AIIMS : फैकल्टी ने 23 एम्स के नाम बदलने का किया विरोध, स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया को लिखा पत्र | Nation One
AIIMS : ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज के डॉक्टरों ने केंद्र सरकार से गुहार लगाई है कि दिल्ली समेत सभी 23 संस्थानों का नाम न बदला जाए। नाम बदले जाने से एम्स की पहचान मिट जाने की चिंता जताई गई है।
आपको बता दें फैक्लटी एसोसिएशन ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया को पत्र लिखा है। इस पत्र में एम्स को नया नाम देने के प्रस्ताव पर चिंता जताई और कहा कि नया नाम देने से संस्थान और संस्थान की पहचान को नुकसान होगा।
AIIMS : 23 एम्स को नए नाम
दरअसल देश भर के सभी 23 एम्स को नए नाम देने के सरकार के प्रस्ताव पर एम्स के फैकल्टी एसोसिएशन ने हाल ही में फैकल्टी मेंबर्स की राय मांगी थी।
फैकल्टी एसोसिएशन द्वारा लिखे गए पत्र के मुताबिक, एसोसिएशन मेंबर्स ने संस्थान का नाम बदलने का विरोध किया है।
पत्र में आगे कहा गया है कि एम्स, दिल्ली को 1956 में मेडिकल एजुकेशन, रिसर्च और पेशेंट केयर के मिशन के साथ बनाया गया था।
नाम से एक पहचान जुड़ी होती है। अगर पहचान खो जाती है, तो देश के अंदर और बाहर संस्था की मान्यता खो जाती है। इसीलिए प्रसिद्ध और स्थापित संस्थानों के नाम सदियों से एक जैसे हैं।
AIIMS : सम्मानित चिकित्सा संस्थान को पहचान
फैक्लटी एसोसिएशन के मुताबिक अगर प्रस्ताव स्वीकार कर लिया जाए तो सम्मानित चिकित्सा संस्थान को पहचान और मनोबल की भारी क्षति का सामना करना पड़ेगा।
इसलिए फैक्लटी एसोसिएशन आपसे अनुरोध करती है कि कृप्या एम्स दिल्ली का नाम बदलने के किसी भी प्रस्ताव पर विचार न करें।
स्वास्थय मंत्रालय को दिए गए पत्र में FAIMS ने लिखा कि दिल्ली एम्स को Medical Education, रिसर्च और स्वास्थय सुविधा मुहैया कराने के लिए एक खास मिशन के तहत 1956 में बनाया गया था।
एम्स की पहचान उसके नाम से जुड़ी है। अगर यही खो गई तो देश और दुनिया में AIIMS की इंस्टीटटयूश्नल रिकॉग्निशन भी मिट जाएगी।
Also Read : Cheetah Project : राहुल गांधी ने मोदी सरकार के चीता प्रोजेक्ट पर साधा निशाना, कही ये बड़ी बात | Nation One