Chardham : उत्तराखंड सरकार ने चारधाम और हेमकुंड यात्रा पर आने वाले 77 पाकिस्तानी श्रद्धालुओं का रजिस्ट्रेशन रद्द कर दिया है। हाल ही में कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद सरकार ने सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता मानते हुए यह कदम उठाया।
हालांकि, इस फैसले ने एक नई बहस भी छेड़ दी है — क्या ये फैसला सिर्फ सुरक्षा के लिहाज से लिया गया है या कहीं आस्था और सियासत के बीच एक नई खाई पैदा हो रही है?
ध्यान देने वाली बात ये भी है कि चारधाम यात्रा के दौरान यात्रा प्रबंधन से जुड़े कई महत्वपूर्ण कार्यों—जैसे होटलिंग, ट्रांसपोर्ट और सुविधाएं प्रदान करने का ज़िम्मा—मुस्लिम समुदाय के हाथ में होता है।
ऐसे में जब सेवा देने वालों पर भरोसा किया जाता है, तो श्रद्धालुओं की धार्मिक पहचान को लेकर अतिरिक्त सतर्कता कितनी जायज़ है, ये सवाल उठना लाजमी है।
Chardham : राष्ट्रीय सुरक्षा से कोई समझौता नहीं
सरकार का साफ कहना है कि राष्ट्रीय सुरक्षा से कोई समझौता नहीं हो सकता, और पहलगाम जैसे हालातों के बाद अतिरिक्त सतर्कता बेहद जरूरी थी। वहीं दूसरी तरफ, कुछ लोग यह तर्क भी दे रहे हैं कि जब वीजा, पासपोर्ट और अन्य ज़रूरी कागज़ात पहले से जांचे जा चुके थे, तब फिर ऐसे बड़े फैसले से क्या धार्मिक सहिष्णुता पर सवाल नहीं खड़े होते?
फिलहाल, इस फैसले ने जहां कुछ लोगों में सुरक्षा को लेकर संतोष पैदा किया है, वहीं कुछ हलकों में इसे आस्था पर अतिरिक्त सख्ती के तौर पर देखा जा रहा है।
अब आगे क्या होगा, सरकार इस फैसले पर कायम रहती है या कुछ नए निर्देश जारी करती है — ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा।
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