Health : कैंसर को लंबे समय से उम्र से जुड़ा रोग माना जाता रहा है, लेकिन हाल के वर्षों में एक चौंकाने वाली ट्रेंड सामने आई है — 50 साल से कम उम्र के लोगों में कैंसर के मामलों में तेज़ी से वृद्धि हो रही है।
दुनिया भर में हुए शोधों और आंकड़ों के विश्लेषण से यह संकेत मिलता है कि युवाओं में कैंसर का जोखिम पहले के मुकाबले कहीं ज़्यादा हो गया है।
इस बढ़ते खतरे के पीछे क्या कारण हैं? क्या हमारी जीवनशैली, खानपान या पर्यावरण इसकी वजह हैं? आइए इस हेल्थ रिपोर्ट में इस गंभीर विषय पर विस्तार से नज़र डालते हैं।
Health : 50 से पहले बढ़ते कैंसर केस
जर्नल Nature Reviews Clinical Oncology में प्रकाशित एक रिसर्च के अनुसार, 1990 के बाद जन्मे लोगों में कैंसर के शुरुआती मामलों में तेज़ी से बढ़ोतरी हुई है। स्तन, कोलन, अंडाशय, थायरॉइड, अग्नाशय (पैंक्रियाज) और अन्य अंगों से संबंधित कैंसर अब युवाओं को अधिक प्रभावित कर रहे हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की रिपोर्ट बताती है कि 2022 में ही करीब 19.3 मिलियन नए कैंसर केस सामने आए, जिनमें से बड़ी संख्या 50 वर्ष से कम उम्र के लोगों की थी। भारत में भी यह ट्रेंड साफ देखने को मिल रहा है। हाल के वर्षों में ब्रेस्ट कैंसर और कोलन कैंसर जैसी बीमारियाँ 30 से 40 वर्ष की आयु की महिलाओं और पुरुषों में आम होती जा रही हैं।
Health : मुख्य कारण: क्यों बढ़ रहा है युवाओं में कैंसर?
1. अनहेल्दी डाइट और प्रोसेस्ड फूड्स का सेवन
शुरुआती उम्र में ही प्रोसेस्ड मीट, फास्ट फूड, शुगर ड्रिंक्स और हाई-फैट डाइट के ज़्यादा सेवन से शरीर में सूजन (inflammation) और कोशिकाओं में म्यूटेशन बढ़ता है। इससे कैंसर सेल्स के पनपने का खतरा ज़्यादा हो जाता है।
2. शारीरिक सक्रियता की कमी और मोटापा
बैठे-बैठे रहने की आदत, व्यायाम की कमी और बचपन से मोटापा कैंसर का बहुत बड़ा रिस्क फैक्टर बन चुका है। खासकर पेट और आंतों से जुड़े कैंसर इसी वजह से बढ़ रहे हैं।
3. नींद और शरीर की जैविक घड़ी (Biological Clock) का बिगड़ना
शिफ्ट वर्क, मोबाइल और लैपटॉप पर देर रात तक जागना, नींद का अनियमित समय — ये सभी हमारे सर्केडियन रिद्म को डिस्टर्ब करते हैं, जिससे हार्मोनल असंतुलन और कैंसर का खतरा बढ़ता है।
4. एंटीबायोटिक्स और हार्मोनल दवाओं का ज़्यादा उपयोग
कई बार डॉक्टर की सलाह के बिना ली गई एंटीबायोटिक दवाएं या हार्मोनल सप्लीमेंट शरीर की कोशिकाओं पर बुरा असर डालते हैं। लंबे समय तक इनका असर कैंसर को जन्म दे सकता है।
5. पर्यावरण प्रदूषण और केमिकल एक्सपोज़र
वातावरण में बढ़ता प्रदूषण, प्लास्टिक के कंटेनर में रखा खाना, कीटनाशक (pesticides) और कॉस्मेटिक्स में मौजूद हानिकारक रसायन भी कैंसर के लिए ज़िम्मेदार माने जाते हैं।
6. मानसिक तनाव और जीवनशैली में असंतुलन
लंबे समय तक बना रहने वाला स्ट्रेस शरीर के इम्यून सिस्टम को कमजोर करता है। तनाव की वजह से लोग सिगरेट, शराब और अन्य नशे की ओर भी बढ़ते हैं, जो कैंसर का सीधा कारण बन सकते हैं।
Health : विशेषज्ञों की राय
AIIMS दिल्ली के ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ. सौरभ मेहरा के अनुसार, “कैंसर अब केवल बुजुर्गों की बीमारी नहीं रही। युवाओं की जीवनशैली में आए बड़े बदलाव इसके लिए मुख्य रूप से ज़िम्मेदार हैं। अब कैंसर की स्क्रीनिंग और जागरूकता 30 की उम्र से ही शुरू हो जानी चाहिए।”
इसी तरह टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल, मुंबई के डॉक्टर विवेक राजपूत का मानना है कि “फैमिली हिस्ट्री और जेनेटिक फैक्टर्स भी कैंसर के रिस्क को बढ़ाते हैं। युवाओं को नियमित जांच करवानी चाहिए, खासकर यदि उनके परिवार में कैंसर का इतिहास रहा हो।”
Health : कैसे करें कैंसर से बचाव? कुछ ज़रूरी सुझाव
संतुलित और ताज़ा आहार लें — फल, सब्जियां, फाइबर युक्त भोजन को अपनी डाइट में शामिल करें।
फिजिकल एक्टिविटी को बढ़ाएं — रोज़ाना कम से कम 30 मिनट तेज़ चलना या योग करें।
धूम्रपान और शराब से दूरी रखें — यह कैंसर के सबसे बड़े रिस्क फैक्टर हैं।
रेगुलर हेल्थ चेकअप कराएं — समय-समय पर स्क्रीनिंग से बीमारी को जल्दी पकड़ा जा सकता है।
मानसिक स्वास्थ्य का ख्याल रखें — तनाव से बचने के लिए मेडिटेशन, अच्छी नींद और सोशल सपोर्ट ज़रूरी है।
50 साल से पहले कैंसर का बढ़ता खतरा एक बड़ी स्वास्थ्य चुनौती बन चुका है। यह केवल मेडिकल इश्यू नहीं बल्कि हमारी बदलती जीवनशैली, खानपान और सोच का भी नतीजा है।
यदि हम अभी से सचेत हो जाएं और हेल्दी रूटीन को अपनाएं तो इस जोखिम को काफी हद तक टाला जा सकता है। सरकार, हेल्थ सेक्टर और आम नागरिक — सभी को मिलकर इस बदलते ट्रेंड को गंभीरता से लेना होगा, ताकि अगली पीढ़ी एक बेहतर और स्वस्थ भविष्य देख सके।
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