Crime : बांग्लादेश एक बार फिर अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा के मुद्दे पर अंतरराष्ट्रीय सुर्खियों में है। इस बार मामला बेहद गंभीर और अमानवीय है। कुमिल्ला जिले में एक हिंदू महिला के साथ सामूहिक बलात्कार के मामले ने पूरे देश को झकझोर दिया है।
जब इस वीभत्स कृत्य का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, तो न केवल देश में भारी आक्रोश पनपा बल्कि अल्पसंख्यक समुदाय के लोग सड़कों पर उतर आए और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की।
Crime : क्या है पूरा मामला?
घटना बांग्लादेश के कुमिल्ला जिले के मुरादनगर थाना क्षेत्र के रामचंद्रपुर पांचकिट्टा गांव की है। 26 जून 2025 की रात को एक 21 वर्षीय हिंदू महिला के घर में घुसकर पांच लोगों ने गैंगरेप की घटना को अंजाम दिया। पीड़िता का पति विदेश में कार्यरत है और वह अपने छोटे बच्चों के साथ अकेली रहती थी।
आरोप है कि स्थानीय राजनीतिक रसूख रखने वाला व्यक्ति फजोर अली और उसके साथियों ने पहले महिला को प्रताड़ित किया, फिर उसके साथ बलात्कार किया। इस घिनौनी हरकत को मोबाइल में रिकॉर्ड किया गया और बाद में वीडियो सोशल मीडिया पर डाल दिया गया, जिससे मामला और अधिक भड़क गया।
Crime : वीडियो वायरल होते ही भड़का जनाक्रोश
बलात्कार का वीडियो जैसे ही सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, पूरे देश में आक्रोश फैल गया। फेसबुक, ट्विटर (अब एक्स), इंस्टाग्राम और व्हाट्सऐप जैसे प्लेटफॉर्म पर वीडियो को लेकर गुस्से से भरे मैसेज और टिप्पणियां सामने आने लगीं। लोगों ने #JusticeForHinduWoman और #StopHinduGenocideInBangladesh जैसे हैशटैग ट्रेंड कराना शुरू कर दिया।
ढाका, चटगांव, राजशाही, खुलना और सिलहट जैसे बड़े शहरों में हिंदू समुदाय और अन्य अल्पसंख्यक संगठनों ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिए। खासकर ढाका यूनिवर्सिटी के जगन्नाथ हॉल में रहने वाले छात्रों ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए दोषियों को फांसी देने की मांग की।
कई जगहों पर प्रदर्शन उग्र हो गया, जहां प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच झड़पें भी देखने को मिलीं। हिंदू बौद्ध क्रिश्चियन यूनिटी काउंसिल ने इस घटना की कड़ी निंदा की और आरोप लगाया कि बांग्लादेश में हिंदू महिलाओं की सुरक्षा दिन-ब-दिन खराब होती जा रही है।
Crime : गिरफ्तारियां और पुलिस कार्रवाई
जनता के गुस्से और भारी दबाव के बाद पुलिस हरकत में आई और मुख्य आरोपी फजोर अली समेत पांच लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया। गिरफ्तार किए गए अन्य आरोपियों में वे लोग शामिल हैं जिन्होंने वीडियो रिकॉर्ड और वायरल किया था। पुलिस ने महिला एवं बाल उत्पीड़न निरोधक कानून के तहत मामला दर्ज किया है और फास्ट ट्रैक कोर्ट में सुनवाई की मांग की गई है।
मुरादनगर थाना प्रभारी ने बताया कि पीड़िता का मेडिकल परीक्षण हो चुका है और उसका बयान मजिस्ट्रेट के समक्ष दर्ज कर लिया गया है।
Crime : बांग्लादेश सरकार की प्रतिक्रिया
बांग्लादेश के गृह मंत्री असदुज्जमां खान ने घटना को “निर्मम और घृणित” बताया। उन्होंने कहा कि सरकार किसी भी धर्म, जाति या समुदाय की महिला के साथ इस तरह की बर्बरता को बर्दाश्त नहीं करेगी। सभी दोषियों को सख्त सजा दिलाने का आश्वासन भी दिया गया है।
हालांकि, विपक्षी पार्टियों ने सरकार पर अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने में विफल रहने का आरोप लगाया है। कुछ नेताओं ने कहा कि यह घटना कोई अपवाद नहीं बल्कि एक पैटर्न का हिस्सा है, जो पिछले कुछ वर्षों से बढ़ती असहिष्णुता और प्रशासनिक लापरवाही को दर्शाता है।
Crime : भारत और अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया
भारत में भी इस घटना को लेकर प्रतिक्रियाएं सामने आई हैं। कई हिंदू संगठनों ने बांग्लादेश उच्चायोग के बाहर विरोध प्रदर्शन किया और केंद्र सरकार से सख्त प्रतिक्रिया की मांग की। भारत के विदेश मंत्रालय ने भी घटना पर चिंता जताते हुए बांग्लादेश सरकार से अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की अपील की है।
अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन जैसे Amnesty International और Human Rights Watch ने भी घटना की निंदा करते हुए बांग्लादेश सरकार से जवाब मांगा है। उनका कहना है कि बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के साथ हो रहे अत्याचारों पर लगाम लगाने के लिए ठोस कदम उठाए जाने चाहिए।
यह पहली बार नहीं है जब बांग्लादेश में हिंदू समुदाय की महिलाओं के खिलाफ इस प्रकार का उत्पीड़न सामने आया है। पिछले कुछ वर्षों में ऐसी कई घटनाएं सामने आई हैं जिनमें हिंदू मंदिरों पर हमले, जबरन धर्मांतरण, और महिलाओं के साथ यौन हिंसा जैसे मामले शामिल हैं। लेकिन हर बार जांच और आश्वासन के बाद भी जमीनी हकीकत में कोई बड़ा सुधार नहीं हो पाया है।
कुमिल्ला की घटना ने एक बार फिर बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों की स्थिति पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। जब एक महिला अपने ही घर में सुरक्षित नहीं है, तो यह सरकार और समाज दोनों के लिए आत्ममंथन का विषय है। इस तरह की घटनाएं न केवल मानवता को शर्मसार करती हैं, बल्कि पूरे राष्ट्र की छवि को भी नुकसान पहुंचाती हैं।
अब देखने वाली बात यह होगी कि क्या सरकार इस बार वाकई दोषियों को सजा दिलाने में सफल होती है, या फिर यह मामला भी पुरानी घटनाओं की तरह धीरे-धीरे भुला दिया जाएगा। अल्पसंख्यक समुदाय की यही पुकार है—“सिर्फ आश्वासन नहीं, न्याय चाहिए।”
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