उत्तराखंड स्वास्थ्य सेवाएं : पहाड़ त्रस्त सरकार मस्त | Nation One
देहरादून | एक तरफ जहां उत्तराखंड सरकार प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर अपनी गंभीरता के किस्से गाड़ती रहती हैं। वहीं दूसरी तरफ अभी भी पहाड़ी इलाकों में 108 का अभाव है, जिसके चलते आज के समय में भी ना जाने कितनी जाने टाइम पर अस्पताल ना पहुंच पाने के कारण चली जाती हैं। बावजूद इसके सरकार के कानों पर जूं तक नहीं रेंग पाती।
आपको ऐसा ही एक सच बताने जा रहे है जिसको जानकर आप भी समझ जाओगे की आखिर संसाधन होने के बावजूद भी सरकार क्यों नहीं पहाड़ी लोगो के प्रति गंभीर है। एक तरफ तो आप पहाड़ो से पलायन रोकने की बात करते हैं, वहीं दूसरी तरफ पहाड़ो में सुविधा पहुंचाने के वक्त नतमस्तक हो जाते है। जिसको देखते हुए अब यही लगता है कि सरकार सिर्फ जुमलेबाजी में लगी हुई है।
गौर करने वाली बात ये है कि आप उत्तराखंड 108 के देहरादून में देखे तो कम से कम 100 एम्बुलेंस सरकार ने कंटम के तौर पर खड़ी की हुई है, जिसमें तर्क ये है कि ये गाडियां अब खराब हो गई है और इनका उपयोग अब नहीं किया जा सकता। कितनी अजीब बात है ना कि इन गाड़ियों को थोड़ा मरम्मत कराकर पहाड़ो में भेजा जा सकता था। लेकिन सरकार ने इस जहमत को उठाना गवारा नहीं समझा।
आपको बता दे इन सभी गाड़ियों कि कीमत दस से बीस लाख की है। आखिर सरकार ने जनता के पैसों को समझे क्या हुआ है क्यों लोगो को बेवकूफ बनाने के सिवाय इनके पास कुछ नहीं है। वैसे भी पहाड़ के लोग आपसे लग्ज़री एम्बुलेंस की मांग नहीं करते है उनके लिए सिर्फ एम्बुलेंस चाहिए, जो गावो के लोगो को जरूरत पढ़ने पर अस्पताल ले जाए। आप आए दिन देखते रहते है सुनते रहते है समय पर उपचार ना होने के कारण पहाड़ के लोग रास्ते में ही दम्म तोड़ देते है। आखिर ये सूबे में कब तक चलता रहेगा।
अब इतनी गाड़ियों को खटारा के रूप में 108 मुख्यालय में खड़ा कर दिया गया है। जिसमें अधिक संख्या में ऐसी गडिया है जिसमें थोड़ी बहुत कमी है जिनको दूर कराकर ब्लॉक स्तर पर पहाड़ी इलाकों में भेजा जा सकता था। लेकिन नहीं सरकार को इनकी परवाह क्यों होंगी। जनता का दुख दर्द सरकार भला क्यों समझे जनता होती कौन है।
वैसे तो सरकार चाहे किसी की भी रही हो पहाड़ के लोगो का दुख दर्द किसी ने नहीं समझा है किसी ने बहुत ठीक ही कहा है कि इन पहाड़ो को तो पहाड़ी ही खा गए। अब इन राजनेताओं को सोचना चाहिए वोट लेते समय जो वादे जनता से करते है कितने वादो को पूरा करते है।
अरे भय्या सब वादे पूरे करो ना करो कम से कम पहाड़ी लोगो को एम्बुलेंस तो मुहैय्या करा ही दो कम से कम उनके अपने इलाज के अभाव में उनसे दूर तो नहीं होंगे। बाकी आपने उनका जीवन भगवान भरोसे तो पहले ही रखा हुआ है। सरकार जाग जाओ और दर्द समझो उन लोगो को जिनके अपने चले गए खस्ताहाल स्वास्थ्य सेवाओं में नहीं तो जनता तो मुआफ कर ही देगी लेकिन स्वास्थ सेवाओं के आभाव में जिन लोगों ने अपनी जान गवाई है, उनकी आत्मा कभी मुआफ़ नहीं करेगी।
देहरादून से आदिल पाशा की रिपोर्ट