वेब स्टोरी

योग के प्रकार, फायदे, मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव और आयुर्वेदिक लाभ

योग, भारत की प्राचीन धरोहर, आज वैश्विक स्तर पर शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए एक शक्तिशाली उपकरण के रूप में मान्यता प्राप्त कर चुका है। यह केवल आसन (शारीरिक मुद्राएं) तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह एक संपूर्ण जीवन शैली है जो व्यक्ति को स्वयं से और ब्रह्मांड से जोड़ने में मदद करती है। आइए, योग के विभिन्न प्रकारों, उनके फायदों और अन्य महत्वपूर्ण पहलुओं पर विस्तार से चर्चा करें।

योग के प्रकार और फायदे

योग एक विशाल और बहुआयामी अभ्यास है जिसमें कई शाखाएं और शैलियाँ शामिल हैं, जिनमें से प्रत्येक का अपना विशिष्ट ध्यान और लाभ हैं। प्रमुख प्रकारों में शामिल हैं:

* हठ योग: यह योग की सबसे पुरानी और सबसे लोकप्रिय शाखाओं में से एक है। इसमें धीमी गति से किए जाने वाले आसन (शारीरिक मुद्राएं) और प्राणायाम (श्वास नियंत्रण व्यायाम) शामिल होते हैं।

फायदे: शारीरिक शक्ति, लचीलापन और संतुलन में सुधार, तनाव कम करना, मन को शांत करना, पाचन क्रिया को बेहतर बनाना।

* अष्टांग योग: यह एक गतिशील और शारीरिक रूप से चुनौतीपूर्ण शैली है जिसमें विशिष्ट क्रम में आसनों का एक निर्धारित क्रम शामिल होता है, जो श्वास के साथ सिंक्रनाइज़ होता है।

फायदे: सहनशक्ति बढ़ाना, मांसपेशियों को मजबूत करना, आंतरिक गर्मी उत्पन्न करना, विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालना, एकाग्रता में सुधार।

* विन्यास योग: इसे 'फ्लो योग' भी कहा जाता है, यह हठ योग से प्रेरित है लेकिन इसमें आसनों को तरल और गतिशील तरीके से एक साथ जोड़ा जाता है, जिससे गति और श्वास का समन्वय होता है।

फायदे: हृदय स्वास्थ्य में सुधार, मांसपेशियों को टोन करना, रचनात्मकता बढ़ाना, शारीरिक जागरूकता विकसित करना।

* अयंगर योग: यह सटीकता, संरेखण और आसनों में लंबे समय तक रुकने पर जोर देता है। इसमें प्रॉप्स (जैसे ब्लॉक, स्ट्रैप और कंबल) का उपयोग किया जाता है ताकि शरीर को सही संरेखण में मदद मिल सके।

फायदे: मुद्रा में सुधार, चोटों से उबरने में मदद, शरीर की संरचनात्मक स्थिरता बढ़ाना, धैर्य और एकाग्रता विकसित करना।

* कुंडलिनी योग: यह ऊर्जा (कुंडलिनी) को जागृत करने पर केंद्रित है जो रीढ़ के आधार पर स्थित मानी जाती है। इसमें आसन, मंत्र, ध्यान और श्वास अभ्यास का संयोजन होता है।

फायदे: आध्यात्मिक जागरण, भावनात्मक संतुलन, अंतर्ज्ञान में वृद्धि, तनाव से मुक्ति, ऊर्जा के स्तर में वृद्धि।

* राज योग: इसे 'अष्टांग योग' के रूप में भी जाना जाता है, यह मानसिक अनुशासन और ध्यान पर अधिक जोर देता है। पतंजलि के योग सूत्र इसी पर आधारित हैं।

फायदे: मानसिक स्पष्टता, आत्म-नियंत्रण, आंतरिक शांति, गहन ध्यान की क्षमता, आध्यात्मिक विकास।

* भक्ति योग: यह प्रेम और भक्ति का योग है, जिसमें किसी ईश्वर या गुरु के प्रति गहरी भक्ति विकसित की जाती है। इसमें मंत्रोच्चार, कीर्तन और सेवा शामिल हो सकती है।

