उत्तराखंड: ऋषिकेश एम्स में अब हो सकेगा एचआईवी संक्रमितों का इलाज | Nation One
एम्स निदेशक प्रोफेसर रविकांत ने बताया कि एचआईवी संक्रमित लोगों का इलाज एंटी-रेट्रोवायरल थेरेपी (एआरटी) द्वारा किया जाता है।
उत्तराखंड में अभी तक केवल दून मेडिकल कॉलेज देहरादून और सुशीला तिवारी राजकीय अस्पताल हल्द्वानी को एआरटी केंद्र के रूप में मान्यता दी गई थी।
लेकिन इसी माह एचआईवी संक्रमित लोगों की सुविधा के लिए राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन नाको ने एम्स ऋषिकेश को भी सेंटर की अनुमति प्रदान कर दी है।
बताया कि असुरक्षित शारीरिक संबंध, मदर टू चाइल्ड ट्रांसमिशन आदि कारणों से एचआईवी का संक्रमण एक से दूसरे व्यक्ति में फैलता है।
यह संक्रमण व्यक्ति के लिए जानलेवा भी होता है।
एचआईवी संक्रमित लोगों को अब ऋषिकेश एम्स में इलाज की सुविधा मिलेगी। एंटी रेट्रोवायरल थेरेपी से मरीजों का इलाज होगा।
राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन (नाको) एम्स को पहले ही एआरटी सेंटर खोलने की अनुमति दे चुका है। अभी तक हल्द्वानी और देहरादून में ही यह सुविधा उपलब्ध है।
एम्स में मंगलवार को सेंटर का विधिवत उद्धाटन होगा।
विशेषज्ञों के अनुसार, मुंह के छाले, अचानक वजन कम होना, बुखार, और लम्बे समय से दस्त की शिकायत एचआईवी संक्रमण के प्रमुख लक्षण हैं।
निदेशक ने कहा कि एचआईवी संक्रमण का मतलब जीवन का अंत नहीं है।
उचित चिकित्सा देखभाल के साथ, एक एचआईवी संक्रमित व्यक्ति भी लंबे समय तक स्वस्थ जीवन जी सकता है।
एंटी रेट्रोवायरल थेरेपी (एआरटी) अगर सही समय पर ली जाए, तो एचआईवी संक्रमण को रोकने में मदद मिलती है।
यह चिकित्सा जीवन की गुणवत्ता और दीर्घायु दोनों को बढ़ाती है।