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News : अब भारत में ही बनेंगे अमेरिका के खतरनाक MQ-35 V-BAT ड्रोन, जाने खासियत!

News : भारतीय वायुसेना की ताकत में जल्द ही जबरदस्त इजाफा होने वाला है। निगरानी, टोही और लड़ाकू मिशनों को सफलतापूर्वक अंजाम देने में माहिर अमेरिका के अत्याधुनिक ड्रोन MQ-35 V-BAT अब भारत में ही निर्मित होंगे।

अमेरिकी फर्म शील्ड एआई के साथ इन ड्रोनों के भारत में निर्माण और संपूर्ण प्रौद्योगिकी हस्तांतरण को लेकर बातचीत अंतिम चरण में है, जो भारत के रक्षा आत्मनिर्भरता के प्रयासों के लिए एक बड़ी सफलता साबित होगी।

News : 'ऑपरेशन सिंदूर' के बाद रक्षा क्षेत्र में बड़ा कदम

"ऑपरेशन सिंदूर" के बाद भारतीय सशस्त्र बलों की क्षमताओं को बढ़ाने के लिए सरकार ने कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए हैं। इसमें 4.5 अरब डॉलर की आपातकालीन रक्षा खरीद योजना भी शामिल है, जो अत्याधुनिक हथियारों और प्रणालियों को तेजी से हासिल करने पर केंद्रित है।

रिपोर्ट के अनुसार, शील्ड एआई के साथ प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के मुद्दे पर भारतीय रक्षा मंत्रालय के अधिकारी सीधे तौर पर बातचीत कर रहे हैं। यदि यह सौदा सफल होता है, तो भारत में V-BAT ड्रोन्स का निर्माण JSW डिफेंस द्वारा किया जाएगा, जिससे देश में ही उन्नत ड्रोन निर्माण की क्षमता विकसित होगी।

भारतीय वायुसेना के लिए V-BAT ड्रोन्स की खरीद का शुरुआती सौदा लगभग 35 मिलियन डॉलर का होने की उम्मीद है। हालांकि, JSW डिफेंस और शील्ड एआई के बीच होने वाला बड़ा सौदा 90 मिलियन डॉलर तक पहुंच सकता है, जिसमें V-BAT की संपूर्ण प्रौद्योगिकी का हस्तांतरण शामिल होगा।

इस सौदे के तहत V-BAT के निर्माण के लिए एक संयुक्त उद्यम (जॉइंट वेंचर) की स्थापना की जाएगी। यदि बातचीत अपने अंतिम चरण तक पहुंचती है, तो भारत में V-BAT ड्रोन्स का बड़े पैमाने पर निर्माण और उत्पादन शुरू हो जाएगा, जिससे भारतीय सेनाओं की परिचालन क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि होगी।

News : शील्ड एआई MQ-35 V-BAT ड्रोन की खासियतें

MQ-35 V-BAT ड्रोन अपनी अनूठी क्षमताओं के कारण वैश्विक स्तर पर काफी महत्वपूर्ण माने जाते हैं:

* वर्टिकल टेक ऑफ और लैंडिंग (VTOL): इन ड्रोनों की सबसे बड़ी खासियत इनकी वर्टिकल टेक ऑफ और लैंडिंग क्षमता है। इसका मतलब है कि इन्हें उड़ान भरने या उतरने के लिए किसी रनवे की आवश्यकता नहीं होती, जिससे ये सीमित स्थानों जैसे जहाजों के डेक, छोटे सैन्य ठिकानों या दुर्गम इलाकों से भी संचालित किए जा सकते हैं। दुनिया में बहुत कम ड्रोन ऐसी विशिष्ट क्षमता रखते हैं।

* वैश्विक विश्वसनीयता: ये ड्रोन पहले से ही अमेरिकी सेना सहित कई यूरोपीय देशों की सेनाओं में शामिल हैं और विभिन्न अभियानों में अपनी क्षमता साबित कर चुके हैं।

* रणनीतिक तैनाती: अमेरिका ने सिंगल इंजन के V-BAT ड्रोन्स को ब्लैक सी, कैरेबियन सी और मध्य पूर्व जैसे रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण क्षेत्रों में तैनात किया है, जहां इन्होंने प्रभावी ढंग से निगरानी और टोही मिशनों को अंजाम दिया है।

* इलेक्ट्रॉनिक युद्ध क्षमता: रूस-यूक्रेन युद्ध में भी इन ड्रोनों ने अपनी इलेक्ट्रॉनिक युद्ध क्षमताओं का प्रदर्शन किया है, जो उन्हें आधुनिक युद्धक्षेत्र में एक बहुमुखी उपकरण बनाता है।

News : नौसेना के लिए भी V-BAT ड्रोन की उपयोगिता

V-BAT ड्रोन न केवल वायुसेना के लिए, बल्कि भारतीय नौसेना के लिए भी एक अत्यंत उपयोगी हथियार साबित हो सकते हैं। इनकी VTOL क्षमता उन्हें नौसेना के जहाजों से आसानी से संचालित करने में सक्षम बनाती है, जिससे समुद्री निगरानी और टोही मिशनों को प्रभावी ढंग से अंजाम दिया जा सकता है।

हाल ही में, वर्ष 2025 की शुरुआत में नीदरलैंड ने अपनी समुद्री निगरानी क्षमताओं को बढ़ाने के लिए 8 V-BAT ड्रोन खरीदे थे। यह V-BAT ड्रोन्स की समुद्री अभियानों में उपयोगिता का एक ठोस उदाहरण है।

News : तकनीकी स्पेसिफिकेशंस:

* लंबाई: लगभग 4 मीटर

* वजन: लगभग 73 किलोग्राम

* रफ्तार: लगभग 90 किलोमीटर प्रति घंटा

* उड़ान अवधि: एक उड़ान में 13 घंटे तक आसमान में रहने में सक्षम

* ऊंचाई: 18,000 फीट की ऊंचाई से निगरानी कर सकते हैं

यह डील भारत की रक्षा क्षमताओं को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगी और इसे उन्नत ड्रोन प्रौद्योगिकी में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम साबित होगी।

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