Dehradun : देहरादून से दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है जहां एक निजी हॉस्टल में रह रहे दो ऑटिस्टिक भाइयों के साथ न केवल यौन शोषण किया गया, बल्कि उन्हें सिगरेट से जलाने जैसी अमानवीय यातनाएं भी दी गईं। यह मामला सामने आते ही पूरे क्षेत्र में आक्रोश फैल गया है। पीड़ित बच्चों के परिजनों की शिकायत के बाद पुलिस ने तत्काल कार्रवाई करते हुए आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है।
उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद निवासी महिला ने अपने 9 और 13 साल के दो ऑटिस्टिक बेटों को अप्रैल में देहरादून के एक विशेष आवश्यकता वाले बच्चों के हॉस्टल में दाखिल कराया था। उन्हें उम्मीद थी कि बच्चों को बेहतर देखभाल और शिक्षा मिलेगी। लेकिन जब 30 मई को वह उनसे मिलने पहुंचीं, तो बच्चों ने रोते हुए उन्हें अपनी आपबीती सुनाई।
उन्होंने बताया कि हॉस्टल का एक वार्डन उन्हें मारता था, उनके साथ अश्लील हरकतें करता था और सिगरेट से शरीर पर दागता था। मां ने तुरंत बच्चों को साथ लिया और पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई।
Dehradun : आरोपी ने गिरफ्तारी के बाद किए खुलासे
पुलिस ने तेजी दिखाते हुए आरोपी वार्डन मोनू पाल को गिरफ्तार कर लिया। वह गाजीपुर (उत्तर प्रदेश) का रहने वाला है और हाल ही में हॉस्टल में नौकरी पर रखा गया था। चौंकाने वाली बात यह है कि उसका कोई पुलिस सत्यापन नहीं हुआ था, और न ही स्कूल ने उसकी पृष्ठभूमि की जांच की थी।
पुलिस ने उस पर भारतीय दंड संहिता और पॉक्सो एक्ट की गंभीर धाराओं में केस दर्ज किया है। वहीं बच्चों का मेडिकल परीक्षण भी कराया गया, जिसमें कई चोटों और जलने के निशान मिले हैं।
Dehradun : नियमों की अनदेखी
जांच में यह बात सामने आई है कि यह हॉस्टल एक किराए की इमारत में चलाया जा रहा था, और इसे चलाने के लिए न तो किसी प्रकार की सरकारी मान्यता ली गई थी, न ही जरूरी सुरक्षा प्रोटोकॉल का पालन किया गया। न स्कूल का रजिस्ट्रेशन स्थानीय शिक्षा विभाग में था, न ही किसी सरकारी संस्था से सहयोग प्राप्त था।
वहाँ रहने वाले अन्य बच्चों की हालत भी ठीक नहीं पाई गई। खाने-पीने की व्यवस्था बेहद खराब थी, और स्टाफ का रवैया भी असंवेदनशील बताया गया।
Dehradun : बच्चों की सुरक्षा पर उठे सवाल
इस घटना ने एक बार फिर यह दिखा दिया है कि भारत में दिव्यांग और विशेष बच्चों की सुरक्षा अब भी गंभीर चुनौती बनी हुई है। परिजनों का भरोसा तोड़ा गया है और बच्चों की मानसिक स्थिति को गंभीर आघात पहुंचा है।
विशेषज्ञों की टीम अब इन बच्चों की काउंसलिंग कर रही है ताकि उन्हें इस मानसिक सदमे से उबारा जा सके। साथ ही चाइल्ड वेलफेयर कमेटी को भी इस मामले की पूरी जानकारी दे दी गई है।
बाल संरक्षण आयोग ने इस पूरे मामले की जांच के आदेश दे दिए हैं। आयोग की अध्यक्ष ने साफ कहा है कि जिन संस्थानों में विशेष बच्चों को रखा जाता है, वहाँ स्टाफ का पुलिस सत्यापन अनिवार्य है। आयोग ने संबंधित हॉस्टल को तुरंत बंद करने और बाकी बच्चों को सुरक्षित स्थान पर शिफ्ट करने का निर्देश दिया है।
इस अमानवीय घटना ने समाज और प्रशासन दोनों को झकझोर दिया है। ऐसे मामलों में केवल गिरफ्तारी काफी नहीं है, बल्कि यह भी जरूरी है कि दिव्यांग बच्चों के लिए बने संस्थानों की सख्त निगरानी हो और कोई भी अनधिकृत संस्था चलाने की इजाजत न दी जाए।
पीड़ित बच्चों को न्याय और पुनर्वास की आवश्यकता है, और दोषियों को सख्त से सख्त सजा मिलनी चाहिए ताकि भविष्य में कोई मासूम इस तरह की हैवानियत का शिकार न हो।
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