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प्रदेशभर में जीएसटी चोरी के मामलों पर सख्त निगरानी, 5 आईपीएस अधिकारियों की नई राज्यस्तरीय एसआईटी गठित

मुरादाबाद - प्रदेश में जीएसटी चोरी से जुड़े बड़े घोटालों की जांच को तेज करने के लिए सरकार ने पांच वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों की एक उच्चस्तरीय स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (SIT) का गठन किया है। यह टीम प्रदेश के 45 जिलों में दर्ज कुल 147 मामलों की समीक्षा और सुपरविजन करेगी। इस टीम की जिम्मेदारी आर्थिक अपराध शाखा (EOW) के आईजी सुनील मेनुएल को सौंपी गई है।

45 जिलों की एसआईटी को मिले निर्देश — एक सप्ताह के भीतर जमा करें दस्तावेज

नई गठित राज्यस्तरीय एसआईटी ने शनिवार को जिलेस्तरीय टीमों के साथ ऑनलाइन बैठक कर साफ निर्देश दिए कि सभी केसों से जुड़े दस्तावेज एक सप्ताह के भीतर लखनऊ स्थित मुख्यालय को भेजे जाएं। आगे की रणनीति इन्हीं रिपोर्टों के आधार पर तय की जाएगी।
अब जिलों की एसआईटी राज्यस्तरीय टीम के मार्गदर्शन में ही कार्रवाई करेगी।

मुरादाबाद: 600 करोड़ से अधिक की जीएसटी चोरी का खुलासा

प्रदेश में जीएसटी चोरी के मामलों की सबसे बड़ी फाइल मुरादाबाद से जुड़ी है, जहां नौ अलग-अलग मुकदमों में लगभग 600 करोड़ रुपये से ज्यादा के टैक्स घोटाले का खुलासा हुआ है।

यह मामला तब चर्चा में आया जब 24 अक्टूबर को राज्य कर विभाग की टीम ने चेकिंग के दौरान दो ट्रक पकड़े। जांच में सामने आया कि:

दो मोबाइल नंबरों पर 122 फर्जी फर्में रजिस्टर की गई थीं।

इन्हीं फर्मों के माध्यम से 400 करोड़ रुपये से अधिक का फर्जी लेन-देन और टैक्स चोरी की गई।

मामले में फर्म संचालक अंकित कुमार सहित सात लोगों के खिलाफ लगातार मुकदमे दर्ज किए जा चुके हैं।

जिले में इन मामलों की जांच के लिए एसएसपी ने एसपी क्राइम सुभाषचंद्र गंगवार की निगरानी में 11 सदस्यीय स्थानीय एसआईटी पहले ही गठित कर दी थी।

राज्यस्तरीय एसआईटी में शामिल अधिकारी

आईजी सुनील मेनुएल (मुखिया)

आईपीएस सुशील घुले चंद्रभान

आईपीएस अविनाश पांडेय

आईपीएस बबिता सिंह

आईपीएस प्रेम कुमार शुक्ला

बैठक में अधिकारियों ने स्पष्ट कहा कि किसी भी गिरफ्तारी, पूछताछ या चार्जशीट दाखिल करने से पहले राज्यस्तरीय टीम को अवगत कराना अनिवार्य होगा।

क्यों जरूरी हुई राज्यस्तरीय एसआईटी?

शासन की समीक्षा में पता चला कि कई जिलों में बड़े पैमाने पर फर्जी बिलिंग, बोगस फर्म पंजीकरण और टैक्स चोरी के मामलों में एक जैसी रणनीति अपनाई गई थी। ऐसे में
एक एकीकृत जांच टीम की आवश्यकता महसूस की गई, ताकि—

जांच की गुणवत्ता सुनिश्चित की जा सके

जिलों के बीच समन्वय बढ़ाया जा सके

गिरोह के बड़े सरगनाओं तक पहुंचा जा सके

 

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