शहरी पुनर्विकास की दिशा में बड़ा कदम: सीएम योगी ने नई नीति के लिए दिए निर्देश
लखनऊ- उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शहरी विकास की बदलती जरूरतों को ध्यान में रखते हुए प्रदेश के लिए एक व्यापक 'शहरी पुनर्विकास नीति' तैयार करने के निर्देश दिए हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह नीति केवल इमारतों के पुनर्निर्माण तक सीमित नहीं होगी, बल्कि पूरे शहरी परिदृश्य को आधुनिक और मानव-केंद्रित तरीके से पुनर्गठित करने की दिशा में काम करेगी।
मंगलवार को आवास विभाग के साथ हुई समीक्षा बैठक में सीएम योगी ने कहा कि राज्य के पुराने और जर्जर हो चुके शहरी इलाकों को आधुनिक बुनियादी सुविधाओं, हरित परिवेश और पर्याप्त सार्वजनिक सेवाओं के साथ फिर से विकसित किया जाएगा। उन्होंने स्पष्ट किया कि नीति का मकसद सुरक्षित, स्वच्छ और सुव्यवस्थित नगरों का निर्माण करना है।
मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देशित किया कि नई नीति में भूमि पुनर्गठन, पारदर्शी पुनर्वास प्रक्रिया, निजी निवेश को बढ़ावा और प्रभावित परिवारों की आजीविका की सुरक्षा को प्राथमिकता दी जाए। हर परियोजना में जनहित सर्वोपरि हो और किसी भी व्यक्ति की संपत्ति या जीविका को नुकसान न पहुंचे, इसके लिए न्यायसंगत और संवेदनशील दृष्टिकोण अपनाया जाए।
उन्होंने यह भी कहा कि राज्य में एक पुनर्विकास प्राधिकरण की स्थापना की जाए और परियोजनाओं के लिए सिंगल विंडो अप्रूवल सिस्टम तथा पीपीपी (पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप) मॉडल को लागू किया जाए। निजी निवेशकों को स्पष्ट दिशा-निर्देश और सुरक्षा प्रदान की जाए, जिससे वे इन परियोजनाओं में सक्रिय भूमिका निभा सकें।
सीएम योगी ने नीति में हरित भवन मानकों, ऊर्जा दक्षता और सतत विकास के प्रावधानों को अनिवार्य करने की बात कही। साथ ही उन्होंने यह सुनिश्चित करने को कहा कि शहरी क्षेत्रों की ऐतिहासिक विरासत और सांस्कृतिक पहचान को संरक्षित किया जाए।
नीति के अंतर्गत पुराने बाजारों, सरकारी आवास परिसरों, औद्योगिक क्षेत्रों और अनधिकृत बस्तियों के लिए अलग-अलग रणनीति बनाने के निर्देश दिए गए हैं। विशेषकर सेवानिवृत्त सरकारी आवासों, पुरानी हाउसिंग सोसाइटियों और अतिक्रमण प्रभावित क्षेत्रों को पुनर्विकास के लिए प्राथमिकता दी जाएगी।
मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि नई नीति का मसौदा तैयार करते समय जनप्रतिनिधियों, स्थानीय निकायों और आम नागरिकों के सुझावों को सम्मिलित किया जाए और अंतिम प्रस्ताव को शीघ्र मंत्रिपरिषद की मंजूरी के लिए भेजा जाए।
वर्तमान भूमि शुल्क व्यवस्था की व्यवहारिकता पर सवाल उठाते हुए सीएम योगी ने कहा कि सभी प्रकार के भूमि उपयोग पर एकसमान दरें उचित नहीं हैं। नई व्यवस्था में स्थान और उपयोग के आधार पर शुल्क दरों में बदलाव किया जाएगा।
इसके अलावा, बाह्य विकास शुल्क की गणना प्रक्रिया को पारदर्शी और सरल बनाने के निर्देश भी दिए गए हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि शुल्क निर्धारण की प्रणाली ऐसी होनी चाहिए, जिसमें आम नागरिक बिना किसी जटिलता के ऑनलाइन माध्यम से स्वयं शुल्क की गणना कर सके, और इसमें न्यूनतम मानवीय हस्तक्षेप हो।
Watch Video
Watch the full video for more details on this story.