Health : बढ़ता हुआ स्ट्रेस और नींद की समस्या, मेंटल हेल्थ के लिए बड़ा अलर्ट!

Health : आज की तेज़ रफ्तार जिंदगी में इंसान जितना आगे बढ़ने की कोशिश कर रहा है, उतना ही वो खुद से और अपने मानसिक स्वास्थ्य से दूर होता जा रहा है। तकनीक के बढ़ते इस्तेमाल, काम का दबाव, रिश्तों की उलझन और सामाजिक अपेक्षाओं के बोझ के बीच इंसान खुद को अकेला और थका हुआ महसूस करने लगा है। इसका सीधा असर उसकी नींद और मानसिक स्थिति पर पड़ रहा है।

Health : तनाव और नींद की कमी—जोड़ी बन चुकी है खतरनाक

विशेषज्ञों के अनुसार, जब इंसान लगातार तनाव में रहता है, तो उसके दिमाग को रिलैक्स होने का समय नहीं मिल पाता। इसी वजह से नींद की गुणवत्ता पर असर पड़ता है। लगातार नींद की कमी से दिमाग की कार्यक्षमता घट जाती है, याददाश्त कमजोर होने लगती है, और व्यक्ति चिड़चिड़ा, उदास और मानसिक रूप से असंतुलित महसूस करता है।

मनोरोग विशेषज्ञ डॉ. समीरा गुप्ता बताती हैं, “आजकल ऑफिस जाने वाला हर तीसरा व्यक्ति नींद न पूरी होने और थकान की शिकायत कर रहा है। ये सिर्फ एक नींद की दिक्कत नहीं, बल्कि लंबे समय में मानसिक रोगों की जड़ बन सकता है।”

Health : वर्क फ्रॉम होम ने भी बढ़ाई परेशानी

कोविड के बाद से वर्क फ्रॉम होम का चलन तो बढ़ा, लेकिन इसके साथ लोगों की निजी और पेशेवर जिंदगी की सीमाएं धुंधली हो गईं। काम के घंटे बढ़ गए, ब्रेक्स कम हो गए और सोने-जागने का रूटीन बुरी तरह बिगड़ गया। इससे मानसिक थकावट के साथ-साथ बॉडी क्लॉक भी गड़बड़ा गई।

नींद की समस्या को बढ़ाने में सोशल मीडिया की भी अहम भूमिका है। देर रात तक स्क्रीन पर स्क्रॉलिंग करना, ओटीटी प्लेटफॉर्म्स पर सीरीज़ देखना और मोबाइल का अत्यधिक इस्तेमाल दिमाग को उत्तेजित करता है, जिससे शरीर को ये संकेत नहीं मिल पाता कि अब सोने का समय है।

Health : मेंटल हेल्थ पर असर

जब नींद पूरी नहीं होती, तो व्यक्ति धीरे-धीरे एंग्जायटी, डिप्रेशन और इमोशनल इंबैलेंस की ओर बढ़ने लगता है। बार-बार मूड स्विंग होना, अकेलापन महसूस करना, आत्मविश्वास में कमी आना और काम में मन न लगना इसके सामान्य लक्षण हैं। अगर समय रहते इन संकेतों को नहीं पहचाना गया, तो ये गंभीर मानसिक बीमारियों का रूप ले सकते हैं।

हाल ही में हुए एक अध्ययन में यह पाया गया कि 70% युवा रोज़ाना 6 घंटे से भी कम नींद लेते हैं और इनमें से 60% लोग खुद को अक्सर तनाव में महसूस करते हैं। इस अध्ययन के मुताबिक, जिन लोगों की नींद पूरी नहीं होती, उनकी निर्णय लेने की क्षमता और भावनात्मक संतुलन पर गहरा असर पड़ता है।

Health : बचाव के उपाय

एक्सपर्ट्स मानते हैं कि अगर सही समय पर कुछ आदतें सुधारी जाएं, तो मेंटल हेल्थ को फिर से मजबूत किया जा सकता है।

– रोज़ाना एक ही समय पर सोने और जागने की आदत डालें

– स्क्रीन टाइम कम करें, खासतौर पर सोने से एक घंटा पहले

– कैफीन और भारी भोजन से रात में परहेज़ करें

– मेडिटेशन और ब्रीदिंग एक्सरसाइज को दिनचर्या में शामिल करें

– अपने मन की बात किसी भरोसेमंद इंसान से ज़रूर शेयर करें

– काम और निजी जिंदगी के बीच संतुलन बनाएं

Health : सरकार और समाज की भूमिका

मेंटल हेल्थ को लेकर जागरूकता फैलाना सिर्फ डॉक्टरों का काम नहीं, बल्कि पूरे समाज की ज़िम्मेदारी है। स्कूलों, कॉलेजों और ऑफिसों में नियमित काउंसलिंग सेशंस, स्ट्रेस मैनेजमेंट वर्कशॉप्स और हेल्थ चेकअप कैंप जैसे प्रयास ज़रूरी हैं।

तनाव और नींद की समस्या को हल्के में लेना खुद के साथ अन्याय है। मेंटल हेल्थ का सीधा संबंध हमारी खुशियों, संबंधों और करियर से है। अगर आप भी लगातार थकान, उदासी या बेचैनी महसूस कर रहे हैं, तो तुरंत किसी प्रोफेशनल की मदद लें और अपनी सेहत को प्राथमिकता दें। क्योंकि जब तक दिमाग ठीक नहीं, तब तक कोई भी जिंदगी खुशनुमा नहीं लगती।

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