Uttarakhand : उत्तराखंड के विद्युत उपभोक्ताओं के लिए एक अच्छी खबर है। ऊर्जा निगम ने जुलाई माह के बिजली बिलों में फ्यूल एंड पावर परचेज कास्ट एडजस्टमेंट (FPPCPA) के तहत 24 पैसे से लेकर 1 रुपये प्रति यूनिट तक की छूट देने का फैसला किया है। यह राहत घरेलू से लेकर औद्योगिक और कृषि उपभोक्ताओं तक सभी श्रेणियों को मिलेगी, जिससे उन्हें सीधे तौर पर आर्थिक लाभ होगा।
Uttarakhand : उपभोक्ताओं को मिली बड़ी राहत
यह छूट उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग के स्पष्ट निर्देशों के अनुरूप दी जा रही है। आयोग के नियमों के अनुसार, यदि किसी महीने में बिजली खरीदने की लागत अनुमोदित दर से कम होती है, तो यह बचत एफपीपीसीए मद के तहत उपभोक्ताओं को बिजली बिलों में छूट के रूप में वापस की जाती है। यह व्यवस्था उपभोक्ताओं के हितों को ध्यान में रखकर बनाई गई है, ताकि बिजली खरीद लागत में होने वाले उतार-चढ़ाव का सीधा और पारदर्शी लाभ या भार उन तक पहुँच सके।
ऊर्जा निगम ने बताया कि बीते मई माह में बिजली खरीद की वास्तविक लागत अनुमोदित लागत से काफी कम रही। इस अवधि में कुल 112 करोड़ रुपये (यानी 0.81 रुपये प्रति यूनिट) की उल्लेखनीय बचत दर्ज की गई। इसी बचत राशि को अब जुलाई के बिजली बिलों में उपभोक्ताओं को छूट के रूप में लौटाया जा रहा है। यह पहली बार नहीं है जब उपभोक्ताओं को ऐसी राहत मिली है; इससे पहले, मई माह में भी 101 करोड़ रुपये (0.89 रुपये प्रति यूनिट) की छूट दी जा चुकी है, जो लगातार दूसरे महीने राहत का संकेत है।
Uttarakhand : कम बिजली खरीद लागत का कारण
एफपीपीसीए व्यवस्था के तहत ऊर्जा निगम सामान्यतः बिजली की अधिक खरीद दरों पर उपभोक्ताओं के बिलों में वृद्धि भी करता है। हालांकि, इस बार स्थिति बिल्कुल विपरीत रही। अधिकारियों के अनुसार, इस साल गर्मी का प्रकोप सामान्य से कम रहा, जिसके परिणामस्वरूप देशभर में बिजली की मांग में अपेक्षित उछाल नहीं आया।
बिजली की मांग कम रहने के कारण देश भर में विद्युत उत्पादन इकाइयों से पर्याप्त उपलब्धता बनी रही। बाजार में बिजली की बहुतायत होने से ऊर्जा निगम को कम दरों पर बिजली खरीदने का अवसर मिला, जिससे बड़ी बचत संभव हो पाई।
यह स्थिति उपभोक्ताओं के लिए वरदान साबित हुई है। कम तापमान और सामान्य से कम गर्मी ने न केवल लोगों को मौसम की मार से बचाया, बल्कि उनके बिजली के बिलों पर भी सकारात्मक प्रभाव डाला। यह दर्शाता है कि कैसे पर्यावरणीय कारक सीधे तौर पर आर्थिक गतिविधियों और उपभोक्ता खर्चों को प्रभावित कर सकते हैं।
Uttarakhand : श्रेणीवार छूट का विवरण
जुलाई 2025 के बिलों में विभिन्न उपभोक्ता श्रेणियों को दी जा रही छूट इस प्रकार है।
* घरेलू उपभोक्ता: इन्हें प्रति यूनिट 24 पैसे से 65 पैसे तक की छूट मिलेगी। यह छूट घरेलू बजट पर सीधा सकारात्मक प्रभाव डालेगी।
* अघरेलू उपभोक्ता: इस श्रेणी को प्रति यूनिट 94 पैसे की महत्वपूर्ण राहत दी जा रही है।
* गवर्नमेंट पब्लिक यूटिलिटी: सरकारी उपयोगिताओं को प्रति यूनिट 88 पैसे का लाभ मिलेगा।
* प्राइवेट ट्यूबवेल: कृषि कार्यों से जुड़े किसानों के लिए यह अच्छी खबर है, क्योंकि उन्हें प्रति यूनिट 29 पैसे की छूट मिलेगी।
* कृषि गतिविधियां: इस श्रेणी के अन्य उपभोक्ताओं को प्रति यूनिट 40 से 46 पैसे की राहत मिलेगी, जो कृषि लागत को कम करने में सहायक होगी।
* एलटी इंडस्ट्री (कम तनाव उद्योग): इन्हें प्रति यूनिट 87 पैसे की छूट मिलेगी, जिससे छोटे उद्योगों को सीधा फायदा होगा।
* एचटी इंडस्ट्री (उच्च तनाव उद्योग): बड़े उद्योगों को भी प्रति यूनिट 86 पैसे की राहत दी जा रही है, जो औद्योगिक उत्पादन लागत में कमी लाएगी।
* मिक्स लोड: इस श्रेणी के उपभोक्ताओं को प्रति यूनिट 81 पैसे की छूट मिलेगी।
* रेलवे स्टेशन: रेलवे स्टेशनों को प्रति यूनिट 81 पैसे का लाभ मिलेगा।
* ईवी चार्जिंग स्टेशन: इलेक्ट्रिक वाहन (EV) चार्जिंग स्टेशनों को भी प्रति यूनिट 81 पैसे की छूट दी जाएगी, जिससे हरित ऊर्जा के उपयोग को प्रोत्साहन मिलेगा।
* निर्माण कार्यों की अस्थायी आपूर्ति: निर्माण
परियोजनाओं से जुड़े उपभोक्ताओं को सबसे अधिक, यानी प्रति यूनिट 100 पैसे (1 रुपये) की छूट मिलेगी, जिससे भवन निर्माण लागत पर सकारात्मक असर पड़ेगा।
यह श्रेणीवार छूट यह दर्शाती है कि ऊर्जा निगम ने विभिन्न क्षेत्रों की जरूरतों और उनके बिजली उपभोग पैटर्न को ध्यान में रखा है। औद्योगिक और निर्माण क्षेत्र को मिली बड़ी छूट से राज्य में आर्थिक गतिविधियों को भी बढ़ावा मिलने की उम्मीद है, क्योंकि उत्पादन लागत में कमी आने से निवेश का माहौल और बेहतर होगा। यह कदम राज्य के आर्थिक विकास के लिए भी अनुकूल माना जा रहा है।
कुल मिलाकर, उत्तराखंड ऊर्जा निगम का यह निर्णय lpउपभोक्ताओं के लिए एक स्वागत योग्य कदम है, जो न केवल उन्हें सीधे तौर पर आर्थिक लाभ पहुंचाएगा, बल्कि ऊर्जा खरीद प्रणाली में पारदर्शिता और दक्षता को भी दर्शाता है। यह दर्शाता है कि नियामक आयोग के दिशानिर्देशों का पालन करते हुए उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा की जा रही है।
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