उत्तराखंड में विकसित होंगे 95 आध्यात्मिक गांव: हर ब्लॉक में एक सनातनी मॉडल गांव बनाने की तैयारी
उत्तराखंड को देवभूमि के नाम से जाना जाता है। यहां की धार्मिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक पहचान पूरे देश और दुनिया में प्रसिद्ध है। इसी पहचान को और मजबूत करने के लिए उत्तराखंड सरकार अब एक बड़ा कदम उठाने जा रही है। राज्य में 95 आध्यात्मिक गांव विकसित किए जाएंगे, जहां सनातन संस्कृति, परंपराओं, योग, ध्यान और धार्मिक पर्यटन को केंद्र में रखकर गांवों का विकास किया जाएगा।
यह घोषणा उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सलाह पर की है। राज्य स्थापना दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री ने उत्तराखंड सरकार को कई महत्वपूर्ण सुझाव दिए थे, जिनमें आध्यात्मिक और सांस्कृतिक पर्यटन को बढ़ावा देने पर विशेष जोर था।
हर ब्लॉक में एक आध्यात्मिक गांव – क्या है योजना की खास बात?
उत्तराखंड के 95 ब्लॉकों में से प्रत्येक ब्लॉक में एक आध्यात्मिक गांव विकसित किया जाएगा। इसका मतलब है कि पूरे राज्य में एक समान रूप से आध्यात्मिक पर्यटन का विस्तार किया जाएगा।
इन गांवों की प्रमुख विशेषताएं होंगी:
सनातनी परंपराओं पर आधारित डिजाइन
घरों की शैली
स्थानीय मंदिरों का संरक्षण
ग्रामीण जीवनशैली में आध्यात्मिक स्पर्श
योग, ध्यान और अध्यात्म केंद्र
गांवों में योग ध्यान स्थल, आध्यात्मिक पुस्तकालय और प्राकृतिक वातावरण में साधना केंद्र बनाए जाएंगे।
सांस्कृतिक पर्यटन को बढ़ावा
स्थानीय भोजन
लोक नृत्य
लोककला
पारंपरिक हस्तशिल्प
धार्मिक पर्यटन रूट से जुड़े गांव
इन गांवों को निकट के धार्मिक स्थानों जैसे केदारनाथ, बद्रीनाथ, यमुनोत्री, गंगोत्री, हरिद्वार और ऋषिकेश से जोड़ा जाएगा।
पीएम मोदी की सलाह पर हुआ बड़ा निर्णय
राज्य स्थापना दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उत्तराखंड को आध्यात्मिक और सांस्कृतिक धरोहर के रूप में मजबूत करने की बात कही थी। उन्होंने सुझाव दिया था कि:
उत्तराखंड आध्यात्मिक पर्यटन का ग्लोबल हब बन सकता है
गांवों को आध्यात्मिक मॉडल के रूप में विकसित किया जाए
सनातनी परंपराओं को सुरक्षित रखा जाए
स्थानीय लोगों को इस विकास से रोजगार मिले
इसी सुझाव के आधार पर सीएम धामी ने तुरंत कार्य योजना बनाने के निर्देश दिए और 95 आध्यात्मिक गांवों की घोषणा की।
आध्यात्मिक गांवों से क्या बदलेगा?
1. पर्यटन क्षेत्र में बड़ा विस्तार
आध्यात्मिक और सांस्कृतिक पर्यटन दुनियाभर में तेजी से बढ़ रहा है। ये गांव उत्तराखंड को नई पहचान देंगे।
2. स्थानीय लोगों को रोजगार
होमस्टे
गाइड सेवाएं
स्थानीय उत्पादों की बिक्री
योग-ध्यान प्रशिक्षण
इन सबके माध्यम से ग्रामीणों को रोजगार के नए अवसर मिलेंगे।
3. पलायन में कमी
जब गांवों में ही विकास और रोजगार आएगा, तो लोग शहरों की ओर कम जाएंगे।
4. सांस्कृतिक विरासत का संरक्षण
सनातन परंपराओं, मंदिरों और लोक संस्कृति को सुरक्षित रखने में बड़ा योगदान होगा।
5. वैश्विक पहचान बढ़ेगी
जैसे ऋषिकेश योग की राजधानी कहलाता है, उसी तरह आध्यात्मिक गांव उत्तराखंड को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिला सकते हैं।
योजना का कार्यान्वयन कैसे होगा?
सरकार ने इसके लिए पर्यटन विभाग और ग्राम्य विकास विभाग को जिम्मेदारी दी है। प्रत्येक गांव में:
इंफ्रास्ट्रक्चर विकास
धार्मिक स्थल सुधार
मार्ग और सुविधाओं का विस्तार
स्थानीय लोगों का प्रशिक्षण
सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन
जैसे कार्य चरणबद्ध तरीके से किए जाएंगे।
उत्तराखंड क्यों है आध्यात्मिक गांवों के लिए सर्वोत्तम स्थान?
यहां चार धाम स्थित हैं
करोड़ों तीर्थ यात्रियों का आगमन होता है
प्राकृतिक सुंदरता और शांत वातावरण
सनातन परंपराओं का मजबूत आधार
आध्यात्मिक साधना के लिए आदर्श जगह
इन सभी कारणों से यह योजना भविष्य में उत्तराखंड की सबसे सफल परियोजनाओं में से एक बन सकती है।
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