वेब स्टोरी

News : गाजियाबाद के स्कूल में टीका और कलावा को लेकर विवाद, छात्राओं को बाहर निकाला, हिंदू संगठनों का हंगामा!

News : गाजियाबाद के विजयनगर क्षेत्र में स्थित एक राजकीय कन्या इंटर कॉलेज में उस समय तनाव की स्थिति पैदा हो गई, जब कुछ छात्राओं को माथे पर तिलक और हाथ में कलावा न हटाने के कारण स्कूल से बाहर निकाल दिया गया।

इस घटना की खबर जैसे ही फैली, हिंदू संगठनों के कार्यकर्ता और छात्राओं के परिजन स्कूल के बाहर जमा हो गए, जिससे माहौल गरमा गया।

News : घटना का विवरण

विवाद की शुरुआत तब हुई जब स्कूल के कुछ शिक्षकों ने छात्राओं को अपने माथे से तिलक हटाने और हाथ से कलावा उतारने को कहा। छात्राओं के मना करने पर, उन्हें विद्यालय परिसर से बाहर निकाल दिया गया।

यह घटना तुरंत ही सोशल मीडिया और स्थानीय माध्यमों से फैल गई, जिसके बाद बड़ी संख्या में लोगों ने स्कूल के सामने इकट्ठा होकर विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया। छात्राओं के परिवार वाले भी मौके पर पहुंचे और शिक्षकों से बहस करने लगे, जिससे स्थिति और भी तनावपूर्ण हो गई।

News : पुलिस की त्वरित कार्रवाई

स्कूल के भीतर स्थिति बिगड़ने से पहले ही, स्थानीय पुलिस मौके पर पहुंच गई। पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को शांत कराया और मामले को नियंत्रण में लिया।

पुलिस अधिकारियों ने सभी पक्षों से बातचीत की और शांति बनाए रखने की अपील की। पुलिस ने आश्वासन दिया कि मामले की पूरी तरह से जांच की जाएगी और जो भी दोषी पाया जाएगा, उसके खिलाफ उचित कार्रवाई की जाएगी।

News : प्रिंसिपल का बयान

स्कूल की प्रिंसिपल डॉ. विभा चौहान ने इस घटना पर अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि उन्हें इस मामले की जानकारी पहले नहीं थी और अगर किसी को कोई समस्या थी तो उन्हें पहले स्कूल प्रशासन से संपर्क करना चाहिए था।

उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि स्कूल परिसर में अचानक आकर माहौल बिगाड़ना उचित नहीं है, खासकर तब जब छात्राएं पढ़ाई कर रही हों। डॉ. चौहान ने यह भी कहा कि अगर शिकायत के बाद स्कूल प्रशासन कोई कार्रवाई नहीं करता, तो आगे कदम उठाए जा सकते थे।

प्रिंसिपल ने स्पष्ट रूप से कहा कि विद्यालय में राजनीतिक प्रदर्शन किसी भी तरह से उचित नहीं है। उनका मानना है कि स्कूल एक शैक्षिक संस्थान है और यहाँ का वातावरण शांत और पढ़ाई के अनुकूल रहना चाहिए। किसी भी तरह के धार्मिक या राजनीतिक प्रदर्शन से छात्रों की शिक्षा बाधित होती है।

News : कानूनी और सामाजिक पहलू

यह घटना भारत के संविधान में दिए गए धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार और शिक्षण संस्थानों के नियमों के बीच एक संवेदनशील संतुलन का मुद्दा उठाती है। एक ओर, नागरिकों को अपने धार्मिक प्रतीकों को धारण करने का अधिकार है, वहीं दूसरी ओर, स्कूल जैसे संस्थानों में एक समान ड्रेस कोड और अनुशासन बनाए रखना भी महत्वपूर्ण होता है।

इस मामले में, यह देखना होगा कि क्या स्कूल के नियम धार्मिक प्रतीकों को प्रतिबंधित करते हैं, और यदि करते हैं, तो क्या वे संवैधानिक रूप से वैध हैं।

पुलिस इस पूरे मामले की गंभीरता से जांच कर रही है। पुलिस अधिकारियों ने कहा है कि वे दोनों पक्षों के बयानों को दर्ज करेंगे और तथ्यों को सत्यापित करेंगे। इस घटना ने एक बार फिर से यह सवाल खड़ा कर दिया है कि धार्मिक अभिव्यक्ति और शैक्षिक अनुशासन के बीच की सीमा रेखा कहाँ खींची जाए।

समाज के विभिन्न वर्गों के लोगों के लिए यह एक महत्वपूर्ण चर्चा का विषय बन गया है। इस घटना से यह भी साफ है कि इस तरह के संवेदनशील मुद्दों को धैर्य और बातचीत के माध्यम से सुलझाना आवश्यक है, ताकि किसी भी तरह का सामाजिक तनाव न बढ़े।

Also Read : News : मुफ्त खाने के लिए युवकों ने थाली में मिलाया हड्डी, CCTV फुटेज से खुली पोल!

Watch Video

Watch the full video for more details on this story.

You Might Also Like

Facebook Feed