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महाकौथिग में बोले मुख्यमंत्री धामी: प्रवासी उत्तराखंडी हैं राज्य के ब्रांड एंबेसडर

देहरादून/दिल्ली: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा है कि राज्य से बाहर रह रहे प्रवासी उत्तराखंडी आज भी अपनी लोक संस्कृति, परंपराओं और विरासत को पूरी निष्ठा से संजोए हुए हैं, जो पूरे उत्तराखंड के लिए गर्व का विषय है। उन्होंने कहा कि पर्वतीय सांस्कृतिक संस्था से जुड़े प्रवासी उत्तराखंडवासी वास्तव में राज्य के “ब्रांड एंबेसडर” की भूमिका निभा रहे हैं, जो देश और दुनिया में उत्तराखंड की पहचान को मजबूत कर रहे हैं।

मुख्यमंत्री शनिवार को उत्तर प्रदेश के गौतमबुद्ध नगर स्थित नोएडा स्टेडियम में पर्वतीय सांस्कृतिक संस्था द्वारा आयोजित सात दिवसीय महाकौथिग सांस्कृतिक महोत्सव में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि महाकौथिग केवल एक सांस्कृतिक आयोजन नहीं है, बल्कि यह उत्तराखंड की आत्मा को जीवंत रूप में प्रस्तुत करने वाला मंच है, जो लोक संस्कृति, परंपराओं और मूल्यों को नई पीढ़ी तक पहुंचाने का कार्य कर रहा है।

मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि ऐसे आयोजन उत्तराखंड की लोक कला, पारंपरिक वेशभूषा, लोक संगीत, नृत्य, हस्तशिल्प और पहाड़ी उत्पादों को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। उन्होंने विशेष रूप से बद्री गाय के शुद्ध घी, मिलेट्स, जैविक उत्पादों और पारंपरिक पहाड़ी खाद्य पदार्थों का उल्लेख करते हुए कहा कि महाकौथिग जैसे मंचों से इन उत्पादों को न केवल बेहतर बाजार मिल रहा है, बल्कि उन्हें सम्मान और पहचान भी प्राप्त हो रही है।

राज्य सरकार की उपलब्धियों का जिक्र करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड ने किसानों की आय वृद्धि के क्षेत्र में देश में प्रथम स्थान प्राप्त किया है। इसके साथ ही मत्स्य विकास के क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए राज्य को राष्ट्रीय स्तर पर सर्वश्रेष्ठ राज्य का पुरस्कार भी मिला है। उन्होंने बताया कि नीति आयोग की एसडीजी इंडेक्स रिपोर्ट में सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) की प्राप्ति में भी उत्तराखंड ने प्रथम स्थान हासिल किया है, जो राज्य के समग्र विकास का प्रमाण है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए कई बड़ी परियोजनाओं पर तेजी से काम कर रही है। इनमें दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेसवे, भारतमाला परियोजना, पर्वतमाला योजना, अमृत योजना, ऑल वेदर रोड परियोजना, उड़ान योजना और ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना प्रमुख हैं। उन्होंने कहा कि इन परियोजनाओं से न केवल कनेक्टिविटी बेहतर होगी, बल्कि पर्यटन, रोजगार और आर्थिक विकास को भी नई गति मिलेगी।

महाकौथिग जैसे आयोजनों की सराहना करते हुए मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि यह केवल संस्कृति के संरक्षण का माध्यम नहीं है, बल्कि यह प्रवासी उत्तराखंडवासियों को एकता के सूत्र में बांधने का भी कार्य करता है। राज्य से बाहर रहकर भी अपनी जड़ों से जुड़े रहना और नई पीढ़ी को अपनी संस्कृति से परिचित कराना समाज के लिए अत्यंत आवश्यक है।

उन्होंने पर्वतीय सांस्कृतिक संस्था की भूमिका की प्रशंसा करते हुए कहा कि संस्था वर्षों से उत्तराखंड की संस्कृति, परंपराओं और लोक विरासत को जीवित रखने के लिए निरंतर कार्य कर रही है। इस प्रकार के आयोजनों से युवाओं में अपनी सांस्कृतिक पहचान को लेकर गर्व की भावना विकसित होती है और वे अपनी जड़ों से जुड़े रहते हैं।

कार्यक्रम में नोएडा के सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ. महेश शर्मा ने भी महाकौथिग की सराहना करते हुए कहा कि यह आयोजन उत्तराखंड की सांस्कृतिक विविधता को दर्शाने का एक सशक्त माध्यम है। पर्वतीय सांस्कृतिक संस्था की संस्थापक कल्पना चौहान, चेयरमैन आदित्य घिल्डियाल, अध्यक्ष हरीश असवाल और मुख्य संयोजक राजेंद्र चौहान ने भी आयोजन के उद्देश्यों और उपलब्धियों की जानकारी दी।

महाकौथिग में बड़ी संख्या में प्रवासी उत्तराखंडी परिवारों की उपस्थिति देखने को मिली। लोक नृत्य, लोकगीत, पारंपरिक व्यंजन और हस्तशिल्प स्टॉल्स ने पूरे आयोजन को जीवंत बना दिया। मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार भविष्य में भी ऐसे सांस्कृतिक आयोजनों को हरसंभव सहयोग देती रहेगी, ताकि उत्तराखंड की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को वैश्विक पहचान मिल सके।

 

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