Delhi : देश की राजधानी दिल्ली में पुलिस ने एक ऐसे फर्जी डिग्री रैकेट का पर्दाफाश किया है, जो बीते कई सालों से युवाओं को नकली डिग्रियां और प्रमाणपत्र बेचने का कारोबार कर रहा था।
इस गिरोह के पांच सदस्यों को गिरफ्तार किया गया है, जो विभिन्न राज्यों के छात्रों को फर्जी मार्कशीट, डिग्री और अन्य शैक्षणिक प्रमाणपत्र मुहैया करा रहे थे। पुलिस को छापेमारी के दौरान बड़ी संख्या में फर्जी डिग्रियां, लेटरहेड, नकली स्टांप और कंप्यूटर सिस्टम मिले हैं।
Delhi : कैसे हुआ भंडाफोड़?
दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच को इस गिरोह के बारे में गुप्त सूचना मिली थी कि कुछ लोग शैक्षणिक संस्थानों के नाम पर नकली प्रमाणपत्र तैयार कर रहे हैं और मोटी रकम लेकर छात्रों को बेचते हैं।
इसके बाद पुलिस ने एक टीम गठित कर जांच शुरू की। तकनीकी निगरानी और मुखबिरों की मदद से पुलिस को गिरोह के ठिकानों का पता चला और बीते बुधवार को दिल्ली के विभिन्न इलाकों में छापेमारी कर पांच लोगों को गिरफ्तार किया गया।
Delhi : क्या मिला पुलिस को?
पुलिस ने इस कार्रवाई में आरोपियों के कब्जे से निम्नलिखित सामान बरामद किया:
- लगभग 500 से ज्यादा फर्जी डिग्रियां और मार्कशीट
- 15 से अधिक यूनिवर्सिटियों और बोर्डों के नकली लेटरहेड
- नकली मोहरें और सील
- हाई क्वालिटी प्रिंटर और कंप्यूटर सिस्टम
- ग्राहकों की डिटेल वाले रजिस्टर और डिजिटल रिकॉर्ड्स
Delhi : कैसे करता था गिरोह काम?
पुलिस के अनुसार, यह गिरोह सोशल मीडिया और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के जरिए छात्रों से संपर्क करता था। जो छात्र किसी वजह से परीक्षा पास नहीं कर पाए या पढ़ाई पूरी नहीं कर सके, उनके लिए यह गिरोह “एक्सप्रेस सर्विस” के तहत 10,000 से लेकर 50,000 रुपये तक में फर्जी डिग्री और मार्कशीट तैयार करता था।
आरोपियों का दावा था कि उनके द्वारा दी गई डिग्रियां असली जैसी दिखती हैं और किसी भी सामान्य जांच में पकड़ में नहीं आतीं।
Delhi : कौन-कौन हुए गिरफ्तार?
गिरफ्तार किए गए आरोपियों की पहचान निम्नलिखित रूप में हुई है:
- राजीव शर्मा (मुख्य सरगना): कंप्यूटर ऑपरेटर रह चुका है और नकली डिग्री बनाने में एक्सपर्ट माना जाता है।
- अमित वर्मा: ग्राफिक डिजाइनिंग का काम जानता है और डिग्री डिज़ाइन में माहिर है।
- नीरज चौधरी: मार्केटिंग का काम करता था और ग्राहकों को लाता था।
- सुनीता देवी: ऑफिस का संचालन करती थी और नकली मोहरों का इस्तेमाल करती थी।
- शहजाद आलम: डेटा एंट्री और पैकेजिंग का जिम्मा संभालता था।
Delhi : क्या कहती है पुलिस?
दिल्ली पुलिस के क्राइम ब्रांच अधिकारी ने बताया कि, “यह सिर्फ एक शहर या राज्य तक सीमित नहीं था। इनके क्लाइंट दिल्ली, उत्तर प्रदेश, बिहार, हरियाणा, राजस्थान और यहां तक कि महाराष्ट्र से भी थे। शुरुआती जांच में पता चला है कि अब तक यह गिरोह करीब 2,000 से अधिक फर्जी डिग्रियां बेच चुका है।
पुलिस अब इस गिरोह के नेटवर्क को खंगाल रही है और यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि इनसे फर्जी डिग्री लेकर किन-किन लोगों ने नौकरियां पाई हैं या सरकारी दस्तावेजों में उपयोग किया है। इस पूरे मामले में कई और लोगों के शामिल होने की आशंका जताई जा रही है। पुलिस की टीमें अन्य राज्यों में भी छापेमारी की तैयारी में जुटी हैं।
Delhi : शिक्षा व्यवस्था पर उठे सवाल
इस मामले ने एक बार फिर भारत की शिक्षा व्यवस्था और प्रमाणपत्रों की वैधता को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। यदि इतने बड़े स्तर पर फर्जी डिग्रियां चलन में हैं, तो इससे न केवल योग्य उम्मीदवारों के अधिकार छिनते हैं बल्कि देश की सरकारी और निजी संस्थाओं की साख पर भी असर पड़ता है।
दिल्ली में फर्जी डिग्री गिरोह का भंडाफोड़ होना पुलिस के लिए बड़ी सफलता है, लेकिन यह घटनाएं दर्शाती हैं कि अभी भी ऐसे संगठित रैकेट शिक्षा के क्षेत्र में सक्रिय हैं। जरूरी है कि ऐसे मामलों में त्वरित कार्रवाई कर कड़ी सजा सुनिश्चित की जाए, ताकि भविष्य में कोई भी शिक्षा के नाम पर इस तरह की ठगी करने की हिम्मत न कर सके।
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