फायदे: भावनात्मक शुद्धि, आध्यात्मिक संबंध, प्रेम और करुणा का विकास, अहंकार को कम करना।

योग के प्रकार और उनके मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव

योग मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा सकारात्मक प्रभाव डालता है। विभिन्न प्रकार के योग चिंता, अवसाद और तनाव को कम करने में मदद करते हैं:

* हठ और विन्यास योग: ये शारीरिक तनाव को कम करते हैं, जिससे शरीर में संग्रहीत तनाव हार्मोन का स्तर घटता है। लयबद्ध श्वास मन को शांत करती है।

* राज योग और ध्यान: ये सीधे मानसिक स्पष्टता, एकाग्रता और भावनात्मक विनियमन पर काम करते हैं, जिससे चिंता और अवसाद के लक्षणों में कमी आती है।

* कुंडलिनी योग: यह भावनात्मक अवरोधों को तोड़ने और नकारात्मक भावनाओं को मुक्त करने में मदद करता है, जिससे मानसिक लचीलापन बढ़ता है।

* पुनर्स्थापनात्मक योग: यह गहरी छूट और तंत्रिका तंत्र को शांत करने पर केंद्रित है, जो गंभीर तनाव और आघात से उबरने में बहुत प्रभावी है।

योग के प्रकार और उनके आध्यात्मिक लाभ

योग का अंतिम लक्ष्य अक्सर आध्यात्मिक विकास और आत्म-साक्षात्कार होता है। प्रत्येक प्रकार इस यात्रा में एक अलग रास्ता प्रदान करता है:

* राज योग (ध्यान): सीधे आत्म-ज्ञान और आंतरिक शांति की ओर ले जाता है।

* कुंडलिनी योग: कुंडलिनी शक्ति को जागृत कर उच्च चेतना की ओर अग्रसर करता है।

* भक्ति योग: प्रेम और भक्ति के माध्यम से परमात्मा से गहरा संबंध स्थापित करता है।

* ज्ञान योग: ज्ञान और आत्म-विश्लेषण के माध्यम से आध्यात्मिक सत्य की खोज।

* कर्म योग: निस्वार्थ सेवा के माध्यम से आध्यात्मिक प्रगति।

योग के प्रकार और उनके आयुर्वेदिक दृष्टिकोण से फायदे

आयुर्वेद, भारत की पारंपरिक चिकित्सा प्रणाली, योग को स्वास्थ्य और संतुलन बनाए रखने के लिए एक पूरक अभ्यास के रूप में देखती है। विभिन्न योग प्रकार दोषों (वात, पित्त, कफ) को संतुलित करने में मदद करते हैं:

* वात दोष के लिए: शांत और स्थिर हठ योग, पुनर्स्थापनात्मक योग और ध्यान सहायक होते हैं।

* पित्त दोष के लिए: शीतलन और शांतिदायक आसन, जैसे चंद्र नमस्कार और धीमी गति के विन्यास।

* कफ दोष के लिए: ऊर्जावान और गतिशील आसन, जैसे अष्टांग या तेज गति का विन्यास, शरीर को सक्रिय रखने में मदद करते हैं।

योग के प्रकार और उनके विभिन्न आयु समूहों के लिए उपयुक्तता

योग सभी आयु समूहों के लिए उपयुक्त है, बशर्ते सही प्रकार का चुनाव किया जाए:

* बच्चों के लिए: फन-फिल्ड योग, पशु मुद्राएं और खेल-आधारित योग उनकी एकाग्रता और लचीलेपन में सुधार करते हैं।

* किशोरों के लिए: विन्यास या अष्टांग योग शारीरिक शक्ति और तनाव प्रबंधन में मदद कर सकते हैं।

* वयस्कों के लिए: हठ, विन्यास, अयंगर या बिक्रम योग समग्र स्वास्थ्य के लिए अच्छे हैं।

* वृद्धों के लिए: कुर्सी योग, पुनर्स्थापनात्मक योग, और हल्के हठ आसन लचीलेपन और संतुलन को बनाए रखने में मदद करते हैं बिना अत्यधिक दबाव डाले।

