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News : दून अस्पताल में लापरवाही का आरोप, आयुष्मान कार्ड से काटे पैसे पर नहीं किया मरीज का ऑपरेशन!

News : दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल का यूरोलॉजी विभाग एक बार फिर सवालों के घेरे में है। एक मरीज को ऑपरेशन के लिए पहले एक महीने तक इंतजार कराया गया, फिर भर्ती करने के बाद दो दिन तक ऑपरेशन थिएटर (ओटी) में भूखा रखा गया और अंत में बिना सर्जरी के ही वापस भेज दिया गया।

चौंकाने वाली बात यह है कि इस दौरान मरीज के आयुष्मान कार्ड से लगभग 47,000 रुपये भी काट लिए गए। पीड़ित परिवार ने अब अस्पताल प्रशासन और सोशल मीडिया पर इस लापरवाही की शिकायत की है, जिसके बाद अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक (एमएस) ने डॉक्टर और आयुष्मान अनुभाग से स्पष्टीकरण मांगा है।

News : पूरे दिन ओटी में इंतजार और खाली पेट लौटना

मामला अनिल रावत (45) का है, जिन्हें यूरोलॉजी विभाग में ऑपरेशन के लिए एक महीने से अधिक समय से चक्कर लगाने पड़ रहे थे। उनकी पत्नी अनिता रावत ने अपनी शिकायत में बताया कि उन्हें 12 जुलाई को 14 जुलाई को भर्ती होने के लिए कहा गया था। भर्ती होने के बाद, 15 जुलाई को उन्हें ओटी में ले जाया गया।

हालांकि, दोपहर 3:30 बजे उन्हें वापस वार्ड में भेज दिया गया, यह कहते हुए कि उनका रक्तचाप (बीपी) हाई है। अनिता रावत ने आरोप लगाया कि उनके पति का बीपी चेक ही नहीं किया गया था। सुबह 9 बजे से दोपहर 3:30 बजे तक, अनिल रावत को लेटने के लिए बेड भी नहीं मिला और वे किसी अन्य मरीज के बेड पर बैठे रहे।

दो दिन बाद, 17 जुलाई को, उन्हें फिर से ओटी में ले जाया गया और बिलिंग भी कर दी गई। लेकिन दोपहर 3 बजे फिर से बताया गया कि "डॉक्टर साहब चले गए हैं और अब ऑपरेशन नहीं होगा।" उस समय तीन अन्य मरीज भी ऑपरेशन का इंतजार कर रहे थे।

इस लापरवाही और इंतजार से परेशान होकर, परिवार ने मरीज को डिस्चार्ज कराने का फैसला किया। डिस्चार्ज पेपर पर डॉक्टर ने 'स्लॉट खाली नहीं होने' और 'खुद मरीज को ले जाने' का कारण लिखा।

News : आयुष्मान कार्ड से कटे हजारों रुपये

अनिता रावत ने अस्पताल के स्टाफ पर अभद्रता का भी आरोप लगाया। उन्होंने बताया कि जब वह अपनी शिकायत दर्ज कराने पीआरओ (जनसंपर्क अधिकारी) के पास गईं, तो उन्हें पता चला कि उनके आयुष्मान कार्ड से 47,000 रुपये काट लिए गए हैं। जबकि ऑपरेशन हुआ ही नहीं था।

इस बात का विरोध करने पर, अस्पताल ने लगभग 37,000 रुपये वापस लौटा दिए, लेकिन 'एक कैनुला लगाने' और 'बेड देने' के नाम पर 9,930 रुपये काट लिए गए। यह घटना आयुष्मान योजना के तहत उपचार प्राप्त करने वाले मरीजों की सुरक्षा और अधिकारों पर गंभीर सवाल उठाती है।

News : सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल, एमएस ने मांगा स्पष्टीकरण

परेशान होकर, अनिता रावत ने अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक (एमएस) को लिखित में शिकायत दी और सोशल मीडिया पर दो वीडियो पोस्ट कर डॉक्टरों और स्टाफ की कथित लापरवाही की पोल खोली।

इन वीडियो के वायरल होने के बाद, एमएस ने डॉक्टर और आयुष्मान अनुभाग से स्पष्टीकरण तलब किया है। यह कदम अस्पताल में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, खासकर जब से इस तरह की शिकायतें लगातार सामने आ रही हैं।

News : अस्पताल में सर्जरी सेवाओं की स्थिति

यह घटना ऐसे समय में सामने आई है जब दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल में सर्जरी सेवाओं की स्थिति पहले से ही चिंताजनक है। अस्पताल में प्लास्टिक सर्जरी विभाग पूरी तरह से ठप पड़ा है क्योंकि प्लास्टिक सर्जन डॉ. शिवम डंग अस्पताल छोड़कर चले गए हैं। इसके अतिरिक्त, सामान्य सर्जरी विभाग में केवल दो डॉक्टर, डॉ. अभय कुमार और डॉ. नेहा महाजन, कार्यरत हैं।

डॉक्टरों की कमी के कारण मरीजों को ऑपरेशन के लिए लंबी तारीखें मिल रही हैं, जिससे हरिद्वार की मरीज प्रीती और निर्मला जैसी कई मरीजों को सर्जरी के लिए लंबा इंतजार करना पड़ रहा है। यह स्थिति अस्पताल में विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी और मरीजों को समय पर उपचार न मिल पाने की समस्या को उजागर करती है।

News : स्वास्थ्य मंत्री का औचक निरीक्षण

वायरल वीडियो और अस्पताल में लापरवाही के आरोपों के बाद, उत्तराखंड के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत रविवार शाम को दून अस्पताल में औचक निरीक्षण करने पहुंचे। उन्होंने इमरजेंसी और कई वार्डों में मरीजों और उनके तीमारदारों से बातचीत की और उनके इलाज के बारे में जानकारी ली।

बताया गया कि वे विशेष रूप से यूरोलॉजी विभाग में लापरवाही के आरोप लगाने वाले महिला के वीडियो वायरल होने के बाद इस मामले की जानकारी लेने पहुंचे थे।

मंत्री के निरीक्षण से उम्मीद है कि अस्पताल प्रशासन इस मामले में गंभीरता से कार्रवाई करेगा और भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति को रोकने के लिए आवश्यक कदम उठाएगा।

इस मामले में एमएस द्वारा मांगे गए स्पष्टीकरण और स्वास्थ्य मंत्री के हस्तक्षेप के बाद अस्पताल प्रशासन से कड़ी कार्रवाई की उम्मीद है। यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि अस्पताल इस तरह की लापरवाही के लिए जिम्मेदार व्यक्तियों के खिलाफ क्या कदम उठाता है और मरीजों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए क्या उपाय किए जाते हैं।

आयुष्मान कार्ड से पैसे काटे जाने का मामला भी जांच का विषय है, ताकि भविष्य में इस तरह की धोखाधड़ी को रोका जा सके। यह घटना दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल में स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता और प्रबंधन पर गंभीर सवाल उठाती है, जिस पर तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है।

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