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दिल्ली हाईकोर्ट ने डीपीएस द्वारका को दी राहत, पॉक्सो रिपोर्टिंग में देरी को नहीं माना अपराध

दिल्ली — दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली पब्लिक स्कूल (डीपीएस) द्वारका और उसके अधिकारियों के खिलाफ पॉक्सो एक्ट की धारा 21 के तहत दर्ज आरोपों को खारिज कर दिया है। अदालत ने कहा कि बाल यौन शोषण की सूचना देने में हुई कुछ घंटों की देरी को अपराध नहीं माना जा सकता, खासकर जब स्कूल ने घटना के तुरंत बाद आवश्यक कदम उठाए हों।

यह फैसला न्यायमूर्ति अमित महाजन ने सुनाया, जिन्होंने द्वारका की एक निचली अदालत द्वारा मार्च 2023 में दिए गए आदेश को रद्द कर दिया। निचली अदालत ने स्कूल पर यह आरोप लगाया था कि उसने संस्थान की छवि बचाने के प्रयास में पुलिस को समय पर सूचित नहीं किया और छात्रा की मानसिक स्थिति को नजरअंदाज किया।

क्या था मामला?

अप्रैल 2022 में डीपीएस द्वारका में आईडी कार्ड के लिए फोटो खिंचवाते समय, एक छात्रा ने फोटोग्राफर के सहायक पर अनुचित व्यवहार का आरोप लगाया। छात्रा ने तुरंत अपनी शिक्षिका को यह जानकारी दी, जिसके बाद स्कूल काउंसलर और वाइस प्रिंसिपल ने उससे बातचीत की।

स्कूल को सुबह 11:40 बजे घटना की जानकारी मिली, और दोपहर 1:15 बजे तक छात्रा की मां को सूचित कर दिया गया। मां ने करीब 2:58 बजे पुलिस में शिकायत दर्ज कराई, जिसके आधार पर पॉक्सो की धारा 10 के तहत एफआईआर दर्ज हुई।

निचली अदालत ने क्या कहा था?

द्वारका सेशंस कोर्ट ने मार्च 2023 में कहा था कि स्कूल ने मामले को गंभीरता से लेने के बजाय अपनी साख बचाने पर ज़्यादा ध्यान दिया। कोर्ट ने यह भी कहा था कि सूचना देने में देरी से छात्रा को मानसिक रूप से आघात पहुंचा। इसी आधार पर स्कूल अधिकारियों पर पॉक्सो की धारा 21 के तहत आरोप तय किए गए थे।

हाईकोर्ट ने क्या कहा?

हाईकोर्ट ने कहा कि पॉक्सो एक्ट की धाराएं 19 और 21 में रिपोर्टिंग के लिए कोई सख्त समयसीमा नहीं तय की गई है। कोर्ट ने दिल्ली बाल अधिकार संरक्षण आयोग की 2013 की गाइडलाइंस का हवाला देते हुए कहा कि घटना की सूचना के 24 घंटे के भीतर जांच शुरू करना और 48 घंटे में पुलिस को सूचित करना पर्याप्त माना जाता है।

न्यायमूर्ति महाजन ने कहा, “स्कूल ने निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार चाइल्ड एब्यूज मॉनिटरिंग कमिटी गठित की, आंतरिक जांच की और फिर परिजनों को सूचित किया। इस प्रक्रिया में कोई लापरवाही नहीं दिखती। देरी जानबूझकर नहीं थी और न ही इससे कोई सबूत नष्ट हुआ।”

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