उत्तराखंड होमस्टे नीति में बड़ा बदलाव: अब केवल स्थायी निवासी ही उठा सकेंगे योजना का लाभ
उत्तराखंड होमस्टे नीति में बड़ा बदलाव: केवल स्थायी निवासी ही उठा सकेंगे योजना का लाभ
उत्तराखंड में ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार बढ़ाने और पलायन रोकने के लिए होमस्टे योजना एक बड़ा कदम साबित हुई थी। इस योजना के माध्यम से हजारों लोगों को अपने ही गांव और घर में रोजगार मिला। लेकिन अब उत्तराखंड सरकार ने होमस्टे नीति में महत्वपूर्ण बदलाव करने का फैसला लिया है। बदलती परिस्थितियों और बढ़ते दुरुपयोग को देखते हुए सरकार चाहती है कि इस योजना का असली लाभ केवल उत्तराखंड के स्थायी निवासियों तक ही पहुंच सके।
नई नीति में क्या है सबसे बड़ा बदलाव?
नई होमस्टे नीति के अनुसार केवल उत्तराखंड के स्थायी निवासी ही इस योजना का लाभ उठाने के पात्र होंगे। बाहरी राज्यों के व्यक्ति, जो उत्तराखंड के निवासी नहीं हैं, अब इस नीति के तहत न तो होमस्टे रजिस्टर्ड करा पाएंगे और न ही किसी प्रकार की सब्सिडी प्राप्त कर सकेंगे।
यह निर्णय राज्य में बढ़ते दुरुपयोग को रोकने और वास्तविक स्थानीय लोगों तक लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से लिया गया है।
लीज पर ली गई जमीन और केयरटेकर के नाम पर होमस्टे अब नहीं
पहले कई लोग लीज पर जमीन लेकर या किसी केयरटेकर के नाम पर होमस्टे रजिस्टर करा लेते थे, जिससे योजना का फायदा बाहरी राज्यों के लोग भी उठाने लगे थे।
नई नीति में स्पष्ट कर दिया गया है:
लीज पर जमीन लेकर बनाए गए होमस्टे रजिस्टर्ड नहीं होंगे
किसी केयरटेकर के नाम पर होमस्टे चलाने वाले भी पात्र नहीं होंगे
केवल वही होमस्टे मान्य होंगे, जिनका मालिक स्थायी निवासी प्रमाण पत्र (Domicile Certificate) प्रस्तुत कर सके
सब्सिडी संरचना: उत्तराखंड में सबसे अधिक लाभकारी योजना
पर्यटन विभाग के अनुसार उत्तराखंड देश का सबसे अधिक सब्सिडी देने वाला राज्य है। होमस्टे योजना के तहत मिलने वाली सब्सिडी इस प्रकार है:
पर्वतीय क्षेत्रों में: 15 लाख तक की सब्सिडी
मैदानी क्षेत्रों में: 7.5 लाख तक की सब्सिडी
इसी अधिक सब्सिडी के कारण कई लोग बाहरी राज्यों से आकर योजना का लाभ उठाने लगे थे, जिसे अब नई नीति रोक देगी।
होमस्टे योजना का उद्देश्य — पलायन रोकना और स्थानीय रोजगार बढ़ाना
उत्तराखंड में लगातार हो रहे पलायन को रोकना राज्य सरकार की प्राथमिकता रही है। होमस्टे योजना के आने से लोग अपने गांव में ही आजीविका चला पाने में सक्षम हुए।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार:
अब तक राज्य में 5774 होमस्टे रजिस्टर्ड हैं
पंडित दीनदयाल उपाध्याय होमस्टे योजना के अंतर्गत 1000 से अधिक लोग लाभान्वित हुए हैं
नई नीति का मकसद इसी सफलता को और मजबूती देना और इस लाभ को बाहरी लोगों की जगह स्थानीय नागरिकों तक सीमित करना है।
क्यों जरूरी था बदलाव?
होमस्टे योजना का फायदा बढ़ने के साथ-साथ कई तरह के दुरुपयोग भी होने लगे थे:
बाहरी राज्य के लोग बिजनेस के उद्देश्य से होमस्टे खोल रहे थे
स्थानीय लोगों को असली लाभ नहीं मिल पा रहा था
सब्सिडी का फायदा गलत तरीके से लिया जा रहा था
कई होमस्टे सिर्फ नाम के लिए चल रहे थे, जमीन व घर वास्तविक मालिकों के नहीं थे
इन समस्याओं को रोकने के लिए सरकार ने आमूलचूल परिवर्तन का निर्णय लिया।
नई नीति का संभावित असर
स्थानीय लोगों को ज्यादा रोजगार
पलायन में कमी आएगी
ग्रामीण अर्थव्यवस्था मजबूत होगी
पर्यटन क्षेत्र में स्थानीय भागीदारी बढ़ेगी
बाहरी लोगों द्वारा गलत तरीके से लाभ लेने पर रोक लगेगी
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