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News : क्या सच में मरीन ट्रेनर जेसिका रैडक्लिफ को व्हेल ने मार डाला? जानिए वायरल वीडियो की पूरी सच्चाई!

News : हाल ही में सोशल मीडिया पर एक वीडियो ने सनसनी मचा दी थी, जिसमें कथित तौर पर 'जेसिका रैडक्लिफ़' नाम की एक मरीन ट्रेनर को एक किलर व्हेल (ओर्का) द्वारा पानी के अंदर खींचकर मारते हुए दिखाया गया था।

यह वीडियो, जिसने टिकटॉक, फेसबुक, और एक्स जैसे प्लेटफॉर्म्स पर लाखों व्यूज हासिल किए, लोगों के बीच डर और सहानुभूति का माहौल पैदा कर रहा था। हालांकि, अब सच्चाई सामने आ गई है कि यह वीडियो पूरी तरह से नकली है और इसे कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) का उपयोग करके बनाया गया है।

वीडियो में दिखाई गई घटना, ट्रेनर का नाम, और यहाँ तक कि 'पैसिफिक ब्लू मरीन पार्क' नाम का स्थान भी काल्पनिक है। कई प्रमुख फैक्ट-चेकिंग प्लेटफॉर्म्स ने इस बात की पुष्टि की है कि न तो 'जेसिका रैडक्लिफ़' नाम की कोई ट्रेनर मौजूद है और न ही किसी ऐसे पार्क में ऐसी कोई घटना हुई है।

News : एआई तकनीक का इस्तेमाल और विश्वसनीयता की कमी

इस वीडियो को बनाने के लिए एआई तकनीक का सहारा लिया गया है। वीडियो में दिख रही लहरों की असामान्य मूवमेंट, बीच-बीच में अचानक आने वाले ठहराव और आवाज का बेमेल टोन, ये सभी इस बात के स्पष्ट संकेत हैं कि यह वीडियो कंप्यूटर द्वारा जनरेट किया गया है।

फोर्ब्स और द इकोनॉमिक टाइम्स जैसी प्रतिष्ठित मीडिया रिपोर्ट्स ने भी इस बात पर जोर दिया है कि अगर ऐसा कोई वास्तविक हादसा हुआ होता, तो यह निश्चित रूप से अंतरराष्ट्रीय सुर्खियों में होता।

उन्होंने 2010 में सीवर्ल्ड में डॉन ब्रांच्यू और 2009 में एलेक्सिस मार्टिनेज की मौत जैसी वास्तविक घटनाओं का हवाला दिया, जो विश्व स्तर पर चर्चा का विषय बनी थीं। 'जेसिका रैडक्लिफ़' की कहानी का कोई सबूत मौजूद नहीं है, जिससे यह साबित होता है कि यह सिर्फ एक मनगढ़ंत कहानी है।

News : पुरानी घटनाओं का सहारा लेकर भ्रम फैलाना

ऐसे फर्जी वीडियो अक्सर विश्वसनीयता हासिल करने के लिए सच्ची घटनाओं का सहारा लेते हैं। इस मामले में भी, डॉन ब्रांच्यू और एलेक्सिस मार्टिनेज की वास्तविक और दुखद मौतों की कहानियों का उपयोग इस नकली वीडियो को विश्वसनीय बनाने के लिए किया गया। इस तरह, लोग आसानी से भावनाओं में बहकर इसे सच मान लेते हैं और इसे दूसरों के साथ साझा करते हैं, जिससे यह तेजी से वायरल हो जाता है।

News : ऐसे झूठे वीडियो क्यों फैलते हैं?

विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह के वीडियो लोगों की भावनाओं को गहराई से प्रभावित करते हैं और मरीन एनिमल्स को कैद में रखने के नैतिक सवालों को उजागर करते हैं। वीडियो की प्रभावशाली गुणवत्ता और भावनात्मक प्रभाव इसे तेजी से वायरल होने में मदद करते हैं।

सच्चाई सामने आने से पहले ही यह वीडियो लाखों लोगों तक पहुंच चुका होता है, जिससे गलत सूचना का व्यापक प्रसार होता है। यह घटना हमें यह याद दिलाती है कि डिजिटल युग में, हमें हर वायरल वीडियो पर भरोसा नहीं करना चाहिए और उसकी सत्यता की जांच करना बेहद जरूरी है।

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