Uttarakhand : उत्तराखंड में अब आधार कार्ड और अन्य सरकारी दस्तावेज़ बनवाना पहले जितना आसान नहीं रहेगा। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सभी जिलों के अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि किसी भी सरकारी दस्तावेज़ को जारी करने से पहले आवेदक की पहचान और दस्तावेज़ों का पूरा सत्यापन अनिवार्य किया जाए।
Uttarakhand : क्यों किया गया बदलाव?
हाल के समय में राज्य में फर्जी दस्तावेज़ों और पहचान पत्रों के ज़रिए योजनाओं का अनुचित लाभ लेने के कई मामले सामने आए हैं। इन्हीं को देखते हुए सरकार ने यह सख्त कदम उठाया है ताकि पारदर्शिता सुनिश्चित की जा सके और सरकारी योजनाओं का लाभ सिर्फ असली और पात्र लोगों तक ही पहुंचे।
मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को उन मामलों पर भी रिपोर्ट देने को कहा है, जो धार्मिक परिवर्तन से जुड़े हैं। जिलों को निर्देश दिए गए हैं कि ऐसे मामलों में संदिग्ध लोगों की पहचान कर उनके दस्तावेज़ों की दोबारा जांच की जाए, जिससे कोई अवैध रूप से पहचान बदलकर सरकारी लाभ न ले सके।
Uttarakhand : भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस
धामी सरकार ने भ्रष्टाचार के खिलाफ भी अपनी कमर कस ली है। उन्होंने टोल फ्री नंबर 1064 को और प्रभावी बनाने का आदेश दिया है ताकि आम जनता सीधे भ्रष्ट अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ शिकायत दर्ज कर सके। सरकार का मानना है कि जब तक सिस्टम साफ नहीं होगा, जनता को न्याय नहीं मिलेगा।
नई व्यवस्था के तहत दस्तावेज़ों के सत्यापन में किसी भी प्रकार की लापरवाही पर संबंधित अधिकारी को भी जिम्मेदार माना जाएगा। साथ ही डिजिटल प्रणाली को मजबूत करने की दिशा में भी तेजी से काम किया जा रहा है ताकि सत्यापन प्रक्रिया तेज और सटीक हो सके।
उत्तराखंड सरकार का यह कदम राज्य में पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ाने की दिशा में बड़ा बदलाव साबित हो सकता है। अब फर्जी दस्तावेज़ों से लाभ उठाने वालों के लिए रास्ता बंद होता नजर आ रहा है, जबकि ईमानदार और पात्र नागरिकों को इसका सीधा लाभ मिलेगा।
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