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उत्तर प्रदेश के 11 ईको-पर्यटन स्थल अब निजी हाथों में, पर्यटन को मिलेगा नया आयाम

लखनऊ: उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य के 11 प्रमुख ईको-पर्यटन स्थलों के संचालन और रखरखाव को निजी कंपनियों के हवाले करने का निर्णय लिया है। ईको-पर्यटन विकास बोर्ड ने इसके लिए निजी कंपनियों से प्रस्ताव आमंत्रित किए हैं, जिससे इन स्थलों पर बेहतर सुविधा, संवर्धन और आर्थिक लाभ सुनिश्चित किया जा सके।

क्यों सौंपे जा रहे हैं ईको-पर्यटन स्थल निजी हाथों में?

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुई समीक्षा बैठक में यह निर्णय लिया गया कि राज्य सरकार द्वारा बनाए गए गेस्ट हाउस, रेस्टोरेंट, और अन्य पर्यटक सुविधाएं समय के साथ देखरेख के अभाव में खराब हो रही हैं। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि ऐसी व्यवस्था की जाए जिससे इन सुविधाओं का सही तरीके से संचालन हो और पर्यटकों को भी बेहतर अनुभव मिल सके।

पहले चरण में चुने गए 11 ईको-पर्यटन स्थल

ईको-पर्यटन विकास बोर्ड ने पहले चरण में राज्य के 11 ईको-पर्यटन स्थलों को निजी कंपनियों को सौंपने की योजना बनाई है:

जिलापर्यटन स्थल
अयोध्याफ्लोटिंग रेस्टोरेंट, उधेला झील
बलियासुरहा ताल बर्ड सेंचुरी
बाराबंकीबगहर झील
चित्रकूटरामनगर झील, मड़फा किला
जालौनपचनदा (पांच नदियों का संगम)
ललितपुरककरावल जलप्रपात
बांदाकालिंजर किला, पर्यटक सुविधा केंद्र
कुशीनगरसोहरौना ताल
सीतापुरअज्जेपुर झील
महाराजगंजदेवदह ईको टूरिज्म स्थल
मिल्कीपुर (अयोध्या)[विवरण नहीं दिया गया]

पचनदा और सुरहा ताल: प्राकृतिक सौंदर्य का अनमोल खजाना

जालौन के पचनदा में पांच नदियों का संगम होता है, जहां डॉल्फिन की उपस्थिति विशेष आकर्षण का केंद्र है। वहीं बलिया की सुरहा ताल (मेरितार झील) में साइबेरियन पक्षियों का आना पक्षी प्रेमियों के लिए खास अनुभव है। इन स्थलों पर बोटिंग, ट्रैकिंग, बर्ड वॉचिंग जैसी कई गतिविधियाँ पर्यटकों को आकर्षित करती हैं।

सरकार को मिलेगा मुनाफा, पर्यटकों को सुविधा

इस योजना के जरिए सरकार को राजस्व में बढ़ोतरी होगी और पर्यटकों को सुव्यवस्थित सेवाएं मिल सकेंगी। निजी कंपनियों को गेस्ट हाउस, होटल, रेस्टोरेंट, पर्यटक केंद्र जैसी सुविधाओं के संचालन की जिम्मेदारी दी जाएगी, जिससे स्थानीय रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे।

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