News : कांवड़ यात्रा की तैयारियों के बीच उत्तराखंड के हरिद्वार से एक विवादित बयान सामने आया है, जिसने धार्मिक और सामाजिक माहौल को गरमा दिया है।
साधु समाज से जुड़े स्वामी यशवीर महाराज ने कहा है कि “हरिद्वार से कांवड़ न खरीदें, क्योंकि 90 फीसदी कांवड़ मुस्लिम समुदाय के लोग बनाते हैं।”
उनके इस बयान ने न सिर्फ राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है, बल्कि सामाजिक संगठनों में भी नाराजगी की लहर दौड़ गई है।
News : क्या कहा स्वामी यशवीर महाराज ने?
स्वामी यशवीर महाराज ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि, “हरिद्वार जैसे पवित्र तीर्थ स्थान में कांवड़ यात्रा के नाम पर व्यापार और धर्म का अपमान हो रहा है। 90 फीसदी कांवड़ मुस्लिम कारीगरों द्वारा तैयार किए जा रहे हैं। हमें यह समझना होगा कि सनातन संस्कृति के प्रतीक को उन लोगों के हाथों तैयार नहीं कराना चाहिए जो हमारे धर्म को नहीं मानते।”
उन्होंने लोगों से अपील की कि वे कांवड़ की खरीदारी सोच-समझकर करें और केवल हिंदू कारीगरों से बनी कांवड़ का ही उपयोग करें।
News : बयान पर मचा बवाल
स्वामी यशवीर महाराज के बयान के बाद राजनीतिक दलों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने तीखी प्रतिक्रियाएं दी हैं। कई नेताओं ने इसे धार्मिक उन्माद फैलाने वाला बयान करार दिया है और कहा कि इससे समाज में विभाजन और नफरत को बढ़ावा मिलेगा।
कांग्रेस नेता सुरेश जोशी ने कहा, “ऐसे बयान देश की गंगा-जमुनी तहज़ीब के खिलाफ हैं। हरिद्वार एक धार्मिक स्थल है जहां सभी धर्मों के लोग मिलकर काम करते हैं। मुस्लिम समुदाय के कारीगर सालों से कांवड़ बनाते आ रहे हैं, और इसमें कोई बुराई नहीं है।”
सामाजिक कार्यकर्ता शबनम बानो ने कहा, “यह बयान धार्मिक भेदभाव और रोजगार पर चोट करने वाला है। अगर किसी मुस्लिम कारीगर की रोज़ी-रोटी कांवड़ बनाने से चलती है, तो उसमें गलत क्या है?”
News : व्यापारियों की चिंता बढ़ी
हरिद्वार के स्थानीय व्यापारियों में भी इस बयान को लेकर बेचैनी है। कांवड़ यात्रा के दौरान लाखों श्रद्धालु हरिद्वार पहुंचते हैं, और कांवड़, झंडे, जल कलश, गंगाजल, और पूजा सामग्री की भारी बिक्री होती है।
हरिद्वार व्यापार मंडल के अध्यक्ष प्रमोद अग्रवाल ने कहा,”यहाँ पर कई वर्षों से सभी धर्मों के कारीगर मिलकर कांवड़ तैयार करते हैं। व्यापार में धर्म नहीं देखा जाता, केवल गुणवत्ता और मेहनत देखी जाती है। इस तरह के बयानों से हमारी बिक्री पर असर पड़ सकता है।”
News : प्रशासन की प्रतिक्रिया
बयान को लेकर प्रशासन भी सतर्क हो गया है। हरिद्वार के डीएम और एसएसपी ने मिलकर बैठक की और कहा कि यात्रा के दौरान किसी भी तरह की सांप्रदायिक तनाव की स्थिति नहीं बनने दी जाएगी।
प्रशासन ने यह भी स्पष्ट किया कि कांवड़ यात्रा में सभी धर्मों के लोगों की सहभागिता रही है, और किसी भी समुदाय के खिलाफ भड़काऊ बयान बर्दाश्त नहीं किए जाएंगे।
News : कांवड़ यात्रा की पवित्रता पर सवाल
हर साल सावन महीने में कांवड़ यात्रा में लाखों शिवभक्त भाग लेते हैं। वे गंगाजल लेकर अपने-अपने क्षेत्र के शिव मंदिरों में जलाभिषेक करते हैं। यह यात्रा उत्तर भारत के प्रमुख धार्मिक आयोजनों में से एक है।
स्वामी यशवीर महाराज के बयान से यह सवाल उठने लगे हैं कि क्या इस यात्रा की पवित्रता को धार्मिक आधार पर बांटना उचित है? क्या धर्म और रोजगार को आपस में जोड़ना न्यायोचित है?
जहां एक ओर स्वामी यशवीर महाराज का बयान हिंदू धर्म की शुद्धता के नाम पर दिया गया प्रतीत होता है, वहीं दूसरी ओर यह सामाजिक और सांप्रदायिक सद्भाव पर आघात करता नजर आता है। हरिद्वार जैसे धार्मिक नगरी में जहां सभी धर्मों के लोग मिलजुल कर काम करते हैं, वहां इस प्रकार के बयान माहौल को विषाक्त कर सकते हैं।
अब देखना होगा कि प्रशासन इस पर क्या कदम उठाता है और साधु-संतों का समाज इस पर किस तरह की प्रतिक्रिया देता है। लेकिन एक बात तो साफ है – कांवड़ यात्रा की पवित्रता को राजनीति और धर्म की सीमाओं में नहीं बांधा जाना चाहिए।
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