संदेश भी देता है कि राज्य सरकार किसी भी स्तर पर भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई करने से पीछे नहीं हटेगी। जनता की नजरें अब इस बात पर टिकी हैं कि आगे की जांच में और कौन-कौन से नाम सामने आते हैं और क्या दोषियों को न्यायिक प्रक्रिया से सज़ा भी मिलती है या नहीं।
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