News : चमोली में भूस्खलन, विष्णुगाड हाइड्रो प्रोजेक्ट साइट पर हादसा, कई मजदूर फंसे!
News : उत्तराखंड के चमोली जिले में भूस्खलन की एक और गंभीर घटना सामने आई है। मिली जानकारी के अनुसार, हेलंग डैम साइट पर भारी भूस्खलन हुआ है, जिससे वहाँ काम कर रहे कई मजदूरों के घायल होने की खबर है।
यह घटना तब हुई जब करीब 200 मजदूर विष्णुगाड हाइड्रो प्रोजेक्ट के डैम साइट पर काम कर रहे थे। इस भूस्खलन का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसमें पहाड़ से भारी मात्रा में मलबा गिरता हुआ देखा जा सकता है।
हादसे के तुरंत बाद मौके पर रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू कर दिया गया है। कई मजदूरों ने मलबे की चपेट में आने से बचने के लिए भागकर अपनी जान बचाई। अधिकारियों के मुताबिक, भूस्खलन से प्रभावित लोगों की सही संख्या का पता लगाने की कोशिश की जा रही है। बारिश के मौसम में उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में भूस्खलन और बादल फटने जैसी घटनाएं आम हो जाती हैं, जिससे जन-जीवन अस्त-व्यस्त हो जाता है।
News : भूस्खलन और यात्रा का संकट
पहाड़ी क्षेत्रों में लगातार हो रही बारिश और भूस्खलन के कारण केदारनाथ जैसी महत्वपूर्ण यात्राओं को भी रोकना पड़ रहा है। हाल ही में, भूस्खलन के खतरे को देखते हुए केदारनाथ यात्रा को भी रोका गया था, जिसे आज से ही फिर से शुरू किया गया है। हालांकि, गाड़ियों के लिए सड़क मार्ग अभी भी पूरी तरह से नहीं खोला जा सका है, जिससे तीर्थयात्रियों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
इस तरह की घटनाएं न केवल जान-माल का नुकसान करती हैं, बल्कि राज्य की अर्थव्यवस्था, खासकर पर्यटन पर भी गहरा असर डालती हैं। हर साल भूस्खलन के कारण सैकड़ों लोगों की जान जाती है और करोड़ों का आर्थिक नुकसान होता है।
News : केंद्र सरकार की 125 करोड़ की परियोजना
पहाड़ी क्षेत्रों में भूस्खलन की बढ़ती समस्या से निपटने के लिए केंद्र सरकार ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। उत्तराखंड में भूस्खलन का दीर्घकालिक समाधान खोजने के लिए केंद्र ने 125 करोड़ रुपये की एक परियोजना को मंजूरी दी है, जिसमें से 4.5 करोड़ रुपये जारी भी कर दिए गए हैं।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस परियोजना को राज्य के लिए एक निर्णायक पहल बताया है। उन्होंने कहा, “यह परियोजना राज्य के आपदा-संवेदनशील क्षेत्रों में भूस्खलन का दीर्घकालिक समाधान खोजने की दिशा में एक निर्णायक पहल है।"
मुख्यमंत्री ने बताया कि इस परियोजना के तहत प्राथमिकता के आधार पर राज्य के पाँच सबसे संवेदनशील स्थलों का चयन किया गया है। इन स्थानों में हरिद्वार में मनसा देवी हिल बाईपास रोड, मसूरी में गलोगी जलविद्युत परियोजना रोड, कर्णप्रयाग में बहुगुणा नगर भूमि-धसान क्षेत्र, नैनीताल में चार्टन लॉज और धारचूला में खोतिला-घाटधार भूस्खलन क्षेत्र शामिल हैं।
यह परियोजना इन संवेदनशील क्षेत्रों में भूस्खलन के कारणों का वैज्ञानिक अध्ययन करेगी और उसके आधार पर समाधान के उपाय सुझाएगी। इसमें ढलानों को मजबूत करना, ड्रेनेज सिस्टम में सुधार करना और अन्य इंजीनियरिंग समाधान शामिल हो सकते हैं। इस पहल से उम्मीद है कि भविष्य में भूस्खलन के कारण होने वाले नुकसान को काफी हद तक कम किया जा सकेगा।
News : बचाव कार्य और आगे की राह
वर्तमान में, चमोली में जारी बचाव कार्य में स्थानीय पुलिस, एसडीआरएफ और अन्य बचाव दल लगे हुए हैं। मलबे के नीचे दबे लोगों को निकालने की कोशिशें जारी हैं, और घायलों को नजदीकी अस्पतालों में पहुंचाया जा रहा है। इस घटना ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि उत्तराखंड जैसे पहाड़ी राज्यों में विकास परियोजनाओं और सुरक्षा उपायों के बीच संतुलन बनाना कितना ज़रूरी है।
सरकार की नई परियोजना और बचाव कार्यों में तेजी से उम्मीद की जा रही है कि आने वाले समय में भूस्खलन की समस्या को प्रभावी ढंग से नियंत्रित किया जा सकेगा। हालांकि, इस तरह की प्राकृतिक आपदाओं के सामने मानवीय प्रयास अक्सर सीमित हो जाते हैं, इसलिए सतर्कता और तैयारी ही सबसे महत्वपूर्ण है।
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