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Haldiram को खरीदने में जुटीं विदेशी कंपनियां, वैल्यूएशन 70,500 करोड़ रुपए, पढ़ें | Nation One

Haldiram : जब बीकानेर की एक छोटी सी दुकान से वर्ष 1937 में गंगा बिशेन अग्रवाल ने भुजिया-नमकीन बेचना शुरू किया होगा तो शायद ही सोचा होगा कि एक दिन उनकी यह दुकान हल्दीराम नाम की 70,500 करोड़ रुपए की कंपनी बन जाएगी।

गंगा बिशेन अग्रवाल को प्यार से उनके परिवार के लोग हल्दीराम कहते थे। मिठाई और नमकीन के लोकप्रिय ब्रांड हल्दीराम को खरीदने के लिए दुनिया की दिग्गज इक्विटी फर्मों के बीच जंग चल रही है।

दुनिया की सबसे बड़ी प्राइवेट इक्विटी कंपनी ब्लैकस्टोन इंक की अगुवाई वाले कंसोर्टियम को टक्कर देने के लिए अब टेमासेक होल्डिंग्स लिमिटेड और बेन कैपिटल ने हाथ मिला लिया है। इससे हल्दीराम में हिस्सेदारी खरीदने की होड़ दिलचस्प हो गई है।

Haldiram : होगा सबसे बड़ा अधिग्रहण

मीडिया रिपोट्र्स के मुताबिक, बेन और टेमासेक ने 8 से 8.5 अरब डॉलर यानी 66,400 से 70,500 करोड़ रुपए के वैल्यूएशन पर पिछले हफ्ते हल्दीराम को नॉन-बाइंडिंग ऑफर सौंपा।

इससे पहले ब्लैकस्टोन ने हल्दीराम में 76त्न तक हिस्सेदारी खरीदने के लिए अबू धाबी इन्वेस्टमेंट अथॉरिटी और सिंगापुर के सॉवरेन वेल्थ फंड जीआइसी के साथ हाथ मिलाया है।

अगर यह डील पूरी होती है तो भारत में प्राइवेट इक्विटी फर्म की तरफ से किया गया अब तक का सबसे बड़ा अधिग्रहण होगा। हालांकि इस डील को लेकर अब तक न तो हल्दीराम और न ही इसे खरीदने की इच्छुक कंपनियों से कोई आधिकारिक बयान आया है।

Haldiram : हल्दीराम परिवार 3 हिस्सों में बंटा

अग्रवाल परिवार की योजना अब स्नैक्स बिजनस का मर्जर करने और रेस्तरां चेन के लिए अलग कंपनी बनाने की है। हल्दीराम परिवार मौजूदा समय में 3 हिस्सों में बंटा हुआ है।

मौजूदा समय में नागपुर बिजनेस (हल्दीराम फूड्स इंटरनेशनल प्राइवेट लिमिटेड) और दिल्ली बिजनेस (हल्दीराम स्नैक्स प्राइवेट लिमिटेड) के मर्जर की बात हो रही है। दोनों कंपनियों के विलय के हल्दीराम स्नैक्स फूड्स प्राइवेट लिमिटेड नाम से एक नई कंपनी अस्तित्व में आएगी।

इस विलय के बाद दिल्ली के मनोहर अग्रवाल और मधु सुदन अग्रवाल की कंपनी में हिस्सेदारी 56% होगी। जबकि नागपुर के कमलकिशन अग्रवाल की हिस्सेदारी 44% होगी। इस विलय से हल्दीराम के पूर्वोत्तर के बजनेस को दूर रखा गया है।

Haldiram : कब तक होगी डील

हल्दीराम को लेकर कोई भी डील तभी पूरी हो सकती है, जब उसके दिल्ली और नागपुर बिजनेस का विलय हो जाएगा। सूत्रों को मुताबिक, हल्दीराम में बहुसंख्य हिस्सेदारी बेचने की डील तीन-चार महीने में पूरी हो सकती है।

लेकिन यह इस बात पर निर्भर करेगा कि अग्रवाल परिवार हल्दीराम में कितनी हिस्सेदारी बेचता है और इसकी वैल्यूएशन कितनी रहती है। इसी के आधार पर बेन एंड कैपिटल और ब्लैकस्टोन अपन-अपने कंसोर्टियम का दायरा बढ़ा सकता है।

हल्दीराम के स्नैक्स बिजनस के मर्जर को एनसीएलटी ने मंजूरी दे दी है और इसमें भी तीन-चार महीने लगने की उम्मीद है। भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) ने अप्रेल, 2023 में विलय योजना को मंजूरी दी थी।

Haldiram : जानिए हल्दीराम से जुड़े कुछ इंटरेस्टिंग फैक्ट्स

*हल्दीराम को खरीदने के लिए दुनिया की दिग्गज कंपनियों में जंग चल रही है। अगर यह डील हुई तो भारत में प्राइवेट इक्विटी फर्म की तरफ से अब तक का सबसे बड़ा अधिग्रहण होगा।

*70,500 करोड़ रुपए आंकी गई हल्दीराम की कुल मार्केट वैल्यू, इस वैल्यूएशन पर हिस्सेदारी खरीदने के लिए ब्लैकस्टोन कंसोर्टियम और बेन-टेमासेक कंसोर्टियम के बीच टक्कर।

*6.2 अरब डॉलर के भारतीय स्नैक मार्केट में हल्दीराम की लगभग 13% हिस्सेदारी, लेज चिप्स के लिए मशहूर पेप्सी का भी लगभग 13% हिस्सा।

*100 से अधिक देशों में फैला है हल्दीराम का कारोबार, कंपनी के पास अभी लगभग 150 रेस्तरां, कंपनी 400 से अधिक तरह के फूड आइटम्स बेचती है।

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