NEWS : केरल हाईकोर्ट ने अश्लील वीडियो देखने के मामले में एक अहम टिप्पणी की है। अदालत ने अपनी टिप्पणी में कहा है कि अकेले में पोर्न वीडियो देखना अपराध नहीं है।
दरअसल, कोर्ट ने एक हफ्ते पहले एक 33 वर्षीय शख्स के खिलाफ सुनवाई करते हुए उक्त बातें कही और मामले को रद्द कर दिया।
NEWS : निजी समय में पोर्न देखना अपराध नहीं
बता दें कि साल 2016 आरोपी को पुलिस ने सड़क किनारे बैठकर पोर्न देखने के आरोप में गिरफ्तार किया था। आरोपी ने प्राथमिकी और उसी मामले में चल रही अदालती कार्यवाही को रद्द करने के लिए उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल की थी।
इस मामले की सुनवाई न्यायामूर्ति पीवी कुन्हीकृष्णन की कोर्ट में हुई। कोर्ट ने इस याचिका पर अपनी विशेष टिप्पणी करते हुए कहा, “अश्लील कंटेंट सदियों से चलन में था। नए डिजिटल युग ने इसे और अधिक आसान बना दिया है, यहां तक कि बच्चों के लिए भी।
इस मामले में सवाल ये है कि कोई व्यक्ति दूसरों को दिखाए बिना अपने निजी समय में पोर्न वीडियो देखता है तो उसे अपराधी ठहराया जा सकता है या नहीं?”
NEWS : निजी पसंद में हस्तक्षेप कर निजता में दखल
बेंच ने कहा, ”कोई भी कोर्ट इसे क्राइम घोषित नहीं कर सकती, क्योंकि यह उसकी निजी पसंद है और इसमें हस्तक्षेप करना उसकी निजता में दखल के समान है।”
ऐसा कोई आरोप नहीं है कि याचिकाकर्ता (आरोपी) ने वीडियो को सार्वजनिक रूप से किसी को दिखाया हो”
NEWS : सर्वाजनिक रूप से देखना धारा 292 के तहत अपराध
अदालत ने आगे कहा कि आरोपी यदि दूसरों तक अश्लील फोटो और वीडियो को पहुंचाता है या सर्वाजनिक रूप से देखता है तो , आईपीसी की धारा 292 के तहत अपराध की श्रेणी में आता है।
साथ ही कोर्ट ने कहा कि इस खतरे के बारे में परिजनों को पता होना चाहिए इसलिए बच्चों को मोबाइल देते वक्त उन्हें केवल जानकारी वाले वीडियो देखने की अनुमति दें।
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