Mathura : बेसिक शिक्षा विभाग में रिश्वतखोरी का बड़ा खेल, DC पर 25% घूस मांगने का आरोप!
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार और केंद्र की मोदी सरकार भले ही 'डबल इंजन' की ताकत से भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की नीति का ढिंढोरा पीट रही हो, लेकिन जमीनी हकीकत इसके उलट नजर आ रही है। ताजा मामला कृष्ण नगरी मथुरा के बेसिक शिक्षा विभाग से सामने आया है, जहाँ सरकारी अधिकारियों के 'कमीशन तंत्र' ने सरकार की साख पर बट्टा लगा दिया है।
मिली जानकारी के अनुसार, मथुरा मंडल के बेसिक शिक्षा विभाग में तैनात डिस्ट्रिक्ट कोऑर्डिनेटर (DC) नवीन चौधरी पर रिश्वतखोरी के गंभीर आरोप लगे हैं। आरोप है कि स्कूलों में फर्नीचर आपूर्ति के लिए जारी किए गए टेंडर और उनके रनिंग बिलों को पास करने के एवज में 25% की मोटी रिश्वत मांगी जा रही है।
यह चौंकाने वाला है कि जहाँ एक तरफ सरकार डिजिटलीकरण और पारदर्शिता की बात करती है, वहीं विभाग के भीतर ही खुलेआम वसूली का खेल चल रहा है।
मथुरा का यह मामला शासन की नाक के नीचे चल रहे उस सिंडिकेट की पोल खोलता है, जो विकास कार्यों के बजट का एक बड़ा हिस्सा अपनी जेबों में भरने की ताक में रहता है। स्थानीय स्तर पर चर्चा है कि यदि फर्नीचर आपूर्ति जैसे बुनियादी कार्यों में भी 25 प्रतिशत तक कमीशन मांगा जाएगा, तो सामग्री की गुणवत्ता क्या होगी, इसका अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बार-बार मंचों से यह घोषणा करते आए हैं कि भ्रष्टाचारी या तो जेल जाएंगे या प्रदेश छोड़कर भागेंगे। लेकिन मथुरा बेसिक शिक्षा विभाग का यह प्रकरण कुछ और ही कहानी बयां कर रहा है।
इस मामले के सामने आने के बाद अब देखना यह होगा कि शिक्षा विभाग और प्रदेश सरकार इस पर क्या कार्रवाई करती है। क्या आरोपी अधिकारी के खिलाफ जांच बिठाई जाएगी या फिर इस मामले को भी कागजी कार्यवाहियों के नीचे दबा दिया जाएगा?
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