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दिवाली के बाद दम घोंटने लगी दिल्ली की हवा, तीन दिन में AQI 400 पार

नई दिल्ली- दिवाली की रोशनी के बाद दिल्ली-एनसीआर का आसमान धुएं से ढक गया है। त्योहार के कुछ ही दिनों बाद राजधानी की हवा बेहद जहरीली हो चुकी है। प्रदूषण का स्तर इतना बढ़ गया है कि कई इलाकों में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) ‘गंभीर’ श्रेणी में पहुंच गया है।

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के आंकड़ों के मुताबिक, गुरुवार सुबह आनंद विहार में AQI 428 दर्ज किया गया, जो वायु प्रदूषण की “सीवियर” श्रेणी में आता है। अक्षरधाम क्षेत्र में 350, इंडिया गेट के आसपास 353 और एम्स क्षेत्र में 342 तक पहुंचा स्तर हवा की गंभीर स्थिति को दर्शाता है।

बुधवार को औसत AQI 353 रहा, जबकि मंगलवार को यह 351 दर्ज किया गया था। कई इलाकों में यह 400 के पार पहुंच गया, जिससे राजधानी का अधिकांश भाग रेड ज़ोन में चला गया।

एनसीआर के अन्य शहरों में भी हालात कुछ बेहतर नहीं हैं। गाजियाबाद में गुरुवार सुबह AQI 175, नोएडा में 193 और ग्रेटर नोएडा में 183 दर्ज किया गया। बुधवार को ग्रेटर नोएडा का स्तर 308 तक जा पहुंचा था, जबकि नोएडा का सूचकांक 24 घंटे में 10 अंक बढ़कर 330 पर पहुंच गया। स्मॉग की मोटी परत के कारण पूरे दिन दृश्यता कम रही और लोगों को सांस लेने में परेशानी व आंखों में जलन जैसी दिक्कतों का सामना करना पड़ा।

स्थानीय निवासियों का कहना है कि प्रशासन की ओर से प्रदूषण नियंत्रण के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठाए गए।

त्योहार के दौरान की गई आतिशबाजी ने हवा में बारूद और धूलकणों की भारी मात्रा घोल दी। दिवाली की रात औसतन 333 का AQI दर्ज हुआ, जो अगले दिन भी 300 के पार बना रहा। वायु में मौजूद सूक्ष्म धूलकणों (PM 2.5) का स्तर बुधवार को 301 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर तक पहुंचा, जबकि PM 10 का स्तर 192 रहा — जो स्वास्थ्य के लिए बेहद हानिकारक है। इसी कारण जिला प्रशासन ने ग्रैप (GRAP) के दूसरे चरण को लागू कर दिया है।

CPCB की ताजा रिपोर्ट बताती है कि इस बार दिवाली के बाद दिल्ली में PM 2.5 का स्तर पिछले पांच वर्षों में सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच गया है। त्योहार से पहले जहां यह औसतन 156.6 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर था, वहीं दिवाली के 24 घंटे के भीतर यह बढ़कर 488 तक पहुंच गया — यानी तीन गुना से अधिक।

2021 से 2025 तक के डेटा विश्लेषण से पता चलता है कि दिवाली की रात और उसके अगले दिन वायु प्रदूषण हर साल तेजी से बढ़ा है। 2021 में जहां दिवाली के बाद PM 2.5 का स्तर 454.5 माइक्रोग्राम था, वहीं 2025 में यह 488 तक पहुंच गया।

हालांकि, इस साल पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने की घटनाओं में लगभग 77% की कमी दर्ज की गई है। विशेषज्ञों के मुताबिक, यह गिरावट मुख्य रूप से बाढ़ और फसल चक्र में देरी के कारण हुई। 1 से 12 अक्टूबर के बीच पराली जलाने में कमी के बावजूद, दिल्ली में पीएम 2.5 का स्तर सिर्फ 15.5% घटा — यानी प्रदूषण के अन्य स्रोत जैसे वाहन, निर्माण कार्य और आतिशबाजी ने स्थिति को और बिगाड़ दिया।

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