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News : NCERT ने तैयार किया अपना नया मॉड्यूल, देश के विभाजन के लिए तीन लोगों को बताया जिम्मेदार

News : राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) ने एक बार फिर अपने पाठ्यक्रम में बदलाव को लेकर विवाद खड़ा कर दिया है। परिषद ने हाल ही में 'विभाजन के दोषी' (The Guilty of Partition) नामक एक नया मॉड्यूल जारी किया है, जिसमें भारत के विभाजन के लिए मोहम्मद अली जिन्ना, लॉर्ड माउंटबेटन और कांग्रेस तीनों को जिम्मेदार ठहराया गया है। इस मॉड्यूल के जारी होने के बाद से ही कांग्रेस पार्टी ने तीखी प्रतिक्रिया दी है और इस कदम की आलोचना की है।

News : नए मॉड्यूल का उद्देश्य और सामग्री

एनसीईआरटी द्वारा यह मॉड्यूल दो अलग-अलग वर्गों के लिए बनाया गया है: एक छठी से आठवीं कक्षा के छात्रों के लिए और दूसरा नौवीं से बारहवीं कक्षा के लिए। इन मॉड्यूलों का उद्देश्य छात्रों को विभाजन के 'दर्द' और उसके ऐतिहासिक कारणों से अवगत कराना है। ये मॉड्यूल जल्द ही स्कूलों में वितरित किए जाएंगे और इन्हें सामाजिक विज्ञान के पाठ्यक्रम में शामिल किया जाएगा।

इस मॉड्यूल में तीन प्रमुख व्यक्तियों - जवाहरलाल नेहरू, मोहम्मद अली जिन्ना और लॉर्ड माउंटबेटन - की तस्वीरों को शामिल किया गया है, और उन्हें विभाजन की प्रक्रिया के लिए जिम्मेदार बताया गया है।

 * मोहम्मद अली जिन्ना: मॉड्यूल में कहा गया है कि जिन्ना ने अलग पाकिस्तान की मांग पर अड़े रहे। उनकी इस मांग के कारण ही देश का बंटवारा हुआ।

 * कांग्रेस: किताब में यह भी कहा गया है कि कांग्रेस ने जिन्ना की मांगों के आगे झुककर विभाजन को स्वीकार कर लिया, जिससे देश का बंटवारा हुआ।

 * लॉर्ड माउंटबेटन: माउंटबेटन को विभाजन की प्रक्रिया को पूरा करने के लिए जिम्मेदार ठहराया गया है।

किताब में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का एक उद्धरण भी शामिल किया गया है, जिसमें उन्होंने कहा है कि "विभाजन का दर्द कभी भुलाया नहीं जा सकता है।" इस उद्धरण का उपयोग इस बात पर जोर देने के लिए किया गया है कि विभाजन ने लाखों लोगों को विस्थापित किया और यह एक ऐसा घाव है जिसे कभी भरा नहीं जा सकता।

इसके अलावा, नेहरू के एक बयान का भी उल्लेख है, जिसमें उन्होंने कहा था कि आजादी के बाद देश के सामने या तो विभाजन को स्वीकार करने या फिर हिंसा और विवाद का सामना करने का विकल्प था।

News : कांग्रेस और अन्य दलों की प्रतिक्रिया

इस नए मॉड्यूल को लेकर कांग्रेस ने कड़ा विरोध जताया है। पार्टी का आरोप है कि एनसीईआरटी जानबूझकर इतिहास को तोड़-मरोड़कर पेश कर रही है और स्वतंत्रता संग्राम में कांग्रेस के योगदान को कम करने की कोशिश कर रही है।

कांग्रेस का कहना है कि यह एक राजनीतिक कदम है जिसका उद्देश्य मौजूदा सरकार की विचारधारा को बढ़ावा देना है। पार्टी के कई नेताओं ने इस फैसले को 'इतिहास के साथ छेड़छाड़' बताया है और इसे तुरंत वापस लेने की मांग की है।

विपक्ष का मानना है कि इस तरह की किताबें युवा पीढ़ी को गुमराह कर सकती हैं और देश के इतिहास की गलत व्याख्या पेश कर सकती हैं। उनका तर्क है कि भारत का विभाजन एक जटिल प्रक्रिया थी, जिसमें कई कारक शामिल थे, और केवल कुछ व्यक्तियों या एक पार्टी को इसके लिए जिम्मेदार ठहराना उचित नहीं है।

News : ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य में विभाजन की जिम्मेदारी

इतिहासकारों में भी भारत के विभाजन की जिम्मेदारी को लेकर अलग-अलग राय है। कुछ विद्वानों का मानना है कि जिन्ना की जिद और द्वि-राष्ट्र सिद्धांत ने विभाजन को अपरिहार्य बना दिया। वहीं, कुछ अन्य लोग मानते हैं कि ब्रिटिश सरकार की 'फूट डालो और राज करो' की नीति ने भी इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

एनसीईआरटी के इस कदम से शिक्षा और राजनीति के बीच एक नई बहस छिड़ गई है। यह देखना बाकी है कि इस विवाद का क्या परिणाम होता है, लेकिन यह स्पष्ट है कि विभाजन का दर्द आज भी भारतीय इतिहास का एक संवेदनशील और ज्वलंत मुद्दा बना हुआ है।

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