Uttarakhand : उत्तराखंड की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक विरासत को विश्वभर में पहचान दिलाने वाली नंदा राजजात यात्रा को लेकर एक बार फिर तैयारियां जोरों पर हैं। अगले वर्ष 2026 में आयोजित होने वाली इस ऐतिहासिक यात्रा की तैयारियों की समीक्षा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हाल ही में की।
उन्होंने संबंधित विभागों को निर्देश दिए कि इस धार्मिक यात्रा को भव्य, सुरक्षित और सुव्यवस्थित तरीके से संपन्न कराया जाए ताकि श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की असुविधा न हो।
Uttarakhand : क्या है नंदा राजजात यात्रा?
नंदा राजजात यात्रा को ‘हिमालय की कुंभ यात्रा’ भी कहा जाता है। यह यात्रा देवी नंदा (मां पार्वती) के मायके से ससुराल की ओर विदाई स्वरूप निकाली जाती है।
12 वर्षों में एक बार निकलने वाली यह यात्रा करीब 280 किलोमीटर लंबी होती है, जो चमोली जिले के कुरुड़ गांव से शुरू होकर रूपकुंड होते हुए हिमालय के कठिन पर्वतीय मार्गों से गुजरती है। इस यात्रा में हजारों श्रद्धालु, स्थानीय लोग और पर्यटक शामिल होते हैं।
Uttarakhand : मुख्यमंत्री ने की समीक्षा बैठक
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सचिवालय में आयोजित बैठक में यात्रा से जुड़ी तैयारियों की गहन समीक्षा की। उन्होंने कहा कि यह यात्रा उत्तराखंड की सांस्कृतिक पहचान है और इसे राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रचारित करने की आवश्यकता है।
उन्होंने पर्यटन विभाग, जिला प्रशासन, लोक निर्माण विभाग (PWD), पुलिस और स्वास्थ्य विभाग को समन्वय बनाकर तैयारियों को अंतिम रूप देने के निर्देश दिए।
सीएम ने कहा कि यात्रा मार्ग की मरम्मत, श्रद्धालुओं के ठहरने की व्यवस्था, सुरक्षा इंतजाम, चिकित्सा सुविधा और स्वच्छता व्यवस्था पर विशेष ध्यान दिया जाए। इसके साथ ही उन्होंने मौसम पूर्वानुमान प्रणाली को बेहतर करने और आपदा प्रबंधन की पुख्ता व्यवस्था करने पर भी जोर दिया।
Uttarakhand : डिजिटल तकनीक और प्रचार-प्रसार
मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि इस बार यात्रा को डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर विशेष रूप से प्रचारित किया जाए। सोशल मीडिया, वेबसाइट और मोबाइल एप्स के माध्यम से श्रद्धालुओं को यात्रा से जुड़ी रियल टाइम जानकारी उपलब्ध कराई जाएगी।
इसके अलावा लाइव स्ट्रीमिंग की सुविधा भी दी जाएगी, ताकि जो लोग यात्रा में भाग नहीं ले सकते, वे ऑनलाइन दर्शन कर सकें।
Uttarakhand : स्थानीय लोगों को मिलेगा रोजगार
सीएम धामी ने कहा कि नंदा राजजात यात्रा स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने का एक बड़ा अवसर है। उन्होंने जिला प्रशासन को निर्देशित किया कि यात्रा मार्ग में स्थानीय युवाओं, स्वयं सहायता समूहों और महिला समूहों को रोजगार के अवसर प्रदान किए जाएं।
इसके अंतर्गत खाने-पीने की व्यवस्था, गाइड सेवाएं, पारंपरिक उत्पादों की बिक्री आदि शामिल होंगी। इस यात्रा के दौरान पर्यावरण को नुकसान न पहुंचे, इसके लिए विशेष सतर्कता बरती जाएगी।
मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि प्लास्टिक के उपयोग को प्रतिबंधित किया जाए और यात्रियों को पर्यावरण के प्रति जागरूक किया जाए। स्वच्छ भारत मिशन के तहत प्रत्येक पड़ाव पर साफ-सफाई की नियमित व्यवस्था सुनिश्चित की जाएगी।
Uttarakhand : सुरक्षा और स्वास्थ्य सुविधाएं
मुख्यमंत्री ने पुलिस प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग को निर्देश दिए कि यात्रा मार्ग पर समुचित सुरक्षा बल तैनात किए जाएं और मेडिकल कैंप लगाए जाएं।
24×7 एंबुलेंस सेवाएं, डॉक्टरों की टीम और दवाइयों की उपलब्धता सुनिश्चित की जाए। उन्होंने कहा कि किसी भी आपातकालीन स्थिति से निपटने के लिए हेलीकॉप्टर सेवा भी तैनात रखी जाए।
Uttarakhand : धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर को मिलेगा बढ़ावा
सीएम धामी ने यह भी कहा कि नंदा राजजात यात्रा न सिर्फ धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह उत्तराखंड की लोकसंस्कृति, परंपराओं और लोककला को जीवित रखने का माध्यम भी है। इस यात्रा के दौरान विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा, जिसमें स्थानीय कलाकार अपनी प्रस्तुतियां देंगे।
नंदा राजजात यात्रा उत्तराखंड की संस्कृति, आस्था और परंपरा का अद्भुत संगम है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अगुवाई में इस यात्रा की तैयारियां पूरे जोर-शोर से की जा रही हैं।
सरकार की मंशा है कि इस बार की यात्रा श्रद्धालुओं के लिए न केवल आध्यात्मिक रूप से समृद्ध हो, बल्कि यह उन्हें सुविधाजनक, सुरक्षित और यादगार अनुभव भी दे। स्थानीय लोगों को रोजगार, पर्यावरण संरक्षण, डिजिटल प्रचार और सांस्कृतिक प्रस्तुति जैसे कदम इस यात्रा को और भी भव्य और व्यापक बनाएंगे।
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