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Uttarakhand : बदलेगी 550 सरकारी स्कूलों की सूरत, कई उद्योगपति लेंगे गोद!

Uttarakhand : उत्तराखंड के 550 सरकारी स्कूलों की सूरत जल्द ही बदलने वाली है, क्योंकि राज्य सरकार ने इन स्कूलों को कॉरपोरेट समूहों द्वारा गोद लेने की एक महत्वाकांक्षी योजना तैयार की है।

शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने मीडिया को जानकारी देते हुए बताया कि 30 जुलाई को देहरादून में एक महत्वपूर्ण समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए जाएंगे, जिसमें उत्तराखंड के विभिन्न उद्योग समूह और शिक्षा विभाग शामिल होंगे। इस पहल का उद्देश्य राज्य में शिक्षा के आधुनिकीकरण और बेहतर शैक्षणिक माहौल प्रदान करना है।

Uttarakhand : 'डबल इंजन' सरकार के बावजूद रिश्वतखोरी पर सवाल

यहां यह उल्लेखनीय है कि उत्तराखंड में धामी सरकार और केंद्र में मोदी सरकार, दोनों ही 'डबल इंजन' की सरकारें भ्रष्टाचार के प्रति ज़ीरो टॉलरेंस का दावा करती आई हैं। बावजूद इसके, उनके नाक के नीचे रिश्वतखोरी का धंधा फल-फूल रहा है, जो एक गंभीर चिंता का विषय है।

हाल ही में रुड़की के स्वास्थ्य विभाग से सामने आए एक ताजा मामले में, वरिष्ठ लिपिक राजीव भटनागर पर कीटनाशकों की सप्लाई के बिलों पर 20 से 23 प्रतिशत तक कमीशन मांगने का आरोप है। इससे भी अधिक चौंकाने वाली बात यह है कि इस रिश्वतखोरी में रुड़की के नगर आयुक्त, मुख्य नगर चिकित्सा अधिकारी (चीफ सिटी मेडिकल ऑफिसर), नगर निगम, और यहां तक कि रुड़की की मेयर भी शामिल बताई जा रही हैं।

यह स्थिति सरकारी दावों और जमीनी हकीकत के बीच के अंतर को दर्शाती है। जहां सरकार एक ओर शिक्षा जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्र में सुधार के लिए उद्योगपतियों के साथ हाथ मिला रही है, वहीं दूसरी ओर कुछ विभागों में व्याप्त भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने में विफल साबित हो रही है। 'नेशन वन' जैसे मीडिया संगठन ऐसे मामलों को प्रमुखता से उठाते रहे हैं, जिससे भ्रष्ट चेहरों पर पड़े नकाब हट सकें।

Uttarakhand : शिक्षा में आधुनिकीकरण और कॉरपोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (CSR) का संगम

शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत के अनुसार, राज्यपाल और मुख्यमंत्री की उपस्थिति में होने वाले इस एमओयू के तहत, 550 सरकारी स्कूलों को प्रवासी भारतीयों सहित कॉरपोरेट समूहों से जोड़ा जा रहा है। इस पहल के पीछे सरकार का स्पष्ट दृष्टिकोण है कि उद्योग जगत के सीएसआर (कॉरपोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व) फंड का उपयोग कर स्कूलों में मूलभूत सुविधाओं और शैक्षणिक गुणवत्ता में सुधार लाया जाए।

इनमें से अधिकांश स्कूल पर्वतीय क्षेत्रों के होंगे, ताकि विषम भौगोलिक परिस्थितियों के बीच शिक्षा प्राप्त कर रहे बच्चों को बेहतर अवसर मिल सकें। कॉरपोरेट समूहों के सहयोग से स्कूलों में मॉडल क्लासरूम, कंप्यूटर लैब, साइंस लैब, पुस्तकालय, फर्नीचर, आधुनिक शौचालय, खेल सामग्री, खेल के मैदान और चहारदीवारी जैसी आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी।

यह एक अभिनव प्रयोग है जहाँ प्रत्येक उद्योग समूह या प्रवासी एक स्कूल को गोद लेगा, जिससे व्यक्तिगत स्तर पर ध्यान दिया जा सके। 30 जुलाई को 550 उद्योगपति इस एमओयू पर हस्ताक्षर करने के लिए देहरादून पहुंच रहे हैं, जो इस योजना की गंभीरता और व्यापकता को दर्शाता है।

Uttarakhand : राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (NEP-2020) के 5 साल और उत्तराखंड के नवाचार

यह घोषणा ऐसे समय में हुई है जब राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (NEP-2020) के पांच साल पूरे होने वाले हैं। शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने सोमवार को इस’, नीति के तहत राज्य में किए गए प्रयोगों और नवाचारों का विस्तृत ब्योरा भी जारी किया। डॉ. रावत ने बताया कि NEP-2020 के अनुरूप, उत्तराखंड में शिक्षा के क्षेत्र में बुनियादी बदलाव किए गए हैं।

उन्होंने उल्लेख किया कि प्रदेश में ई-एजुकेशन का दायरा लगातार बढ़ाया जा रहा है। शिक्षा में नवाचार और कौशल विकास को प्राथमिकता दी गई है, जिससे छात्रों को केवल किताबी ज्ञान तक सीमित न रखकर व्यावहारिक और कौशल-आधारित शिक्षा भी मिल सके। "बस्ते का बोझ कम कर" स्कूलों को ई-एजुकेशन से जोड़ने की दिशा में महत्वपूर्ण काम किया गया है, और इसका दायरा और भी बढ़ाया जा रहा है।

पिछले पांच वर्षों में, ऑनलाइन शिक्षण पद्धति के लिए 45,000 शिक्षकों को प्रशिक्षित किया गया है, जिससे वे आधुनिक शिक्षण तकनीकों का उपयोग कर सकें। इसके अतिरिक्त, एक एआई (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) आधारित विद्या समीक्षा केंद्र स्थापित किया गया है, जिसने छात्रों के ऑनलाइन मूल्यांकन की एक प्रभावी प्रणाली विकसित की है।

निदेशक-एआरटी वंदना गर्ग्याल ने भी पुष्टि की कि NEP के तहत प्रदेश में कई नवाचार किए जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय स्तर के पाठ्यक्रम के साथ-साथ राज्य की विशिष्टताओं को भी पाठ्यक्रम में शामिल किया जा रहा है, ताकि शिक्षा स्थानीय संस्कृति और आवश्यकताओं के अनुरूप हो सके।

यह पहल उत्तराखंड के सरकारी स्कूलों के लिए एक नया सवेरा ला सकती है, जहाँ निजी क्षेत्र का सहयोग और सरकारी नीतियां मिलकर एक मजबूत और आधुनिक शिक्षा प्रणाली का निर्माण कर सकती हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि यह योजना जमीनी स्तर पर कितनी सफल होती है और क्या यह अन्य राज्यों के लिए एक मॉडल बन पाती है।

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