रुड़की में रिश्वतखोरी के दो बड़े मामले उजागर, मेयर-नगर आयुक्त की संलिप्तता का आरोप!
उत्तराखंड में 'डबल इंजन' सरकार, जो भ्रष्टाचार पर 'जीरो टॉलरेंस' का दावा करती है, उसकी नाक के नीचे ही रिश्वतखोरी का धंधा फल-फूल रहा है। यह स्थिति सरकार की भ्रष्टाचार विरोधी नीतियों की प्रभावशीलता पर गंभीर सवाल खड़े करती है। हाल ही में रुड़की से सामने आए दो अलग-अलग मामले इस बात की पुष्टि करते हैं कि कैसे कुछ सरकारी अधिकारी और निर्वाचित प्रतिनिधि मिलीभगत कर जनता के पैसे का दुरुपयोग कर रहे हैं।
रुड़की में रिश्वतखोरी के दो बड़े मामले उजागर
पहला मामला रुड़की के स्वास्थ्य विभाग से जुड़ा है, जहाँ कीटनाशकों की आपूर्ति के बिलों पर 20 से 23 प्रतिशत तक की भारी कमीशन की मांग की जा रही है। इस मामले में वरिष्ठ लिपिक राजीव भटनागर मुख्य आरोपी के तौर पर सामने आए हैं। हालांकि, रिपोर्टों के अनुसार, वह अकेले नहीं हैं; इस भ्रष्टाचार के खेल में रुड़की के नगर आयुक्त, मुख्य नगर चिकित्सा अधिकारी (चीफ सिटी मेडिकल ऑफिसर), और यहाँ तक कि रुड़की की मेयर भी शामिल बताई जा रही हैं।
यह एक संगठित गिरोह की ओर इशारा करता है, जहाँ उच्च पदों पर बैठे लोग मिलकर जनता के हित के बजाय अपनी जेबें भरने में लगे हैं। कीटनाशकों की खरीद में कमीशनखोरी का सीधा असर जन स्वास्थ्य पर पड़ सकता है, क्योंकि इससे घटिया गुणवत्ता वाले उत्पादों की खरीद की संभावना बढ़ जाती है, जिससे बीमारी और संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है।
Rajeev Bhatnagar Video : https://youtu.be/bsiio5yljVI
दूसरा मामला रुड़की के सिविल नगर निगम से संबंधित है। यहाँ AE प्रेम कुमार शर्मा पर 2.25 करोड़ रुपये के टेंडर के 'रनिंग बिल्स' पर 15 प्रतिशत कमीशन की मांग करने का आरोप है। इस मामले में भी नगर आयुक्त और मेयर की संलिप्तता बताई जा रही है। टेंडर प्रक्रिया में रिश्वतखोरी से न केवल सरकारी खजाने को चूना लगता है, बल्कि विकास कार्यों की गुणवत्ता भी प्रभावित होती है।
कमीशन देने के चक्कर में ठेकेदार अक्सर घटिया सामग्री का उपयोग करते हैं या काम में कोताही बरतते हैं, जिससे सार्वजनिक परियोजनाओं का उद्देश्य ही विफल हो जाता है। 2.25 करोड़ रुपये का टेंडर एक महत्वपूर्ण परियोजना को दर्शाता है, और इसमें 15% की कमीशन यानी लगभग 33.75 लाख रुपये की अवैध कमाई, सरकारी धन का बड़ा दुरुपयोग है।
AE Prem Kumar Sharma Video : https://youtu.be/yctAofsMgVo
'डबल इंजन' सरकार पर उठते सवाल
उत्तराखंड में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार और केंद्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार, दोनों ही लगातार भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी प्रतिबद्धता दोहराती रही हैं। 'डबल इंजन' सरकार का नारा सुशासन और पारदर्शिता का प्रतीक माना जाता है। ऐसे में, रुड़की जैसे शहरों में खुलेआम चल रहे रिश्वतखोरी के ये मामले इस नारे की विश्वसनीयता पर गंभीर सवाल खड़े करते हैं।
यह सोचने पर मजबूर करता है कि क्या सरकार की कथनी और करनी में फर्क है, या फिर निचले स्तर पर भ्रष्टाचार पर लगाम कसने में उसकी मशीनरी अक्षम साबित हो रही है। यदि मेयर और नगर आयुक्त जैसे शीर्ष स्थानीय अधिकारी भी इन घूसखोरी के मामलों में शामिल पाए जाते हैं, तो यह सरकारी तंत्र में जड़ तक फैले भ्रष्टाचार को दर्शाता है।
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