चमोली आपदा 2025: 16 घंटे बाद मलबे से जिंदा निकले कुंवर सिंह, पत्नी और जुड़वा बेटों की मौत
चमोली: उत्तराखंड के चमोली जिले में 17 सितंबर 2025 की रात बादल फटने (Cloudburst in Chamoli) और भूस्खलन की भयावह घटना में कई घर मलबे में दब गए। इस भीषण आपदा में नंदानगर तहसील के घाट क्षेत्र के निवासी कुंवर सिंह 16 घंटे तक मलबे में दबे रहे। रेस्क्यू टीम की सतर्कता से उन्हें जीवित बाहर निकाला गया, लेकिन उनकी पत्नी और जुड़वा बेटों की मलबे में दबकर मृत्यु हो गई।
कुंवर सिंह की जिंदगी रोशनदान से मिली सांसों ने बचाई
जब पहाड़ से भारी मलबा गाँव में आया, तो कुंवर सिंह का पूरा परिवार गहरी नींद में था। मलबा उनके मकान पर गिरा और घर ढह गया। कुंवर सिंह का आधा शरीर मलबे में दब गया, लेकिन कमरे के रोशनदान से मिली हवा ने उनकी साँसें चलती रखीं। रेस्क्यू टीम को जब हल्की आवाज़ सुनाई दी, तो उन्होंने मलबा हटाकर गुरुवार शाम 6 बजे कुंवर सिंह को सुरक्षित बाहर निकाला और अस्पताल पहुँचाया।
परिवार का दुखद अंत: पत्नी और बच्चों की मौत
इस आपदा में कांती देवी (पत्नी) और 10 वर्षीय जुड़वा बेटे विकास और विशाल की मौके पर ही मौत हो गई। दोनों बच्चे सरस्वती शिशु मंदिर विद्यालय में पाँचवीं कक्षा में पढ़ते थे। यह घटना न सिर्फ एक परिवार के लिए, बल्कि पूरे गाँव के लिए एक गहरी त्रासदी बन गई।
रेस्क्यू टीम और ग्रामीणों का सहयोग
स्थानीय ग्रामीणों ने रात में ही प्रशासन को सूचना दी और सुबह से SDRF और स्थानीय पुलिस ने राहत एवं बचाव कार्य शुरू कर दिया। ग्रामीणों के सहयोग और रेस्क्यू टीम की तत्परता के चलते कुंवर सिंह की जान बच सकी।
सरकार से मुआवज़े और पुनर्वास की माँग
अब सवाल उठता है कि क्या सरकार इस पीड़ित परिवार को पर्याप्त सहायता दे पाएगी? कुंवर सिंह, जिन्होंने अपने मेहनत से छोटा सा घर बनाया था, आज अपने परिवार को खो चुके हैं। राज्य सरकार से उम्मीद है कि उन्हें आर्थिक सहायता, मानसिक परामर्श और पुनर्वास की समुचित व्यवस्था दी जाएगी।
उत्तराखंड में बढ़ती प्राकृतिक आपदाएँ: क्या है समाधान?
उत्तराखंड में लगातार हो रही बादल फटना, भूस्खलन, और ग्लेशियर फटना जैसी घटनाएँ जलवायु परिवर्तन और अनियोजित विकास की ओर इशारा करती हैं। सरकार को चाहिए कि सतत विकास और पर्यावरण संतुलन को प्राथमिकता देते हुए नीतियाँ बनाए।
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