UP : उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश के मदरसों को लेकर बड़ा और अहम फैसला लेते हुए अधिकारियों को निर्देश दिया है कि राज्य के सभी मदरसों में अब शिक्षा का संचालन नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुरूप किया जाए।
उनका स्पष्ट कहना है कि मदरसों की पढ़ाई सिर्फ धार्मिक ज्ञान तक सीमित न रहे, बल्कि आधुनिक और तकनीकी शिक्षा से भी छात्रों को जोड़ा जाए, जिससे वे मुख्यधारा में आ सकें।
मुख्यमंत्री ने यह बयान हाल ही में लखनऊ में आयोजित एक उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक के दौरान दिया, जिसमें अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के वरिष्ठ अधिकारी, शिक्षा विशेषज्ञ और मदरसा बोर्ड के प्रतिनिधि मौजूद थे।
UP : धार्मिक शिक्षा के साथ आधुनिक ज्ञान भी ज़रूरी
सीएम योगी ने कहा कि “हम चाहते हैं कि हमारे मदरसे आधुनिक भारत की नींव का हिस्सा बनें। छात्रों को कुरान और हदीस के साथ-साथ गणित, विज्ञान, कंप्यूटर और सामान्य ज्ञान जैसी विषयों की भी जानकारी दी जाए, ताकि वे प्रतियोगी परीक्षाओं में भी सफलता पा सकें।”
उन्होंने यह भी जोड़ा कि बच्चों को सिर्फ एक आयाम से नहीं बल्कि बहुआयामी तरीके से शिक्षित करना समय की मांग है। उनके मुताबिक, जब तक मदरसों को नई शिक्षा नीति से नहीं जोड़ा जाएगा, तब तक वहां पढ़ने वाले बच्चे समान अवसरों से वंचित रहेंगे।
UP : डिजिटलीकरण और स्किल एजुकेशन पर जोर
मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि प्रदेश के सभी मान्यता प्राप्त और अनुदानित मदरसों में जल्द ही स्मार्ट क्लास, डिजिटल लर्निंग टूल्स और स्किल बेस्ड कोर्सेस शुरू किए जाएं। उन्होंने ये भी कहा कि राज्य सरकार मदरसों में कंप्यूटर शिक्षा और तकनीकी ट्रेनिंग की सुविधाएं बढ़ाएगी।
इसके अलावा, छात्रवृत्ति योजनाओं में पारदर्शिता लाने के लिए सभी मदरसों का डिजिटल डेटाबेस तैयार किया जाएगा और उनकी ऑनलाइन मान्यता प्रक्रिया को और सरल बनाया जाएगा।
UP : राजनीतिक प्रतिक्रिया भी आई सामने
सीएम योगी के इस निर्देश पर जहां बीजेपी और समर्थक संगठन इसे सुधार की दिशा में बड़ा कदम बता रहे हैं, वहीं कुछ विपक्षी दलों और मुस्लिम संगठनों ने चिंता जताई है कि इससे धार्मिक स्वतंत्रता प्रभावित हो सकती है। हालांकि राज्य सरकार का कहना है कि यह कदम सिर्फ बच्चों के भविष्य को बेहतर बनाने के लिए है, न कि किसी परंपरा या आस्था में हस्तक्षेप के लिए।
उत्तर प्रदेश सरकार का यह कदम शिक्षा के क्षेत्र में समावेशिता और समानता की दिशा में एक साहसिक प्रयास माना जा रहा है। अगर सही ढंग से लागू किया गया, तो इससे मदरसों में पढ़ने वाले लाखों छात्रों को बेहतर अवसर, रोजगार की संभावनाएं और समाज में एक नया स्थान मिल सकता है।
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