मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बोले — मुस्तफाबाद अब होगा ‘कबीरधाम’, समाज को एकजुटता का संदेश
लखीमपुर खीरी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोमवार को संत क्षमा देव और गुरमन देव के स्मृति जन्मोत्सव मेले में शामिल होकर समाज को एकता और समानता का संदेश दिया। इस दौरान उन्होंने घोषणा की कि लखीमपुर खीरी के मुस्तफाबाद गांव का नाम बदलकर ‘कबीरधाम’ रखा जाएगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जब उन्होंने गांव का नाम “मुस्तफाबाद” सुना, तो जानकारी ली कि यहां मुस्लिम आबादी नहीं है। इसके बाद उन्होंने कहा कि गांव का नाम इसकी सांस्कृतिक पहचान के अनुरूप “कबीरधाम” होना चाहिए। मुख्यमंत्री ने बताया कि नाम परिवर्तन के लिए प्रस्ताव मांगा गया है और प्रक्रिया पूरी होने के बाद आधिकारिक रूप से यह परिवर्तन किया जाएगा।
आस्था और सांस्कृतिक विरासत पर बोले मुख्यमंत्री
मुख्यमंत्री ने कहा कि आज देश में जो सरकार कार्य कर रही है, उसका लक्ष्य राष्ट्रहित और सांस्कृतिक पुनर्जागरण है। उन्होंने कहा कि पूर्व की सरकारों में धार्मिक आस्थाओं की उपेक्षा की गई और संसाधनों का दुरुपयोग हुआ। “पहले धार्मिक स्थलों की उपेक्षा कर कब्रिस्तान की दीवारों पर धन खर्च किया जाता था, लेकिन अब अयोध्या, काशी और अन्य तीर्थस्थलों का गौरव लौटाया गया है,” उन्होंने कहा।
कबीर की शिक्षाओं को बताया आज भी प्रासंगिक
योगी आदित्यनाथ ने संत कबीरदास के विचारों को समाज के लिए दिशा देने वाला बताया। उन्होंने कहा कि कबीर ने जात-पात और भेदभाव के खिलाफ आवाज उठाई थी। “कबीरदास ने कहा था — जाति न पूछो साधु की, पूछ लीजिए ज्ञान, यह विचार आज भी समाज के लिए प्रेरणा हैं,” मुख्यमंत्री ने कहा।
उन्होंने यह भी कहा कि गुरु रामानंद, कबीरदास, रविदास जैसे संतों ने उस समय समाज को जोड़ने का काम किया, जब जातीय भेदभाव चरम पर था। आज भी हमें उन्हीं मूल्यों का पालन कर समाज में एकता और सद्भाव बनाए रखना चाहिए।
समाज में एकजुटता और सुधार पर जोर
मुख्यमंत्री ने कहा कि आज भी कुछ तत्व समाज को जाति और मत के आधार पर बांटने की कोशिश करते हैं। “भारत की ताकत उसकी एकता में है। हमें अपनी कमियों को दूर करते हुए संतों के मार्ग पर चलकर समाज और राष्ट्र की भलाई के लिए कार्य करना चाहिए,” उन्होंने कहा।
कार्यक्रम के अंत में मुख्यमंत्री ने संत कबीर और अन्य संतों के आदर्शों को जन-जन तक पहुंचाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि कबीरधाम आने वाले समय में सामाजिक समरसता और आध्यात्मिक चेतना का केंद्र बनेगा।
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