News : आपदा को लेकर धामी सरकार अलर्ट, लगातार निरीक्षण कर रहे भूवैज्ञानिक!
News : मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर उत्तराखंड के पौड़ी जिले में आपदा प्रभावित क्षेत्रों का भूगर्भीय अध्ययन करने के लिए एक विशेष समिति का गठन किया गया है। इस समिति ने 12 से 15 अगस्त, 2025 तक तहसील पौड़ी और चौबट्टाखाल के अंतर्गत आने वाले सैंजी, कलगड़ी, बुरांसी, कोटा, क्यार्द, कलूण और रैदुल जैसे गांवों का दौरा कर भौतिक निरीक्षण किया। इस निरीक्षण का उद्देश्य उन कारणों का पता लगाना है, जिनसे इन क्षेत्रों को भारी नुकसान पहुंचा है, और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए उपाय सुझाना है।
News : भूवैज्ञानिकों की विशेष समिति का गठन
जिलाधिकारी स्वाति एस भदौरिया ने बताया कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इन क्षेत्रों की गंभीर स्थिति को देखते हुए, भूगर्भीय अध्ययन के लिए विशेषज्ञों की एक टीम गठित करने का निर्देश दिया था।
इस पर, भूतत्व एवं खनिकर्म विभाग के तीन विशेषज्ञों को मिलाकर एक समिति का गठन किया गया, जिसमें डॉ. अमित गौरव (उप निदेशक/भूवैज्ञानिक), डॉ. कृष्ण सिंह सजवाण (सहायक भूवैज्ञानिक) और रुचि गोदियाल (प्राविधिक सहायक-भूविज्ञान) शामिल थे। इस समिति ने पौड़ी के आपदा प्रबंधन विभाग के साथ मिलकर निरीक्षण कार्य को पूरा किया।
News : अतिवृष्टि ने पहुंचाया भारी नुकसान
समिति के सदस्य डॉ. अमित गौरव ने बताया कि ज्यादातर नुकसान उन क्षेत्रों में हुआ है, जहां तीव्र ढालें हैं, या जो जल स्रोतों, नालों और नदियों के किनारे स्थित हैं। इसके अलावा, गैप वाली चट्टानों और मिट्टी की मोटी परतों वाले स्थानों पर भी भारी क्षति देखी गई है। इन स्थानों पर अत्यधिक बारिश के कारण आवासीय भवन, कृषि भूमि और पहाड़ी ढालों को भारी नुकसान पहुंचा है।
यह अध्ययन उन संवेदनशील क्षेत्रों की पहचान करने में मदद करेगा, जहां भविष्य में भूस्खलन और अन्य आपदाओं का खतरा अधिक है। समिति ने अपनी प्रारंभिक रिपोर्ट में इन क्षेत्रों की सुरक्षा, संरक्षण और पुनर्वास से संबंधित विस्तृत सुझाव दिए हैं, जिन्हें जल्द ही उत्तराखंड शासन को सौंपा जाएगा।
News : भविष्य की योजना और पुनर्वास
इस रिपोर्ट के आधार पर, सरकार आपदा प्रभावित क्षेत्रों के पुनर्वास और विकास के लिए ठोस कदम उठा सकती है। यह अध्ययन न केवल नुकसान का आकलन करने में मदद करेगा, बल्कि यह भी तय करेगा कि किस तरह से इन क्षेत्रों में निर्माण और विकास कार्यों को सुरक्षित बनाया जा सकता है। सरकार का उद्देश्य प्रभावित लोगों को सुरक्षित स्थानों पर बसाना और भविष्य में होने वाले नुकसान को कम करना है।
इस तरह की वैज्ञानिक जांच यह सुनिश्चित करती है कि आपदा प्रबंधन के प्रयास केवल राहत तक सीमित न रहें, बल्कि दीर्घकालिक समाधानों पर भी ध्यान केंद्रित किया जाए, जिससे राज्य के पर्वतीय क्षेत्रों में रहने वाले लोगों का जीवन सुरक्षित हो सके।
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