योग के प्रकार और उनके पर्यावरणीय लाभ

योग का अभ्यास पर्यावरण पर सीधा प्रभाव नहीं डालता, लेकिन यह अप्रत्यक्ष रूप से पर्यावरण चेतना को बढ़ावा देता है:

* जागरूकता: योग अभ्यास अक्सर व्यक्ति को प्रकृति और अपने परिवेश के प्रति अधिक जागरूक बनाता है।

* सादगी: योग जीवनशैली में सादगी और कम उपभोग को प्रोत्साहित कर सकती है, जिससे पर्यावरणीय पदचिह्न कम होता है।

* सम्मान: प्रकृति के साथ सामंजस्य स्थापित करने की भावना पर्यावरण के प्रति सम्मान को बढ़ाती है।

योग के फायदे और नुकसान

फायदे:

* शारीरिक: लचीलापन, शक्ति, संतुलन, सहनशक्ति में सुधार।

* मानसिक: तनाव, चिंता, अवसाद में कमी; एकाग्रता, स्मृति में वृद्धि।

* आध्यात्मिक: आत्म-जागरूकता, आंतरिक शांति, आध्यात्मिक विकास।

* स्वास्थ्य: बेहतर पाचन, हृदय स्वास्थ्य, नींद की गुणवत्ता में सुधार, दर्द से राहत।

नुकसान (या जोखिम):

* चोटें: गलत तरीके से आसन करने पर मांसपेशियों में खिंचाव, जोड़ों में दर्द या अन्य चोटें लग सकती हैं।

* अति-उत्साह: अपनी शारीरिक सीमाओं को न समझने पर अधिक अभ्यास से नुकसान हो सकता है।

* अप्रशिक्षित प्रशिक्षक: योग्य प्रशिक्षक के बिना अभ्यास करने पर गलतियां होने की संभावना।

योग के नियम

योग का अभ्यास करते समय कुछ मूलभूत नियमों का पालन करना महत्वपूर्ण है:

* खाली पेट अभ्यास: आमतौर पर सुबह खाली पेट या भोजन के 3-4 घंटे बाद अभ्यास करना चाहिए।

* शांत वातावरण: शांतिपूर्ण और स्वच्छ वातावरण चुनें।

* धीरे-धीरे शुरुआत: धीरे-धीरे शुरू करें और अपनी सीमाओं को समझें।

* नियमितता: निरंतरता महत्वपूर्ण है; रोजाना थोड़ा अभ्यास भी फायदेमंद होता है।

* श्वास पर ध्यान: आसनों के साथ श्वास का समन्वय करें।

* योग्य प्रशिक्षक: शुरुआत में किसी प्रमाणित योग प्रशिक्षक के मार्गदर्शन में ही अभ्यास करें।

* आराम: प्रत्येक सत्र के बाद 'शवासन' (शव मुद्रा) में आराम करें।

योग के 7 मुख्य प्रकार कौन से हैं?

योग के 7 मुख्य प्रकारों में अक्सर हठ योग, राज योग, कर्म योग, भक्ति योग, ज्ञान योग, मंत्र योग और कुंडलिनी योग शामिल होते हैं। हालांकि, योग की विभिन्न परंपराओं में इसे अलग-अलग रूप से वर्गीकृत किया जा सकता है।

योग के 10 फायदे क्या हैं?

* शारीरिक लचीलेपन में वृद्धि।

* मांसपेशियों की शक्ति और सहनशक्ति में सुधार।

* तनाव और चिंता में कमी।

* मन की शांति और स्पष्टता।

* बेहतर नींद की गुणवत्ता।

* पाचन तंत्र का बेहतर कार्य।

* हृदय स्वास्थ्य में सुधार।

* शरीर की मुद्रा और संतुलन में वृद्धि।

* दर्द से राहत (विशेषकर पीठ दर्द)।

* आत्म-जागरूकता और आध्यात्मिक विकास।

सबसे पहला कौन सा योग करना चाहिए?

यदि आप योग में नए हैं, तो हठ योग या पुनर्स्थापनात्मक योग से शुरुआत करना सबसे अच्छा है। ये शैलियाँ धीमी गति वाली होती हैं और मूलभूत आसनों, श्वास नियंत्रण और शरीर संरेखण पर ध्यान केंद्रित करती हैं, जिससे आपको अपनी शारीरिक क्षमताओं को समझने और एक मजबूत नींव बनाने में मदद मिलती है। हमेशा एक योग्य योग प्रशिक्षक के मार्गदर्शन में शुरुआत करें।

12 योगासन कौन से हैं?

