News : उत्तराखंड में मानसून की दस्तक के साथ ही प्राकृतिक आपदाओं का खतरा भी मंडराने लगा है। लगातार हो रही मूसलाधार बारिश और मौसम विभाग की चेतावनियों को गंभीरता से लेते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अधिकारियों को अगले दो महीनों तक 24×7 अलर्ट मोड में रहने के निर्देश दिए हैं।
उन्होंने स्पष्ट किया है कि किसी भी तरह की लापरवाही को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। सरकार का फोकस जान-माल की सुरक्षा, आपदा प्रबंधन और राहत कार्यों को समय पर अंजाम देने पर है।
News : भारी बारिश का दौर जारी
राज्य में बीते कुछ दिनों से भारी बारिश का सिलसिला जारी है। गढ़वाल और कुमाऊं मंडल के अधिकांश जिलों—जैसे कि टिहरी, उत्तरकाशी, पिथौरागढ़, चमोली, बागेश्वर और नैनीताल—में भूस्खलन, नदियों का जलस्तर बढ़ने और सड़कें टूटने की घटनाएं लगातार सामने आ रही हैं। कई जगहों पर नेशनल हाईवे बाधित हैं, ग्रामीण मार्ग कट चुके हैं और बिजली-पानी की आपूर्ति ठप हो गई है।
भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने राज्य के कई जिलों के लिए अगले 48 घंटों में रेड अलर्ट जारी किया है, जिसमें बादल फटने, भारी बारिश, बिजली गिरने और तेज हवाएं चलने की आशंका जताई गई है। इससे आने वाले दिनों में स्थिति और गंभीर हो सकती है।
News : मुख्यमंत्री धामी की समीक्षा बैठक
30 जून को मुख्यमंत्री धामी ने सचिवालय में आपदा प्रबंधन और जिला प्रशासन से जुड़े उच्चाधिकारियों के साथ बैठक की। इस दौरान उन्होंने दो टूक कहा कि “अब अगले दो महीने के लिए लापरवाही की कोई गुंजाइश नहीं है। हर अधिकारी और कर्मचारी को 24 घंटे ऑन अलर्ट मोड पर रहना होगा।”
मुख्यमंत्री ने जिलाधिकारियों से कहा कि वे:
- अपने जिले में सभी राहत और बचाव संसाधनों की जांच करें।
- सभी संवेदनशील क्षेत्रों में लगातार निगरानी बनाए रखें।
- SDRF, NDRF, पुलिस और चिकित्सा दलों को तैनात रखें।
- बारिश के चलते अवरुद्ध सड़कों को जल्द से जल्द खोला जाए।
- जनता को हर आपदा से पहले सूचना दी जाए और राहत कैंपों की तैयारी रहे।
News : जिला प्रशासन को 24 घंटे फील्ड में रहने के निर्देश
धामी ने निर्देश दिया कि हर जिले में इंटीग्रेटेड कंट्रोल रूम पूरी तरह सक्रिय रहे। अधिकारियों को आदेश दिए गए हैं कि वे खुद फील्ड में जाकर हालात का जायजा लें और समस्याओं का समाधान सुनिश्चित करें।
राज्य आपदा प्रबंधन विभाग को विशेष दिशा-निर्देश दिए गए हैं कि वे सभी भूस्खलन संभावित इलाकों की मैपिंग कर रिपोर्ट जल्द प्रस्तुत करें और जरूरी संसाधनों को तैनात करें। साथ ही, मुख्यमंत्री ने कहा कि रेन कोट, बूट, ट्रॉर्च, वायरलेस सेट जैसे उपकरणों की उपलब्धता सुनिश्चित की जाए।
News : चारधाम यात्रा पर खास नजर
चारधाम यात्रा इस समय चरम पर है, और मौसम की मार इसके संचालन पर भारी पड़ रही है। केदारनाथ, बदरीनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री यात्रा मार्गों पर लगातार भूस्खलन की घटनाएं सामने आ रही हैं। यात्रा के दौरान यात्रियों की सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए कि:
- जब तक मौसम साफ न हो, तब तक यात्रियों को यात्रा पर न भेजा जाए।
- प्रत्येक यात्रा पड़ाव पर हेल्प डेस्क और मेडिकल टीमें तैनात रहें।
- किसी भी आपात स्थिति के लिए हेलीकॉप्टर सेवा तैयार रखी जाए।
News : लाइव मॉनिटरिंग और तकनीकी सहायता
मुख्यमंत्री धामी ने तकनीकी संसाधनों के बेहतर इस्तेमाल पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि अब राज्य में आपदाओं की निगरानी GIS आधारित मॉनिटरिंग सिस्टम, ड्रोन सर्वे और रियल टाइम अलर्ट सिस्टम के माध्यम से की जाएगी। इससे बाढ़, भूस्खलन और अन्य आपदाओं की पूर्व चेतावनी समय पर दी जा सकेगी।
News : जनजागरूकता अभियान भी जरूरी
सिर्फ सरकारी तैयारी ही नहीं, बल्कि आम जनता की सतर्कता भी आपदा से निपटने में अहम है। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि गांव-गांव में जनजागरूकता अभियान चलाया जाए, जिसमें लोगों को बताया जाए कि आपदा की स्थिति में क्या करें, कहां जाएं, और कैसे अलर्ट रहें। इसके लिए स्कूलों, आंगनबाड़ियों और पंचायत भवनों के माध्यम से सूचना पहुंचाने की योजना बनाई जा रही है।
उत्तराखंड एक संवेदनशील भूगोलिक क्षेत्र है, जहां मानसून के साथ ही आपदाओं का खतरा हर साल मंडराता है। मुख्यमंत्री धामी की यह सख्ती इस बार राज्य को कम से कम नुकसान पहुंचाने की कोशिश है। सरकार की पूरी कोशिश है कि इस बार कोई बड़ी जनहानि न हो और राहत कार्य तुरंत प्रभाव से शुरू हो सकें। अब देखना यह होगा कि प्रशासन इस अलर्ट मोड को कितनी तत्परता से निभा पाता है।
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