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Uttarakhand : अवैध नशा मुक्ति केंद्रों पर शिकंजा, सरकार की सख्त कार्रवाई की तैयारी!

Uttarakhand : उत्तराखंड सरकार ने प्रदेश में गैर-पंजीकृत और मानकों के विपरीत चल रहे नशा मुक्ति केंद्रों (रिहैबिलिटेशन सेंटर) पर नकेल कसने का फैसला किया है। अब ऐसे केंद्रों के खिलाफ स्वास्थ्य विभाग और पुलिस मिलकर संयुक्त कार्रवाई करेंगे।

सरकार का यह कदम मरीजों की देखरेख, मानसिक स्वास्थ्य और पुनर्वास की गुणवत्ता सुनिश्चित करने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।

Uttarakhand : अवैध केंद्रों पर लंबे समय से सवाल

उत्तराखंड में लंबे समय से ऐसे कई नशा मुक्ति केंद्र संचालित हो रहे हैं जो न तो निर्धारित मानकों को पूरा करते हैं और न ही उनके पास संचालन के लिए वैध पंजीकरण है। इन केंद्रों में भर्ती मरीजों की देखरेख की गुणवत्ता, उनके मानसिक स्वास्थ्य की स्थिति और उनके सफल पुनर्वास की प्रक्रिया हमेशा सवालों के घेरे में रही है।

कई बार ऐसी खबरें भी सामने आई हैं जहाँ इन केंद्रों में मरीजों के साथ दुर्व्यवहार या उन्हें उचित चिकित्सा सुविधा न मिलने की शिकायतें मिली हैं। यह स्थिति न केवल मरीजों के लिए खतरनाक है, बल्कि नशा मुक्ति जैसे संवेदनशील क्षेत्र में कार्यरत वैध और ईमानदार संस्थानों की छवि को भी धूमिल करती है।

Uttarakhand : संयुक्त कार्रवाई की रणनीति तैयार

इस गंभीर समस्या से निपटने के लिए, सोमवार को राज्य मानसिक स्वास्थ्य प्राधिकरण और स्टेट टास्क फोर्स (एसटीएफ) की एक महत्वपूर्ण बैठक हुई। इस बैठक का मुख्य उद्देश्य प्रदेश में चल रहे गैर-पंजीकृत नशा मुक्ति केंद्रों की पहचान करना, उनकी जांच करना और उनके खिलाफ प्रभावी कार्रवाई की रणनीति तैयार करना था।

बैठक में मौजूद अधिकारियों ने इस बात पर जोर दिया कि ऐसे केंद्रों को तुरंत बंद किया जाए और दोषियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाए। यह दर्शाता है कि सरकार इस मुद्दे को लेकर कितनी गंभीर है और किसी भी प्रकार की लापरवाही को बर्दाश्त करने के मूड में नहीं है।

Uttarakhand : स्वास्थ्य सचिव डॉ. आर. राजेश कुमार के सख्त निर्देश

स्वास्थ्य सचिव डॉ. आर. राजेश कुमार ने बैठक में स्पष्ट निर्देश दिए कि राज्य में संचालित सभी नशा मुक्ति केंद्रों की निरंतर निगरानी की जाए। उन्होंने कहा कि जो भी केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित न्यूनतम मानकों को पूरा नहीं कर रहे हैं, उन पर त्वरित और सख्त कार्रवाई की जाए।

डॉ. कुमार के ये निर्देश यह सुनिश्चित करने के लिए हैं कि मरीजों को सुरक्षित और गुणवत्तापूर्ण वातावरण मिले, जहाँ उनका सही तरीके से इलाज और पुनर्वास हो सके। मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं और पुनर्वास केंद्रों की गुणवत्ता से कोई समझौता नहीं किया जाएगा, यह राज्य सरकार की साफ मंशा है।

यह भी उम्मीद की जा रही है कि इस कार्रवाई से अवैध रूप से चल रहे केंद्रों पर लगाम लगेगी और केवल मान्यता प्राप्त तथा गुणवत्तापूर्ण सुविधाएं प्रदान करने वाले केंद्र ही संचालित हो सकेंगे।

Uttarakhand : बैठक में प्रमुख अधिकारियों की उपस्थिति

इस महत्वपूर्ण बैठक में एसटीएफ के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक नवनीत सिंह, राज्य मानसिक स्वास्थ्य प्राधिकरण से संयुक्त निदेशक डॉ. एसडी बर्मन, और सहायक निदेशक डॉ. पंकज सिंह सहित कई वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे।

इन अधिकारियों की उपस्थिति से यह स्पष्ट होता है कि इस मुद्दे पर पुलिस और स्वास्थ्य विभाग दोनों मिलकर काम करेंगे, जिससे प्रभावी और समन्वित कार्रवाई सुनिश्चित की जा सके। एसटीएफ की भागीदारी यह भी दर्शाती है कि इस कार्रवाई में किसी भी प्रकार की अवैध गतिविधि को रोकने के लिए पुलिस बल का भी उपयोग किया जाएगा।

Uttarakhand : मरीजों का भविष्य और समाज पर प्रभाव

इस अभियान का सीधा असर उन हजारों मरीजों पर पड़ेगा जो विभिन्न नशा मुक्ति केंद्रों में अपना इलाज करा रहे हैं। यदि अवैध केंद्रों को बंद किया जाता है, तो इन मरीजों को वैध और सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित करने की चुनौती भी सामने आएगी। सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि किसी भी मरीज को नुकसान न हो और उन्हें अपनी उपचार प्रक्रिया जारी रखने के लिए उचित विकल्प मिलें।

यह कदम समाज में नशाखोरी की समस्या से निपटने के प्रयासों को भी मजबूत करेगा। जब वैध और विश्वसनीय नशा मुक्ति केंद्र उपलब्ध होंगे, तो लोग बिना किसी हिचकिचाहट के मदद के लिए आगे आएंगे।

यह सरकार के लिए एक अवसर भी है कि वह मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं और नशा मुक्ति के लिए एक मजबूत ढांचा तैयार करे, जिसमें पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित की जा सके। उम्मीद है कि यह अभियान उत्तराखंड को नशामुक्त बनाने की दिशा में एक मील का पत्थर साबित होगा।

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