12 योगासन अक्सर सूर्य नमस्कार के 12 चरणों को संदर्भित करते हैं, जो एक गतिशील अनुक्रम है। हालांकि, कई अन्य मूलभूत आसन भी हैं। 12 लोकप्रिय और फायदेमंद योगासन जो शुरुआती लोग सीख सकते हैं, उनमें शामिल हैं:

* ताड़ासन (माउंटेन पोज)

* वृक्षासन (ट्री पोज)

* त्रिकोणासन (ट्रायंगल पोज)

* अधोमुख श्वानासन (डाउनवर्ड-फेसिंग डॉग)

* भुजंगासन (कोबरा पोज)

* शवासन (शव मुद्रा)

* बालासन (चाइल्ड पोज)

* पवनमुक्तासन (विंड-रिलीविंग पोज)

* सेतुबंधासन (ब्रिज पोज)

* वज्रासन (थंडरबोल्ट पोज)

* पश्चिमोत्तानासन (सीटेड फॉरवर्ड बेंड)

* सुखासन (ईजी पोज)

सबसे श्रेष्ठ योग कौन सा है?

सबसे श्रेष्ठ योग जैसा कुछ नहीं होता, क्योंकि यह व्यक्ति की जरूरतों, लक्ष्यों और शारीरिक स्थिति पर निर्भर करता है। प्रत्येक व्यक्ति के लिए 'श्रेष्ठ' योग अलग हो सकता है। 

उदाहरण के लिए:

* शारीरिक स्वास्थ्य के लिए हठ या विन्यास।

* मानसिक शांति के लिए राज योग या ध्यान।

* आध्यात्मिक विकास के लिए कुंडलिनी या भक्ति योग।

महत्वपूर्ण यह है कि आप अपनी आवश्यकताओं के अनुरूप योग का प्रकार चुनें और उसका नियमित रूप से अभ्यास करें।

108 आसन क्या है?

'108 आसन' योग में आसनों की एक निश्चित संख्या को संदर्भित नहीं करता है कि योग में केवल 108 आसन ही होते हैं। इसके बजाय, 108 संख्या का हिंदू धर्म, योग, ज्योतिष और अन्य आध्यात्मिक परंपराओं में एक गहरा और पवित्र महत्व है।

यह संख्या एक प्रतीकात्मक पूर्णता, समग्रता या आध्यात्मिक पूर्णता को दर्शाती है। योग में, 108 संख्या का उपयोग विभिन्न संदर्भों में किया जाता है:

* माला (जाप माला): ध्यान और मंत्र जाप के लिए उपयोग की जाने वाली माला में अक्सर 108 मनके होते हैं, साथ में एक "गुरु मनका" भी होता है। प्रत्येक मनके पर मंत्र का जाप करके, साधक 108 बार मंत्र को दोहराता है।

* सूर्य नमस्कार: सूर्य नमस्कार का एक पूर्ण चक्र 12 आसनों का होता है। जब इसे 9 बार दोहराया जाता है (9 x 12 = 108), तो यह कुल 108 आसनों का अनुक्रम बन जाता है। कई योग स्टूडियो या समुदाय विशेष अवसरों पर 108 सूर्य नमस्कार का अभ्यास करते हैं।

* प्राणायाम (श्वास नियंत्रण): कुछ योगिक प्रथाओं में, श्वास नियंत्रण व्यायाम (प्राणायाम) के चक्रों को 108 बार दोहराया जाता है।

* शरीर में ऊर्जा बिंदु (मर्म बिंदु/नाड़ी): आयुर्वेद और योग के अनुसार, शरीर में 108 मर्म बिंदु (महत्वपूर्ण ऊर्जा बिंदु) होते हैं। यह भी कहा जाता है कि हृदय चक्र से 108 ऊर्जा रेखाएं (नाड़ी) निकलती हैं।

* खगोलीय और गणितीय महत्व:

* पृथ्वी और सूर्य के बीच की दूरी सूर्य के व्यास का लगभग 108 गुना है।

* पृथ्वी और चंद्रमा के बीच की दूरी चंद्रमा के व्यास का लगभग 108 गुना है।

* संस्कृत वर्णमाला में 54 अक्षर होते हैं, जिनमें से प्रत्येक में मर्दाना (शिव) और स्त्री (शक्ति) गुण होते हैं, इसलिए 54 x 2 = 108।

108 आसन का मतलब यह नहीं है कि योग में केवल 108 ही आसन हैं। योग में आसनों की संख्या बहुत अधिक है और यह लगातार विकसित हो रही है। '108' का उपयोग आध्यात्मिक महत्व और संपूर्णता को दर्शाने के लिए किया जाता है, जो अभ्यास को एक पवित्र और गहन आयाम देता है। यह संख्या एक प्रतीकात्मक पूर्णता या समग्रता को दर्शाती है।

योग के 8 अंग कौन से हैं?

योग के 8 अंग, जिन्हें अष्टांग योग भी कहा जाता है, महर्षि पतंजलि द्वारा योग सूत्र में वर्णित हैं। ये नैतिकता और अनुशासन के एक व्यापक मार्ग को दर्शाते हैं:

* यम (नैतिक संहिता): अहिंसा (अहिंसा), सत्य (सत्यवादिता), अस्तेय (चोरी न करना), ब्रह्मचर्य (संयम), अपरिग्रह (अनासक्ति)।

* नियम (आत्म-अनुशासन): शौच (शुद्धता), संतोष (संतोष), तप (तपस्या), स्वाध्याय (आत्म-अध्ययन), ईश्वर प्राणिधान (ईश्वर के प्रति समर्पण)।

* आसन (शारीरिक मुद्राएं): शारीरिक स्थिरता और मानसिक शांति के लिए मुद्राएं।

* प्राणायाम (श्वास नियंत्रण): श्वास और प्राण ऊर्जा का नियमन।

* प्रत्याहार (इंद्रियों का प्रत्याहार): बाहरी उत्तेजनाओं से इंद्रियों को वापस लेना।

* धारणा (एकाग्रता): मन को किसी एक बिंदु पर केंद्रित करना।

* ध्यान (मेडिटेशन): एकाग्रता की निरंतरता, जिसमें मन शांत और स्थिर हो जाता है।

* समाधि (परमानंद/आत्म-बोध): गहन ध्यान की अवस्था, जहां व्यक्ति अपनी चेतना के साथ एक हो जाता है।

अष्टांग योग के प्रकार

अष्टांग योग स्वयं एक प्रकार का योग है, जिसे महर्षि पतंजलि ने आठ अंगों के रूप में प्रस्तुत किया है। जब लोग आमतौर पर 'अष्टांग योग' कहते हैं, तो वे अक्सर श्री के. पट्टाभि जॉयस द्वारा सिखाए गए गतिशील विन्यास-आधारित अष्टांग योग को संदर्भित करते हैं। इस शैली में विशिष्ट आसनों की एक श्रृंखला होती है जिसे एक निर्धारित क्रम में और श्वास के साथ सिंक्रनाइज़ करके किया जाता है। इसमें मुख्य रूप से छह श्रृंखलाएं (सीरीज) होती हैं:

* प्राथमिक श्रृंखला (योग चिकित्सा): शरीर को शुद्ध और संरेखित करने पर केंद्रित।

* मध्यवर्ती श्रृंखला (नाडी शोधन): तंत्रिका तंत्र को शुद्ध करने पर केंद्रित।

* उन्नत श्रृंखला A, B, C, D: ये अधिक जटिल और शारीरिक रूप से चुनौतीपूर्ण होती हैं, जो अत्यधिक समर्पण और अभ्यास की मांग करती हैं।

तो, 'अष्टांग योग के प्रकार' से तात्पर्य इन विभिन्न श्रृंखलाओं या पतंजलि के आठ अंगों की विस्तृत व्याख्या से हो सकता है, न कि अष्टांग योग के भीतर अलग-अलग शैलियों से।

Also Read : 

Watch Video

Watch the full video for more details on this story.

You Might Also Like

Facebook Feed